04-04-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - गृहस्थ
व्यवहार में रहते पारलौकिक बाप से पूरा वर्सा लेना है, तो अपना सब कुछ एक्सचेंज कर
दो, यह बहुत बड़ा व्यापार है''
प्रश्नः-
ड्रामा का
ज्ञान किस बात में तुम बच्चों को बहुत मदद करता है?
उत्तर:-
जब
शरीर की कोई बीमारी आती है तो ड्रामा का ज्ञान बहुत मदद करता है क्योंकि तुम जानते
हो यह ड्रामा हूबहू रिपीट होता है। इसमें रोने पीटने की कोई बात नहीं। कर्मों का
हिसाब-किताब चुक्तू होना है। 21 जन्मों के सुख की भेंट में यह दु:ख कुछ भी भासता नहीं।
ज्ञान पूरा नहीं तो तड़फते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सवेरे-सवेरे उठ शरीर से न्यारा होने की ड्रिल करनी है। पुरानी दुनिया,
पुराना चोला कुछ भी याद न आये। सब कुछ भूला हुआ हो।
2) संगमयुग पर पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं करनी है। कर्मों का हिसाब-किताब
खुशी-खुशी से चुक्तू करना है। रोना पीटना नहीं है। सब कुछ बाप पर न्योछावर कर फिर
ट्रस्टी बन सम्भालना है।
वरदान:-
महसूसता की
शक्ति द्वारा स्व परिवर्तन करने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव
कोई भी परिवर्तन का सहज
आधार महसूसता की शक्ति है। जब तक महसूसता की शक्ति नहीं आती तब तक अनुभूति नहीं होती
और जब तक अनुभूति नहीं तब तक ब्राह्मण जीवन की विशेषता का फाउण्डेशन मजबूत नहीं।
उमंग-उत्साह की चाल नहीं। जब महसूसता की शक्ति हर बात का अनुभवी बनाती है तब तीव्र
पुरुषार्थी बन जाते हो। महसूसता की शक्ति सदाकाल के लिए सहज परिवर्तन करा देती है।
स्लोगन:-
स्नेह
के स्वरूप को साकार में इमर्ज कर ब्रह्मा बाप समान बनो।