07-04-2024     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 01.03.99 "बापदादा"    मधुबन


“सम्पूर्ण पवित्र बनकर संस्कार मिलन मनाना - यही सच्ची होली है''


वरदान:-
समय को शिक्षक बनाने के बजाए बाप को शिक्षक बनाने वाले मास्टर रचयिता भव

कई बच्चों को सेवा का उमंग है लेकिन वैराग्य वृत्ति का अटेन्शन नहीं है, इसमें अलबेलापन है। चलता है... होता है... हो जायेगा...समय आयेगा तो ठीक हो जायेगा...ऐसा सोचना अर्थात् समय को अपना शिक्षक बनाना। बच्चे बाप को भी दिलासा देते हैं - फिकर नहीं करो, समय पर ठीक हो जायेगा, कर लेंगे। आगे बढ़ जायेंगे। लेकिन आप मास्टर रचयिता हो, समय आपकी रचना है। रचना मास्टर रचयिता का शिक्षक बनें यह शोभा नहीं देता।

स्लोगन:-
बाप की पालना का रिटर्न है - स्व को और सर्व को परिवर्तन करने में सहयोगी बनना।