03-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - इस दु:खधाम को जीते जी तलाक दो क्योंकि तुम्हें सुखधाम जाना है''

प्रश्नः-
बाप बच्चों को कौन-सी एक छोटी सी मेहनत देते हैं?

उत्तर:-
बाबा कहते - बच्चे, काम महाशत्रु है, इस पर विजय प्राप्त करो। यही तुम्हें थोड़ी-सी मेहनत देता हूँ। तुम्हें सम्पूर्ण पावन बनना है। पतित से पावन अर्थात् पारस बनना है। पारस बनने वाले पत्थर नहीं बन सकते। तुम बच्चे अभी गुल-गुल बनो तो बाप तुम्हें नयनों पर बिठाकर साथ ले जायेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप के ऑर्डीनेन्स को पालन करने के लिए हम आत्मा भाई-भाई हैं, भ्रकुटी के बीच में हमारा निवास है, हम बेहद बाप के बच्चे हैं, हमारा यह ईश्वरीय परिवार है - इस स्मृति में रहना है। देही-अभिमानी बनने की आदत डालनी है।

2) धर्मराज की सजाओं से छूटने के लिए अपने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। माया को वश करने का जो मंत्र मिला है, उसको याद रखते सतोप्रधान बनना है।

वरदान:-
बिन्दी रूप में स्थित रह औरों को भी ड्रामा के बिन्दी की स्मृति दिलाने वाले विघ्न-विनाशक भव

जो बच्चे किसी भी बात में क्वेश्चन मार्क नहीं करते, सदा बिन्दी रूप में स्थित रह हर कार्य में औरों को भी ड्रामा की बिन्दी स्मृति में दिलाते हैं - उन्हें ही विघ्न-विनाशक कहा जाता है। वह औरों को भी समर्थ बनाकर सफलता की मंजिल के समीप ले आते हैं। वह हद की सफलता की प्राप्ति को देख खुश नहीं होते लेकिन बेहद के सफलतामूर्त होते हैं। सदा एकरस, एक श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहते हैं। वह अपनी सफलता की स्व-स्थिति से असफलता को भी परिवर्तन कर देते हैं।

स्लोगन:-
दुआयें लो, दुआयें दो तो बहुत जल्दी मायाजीत बन जायेंगे।