02-04-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


मीठे बच्चे - “और संग तोड़ एक संग जोड़ो, भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो देह नहीं देखेंगे, दृष्टि बिगड़ेगी नहीं, वाणी में त़ाकत रहेगी''

प्रश्नः-
बाप बच्चों का कर्जदार है या बच्चे बाप के?

उत्तर:-
तुम बच्चे तो अधिकारी हो, बाप तुम्हारा कर्जदार है। तुम बच्चे दान देते हो तो तुम्हें एक का सौ गुणा बाप को देना पड़ता है। ईश्वर अर्थ तुम जो देते हो दूसरे जन्म में उसका रिटर्न मिलता है। तुम चावल मुट्ठी देकर विश्व का मालिक बनते तो तुम्हें कितना फ्राकदिल होना चाहिए। मैंने बाबा को दिया, यह ख्याल भी कभी नहीं आना चाहिए।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) भगवान् ने हमें एडाप्ट किया है, वही हमें टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं, अपने पद्मापद्म भाग्य का सिमरण कर खुशी में रहना है।

2) हम आत्मा भाई-भाई हैं, यह दृष्टि पक्की करनी है। देह को नहीं देखना है। भगवान् से सौदा करने के बाद फिर बुद्धि को भटकाना नहीं है।

वरदान:-
इस अलौकिक जीवन में संबंध की शक्ति से अविनाशी स्नेह और सहयोग प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव

इस अलौकिक जीवन में संबंध की शक्ति आप बच्चों को डबल रूप में प्राप्त है। एक बाप द्वारा सर्व संबंध, दूसरा दैवी परिवार द्वारा संबंध। इस संबंध से सदा नि:स्वार्थ स्नेह, अविनाशी स्नेह और सहयोग सदा प्राप्त होता रहता है। तो आपके पास संबंध की भी शक्ति है। ऐसी श्रेष्ठ अलौकिक जीवन वाली शक्ति सम्पन्न वरदानी आत्मायें हो इसलिए अर्जी करने वाले नहीं, सदा राज़ी रहने वाले बनो।

स्लोगन:-
कोई भी प्लैन विदेही, साक्षी बन सोचो और सेकण्ड में प्लेन स्थिति बनाते चलो।