08-04-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - इन आंखों से
जो कुछ देखते हो - यह सब ख़त्म हो जाना है, इसलिए इससे बेहद का वैराग्य, बाप
तुम्हारे लिए नई दुनिया बना रहे हैं''
प्रश्नः-
तुम बच्चों की
साइलेन्स में कौन-सा रहस्य समाया हुआ है?
उत्तर:-
जब तुम
साइलेन्स में बैठते हो तो शान्तिधाम को याद करते हो। तुम जानते हो साइलेन्स माना
जीते जी मरना। यहाँ बाप तुम्हें सद्गुरू के रूप में साइलेन्स रहना सिखलाते हैं। तुम
साइलेन्स में रह अपने विकर्मों को दग्ध करते हो। तुम्हें ज्ञान है कि अब घर जाना
है। दूसरे सतसंगों में शान्ति में बैठते हैं लेकिन उन्हें शान्ति-धाम का ज्ञान नहीं
है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा स्मृति रहे कि हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं, हमारा सबसे
ऊंच कुल है। हमें पवित्र बनना और बनाना है। पतित-पावन बाप का मददगार बनना है।
2) याद में कभी ग़फलत नहीं करना है। देह-अभिमान के कारण ही माया याद में विघ्न
डालती है इसलिए पहले देह-अभिमान को छोड़ना है। योग अग्नि द्वारा पाप नाश करने हैं।
वरदान:-
साधनों की
प्रवृत्ति में रहते कमल फूल समान न्यारे और प्यारे रहने वाले बेहद के वैरागी भव
साधन मिले हैं तो उन्हें
बड़े दिल से यूज़ करो, यह साधन हैं ही आपके लिए, लेकिन साधना को मर्ज नहीं करो। पूरा
बैलेन्स हो। साधन बुरे नहीं हैं, साधन तो आपके कर्म का, योग का फल हैं। लेकिन साधन
की प्रवृत्ति में रहते कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे बनो। यूज़ करते हुए
उन्हों के प्रभाव में नहीं आओ। साधनों में बेहद की वैराग्य वृत्ति मर्ज न हो। पहले
स्वयं में इसे इमर्ज करो फिर विश्व में वायुमण्डल फैलाओ।
स्लोगन:-
परेशान
को अपनी शान में स्थित कर देना ही सबसे अच्छी सेवा है।