10-04-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप के पास तुम रिफ्रेश होने आते हो, यहाँ तुम्हें दुनियावी वायब्रेशन से दूर सत का सच्चा संग मिलता है''

प्रश्नः-
बाबा बच्चों की उन्नति के लिए सदा कौन-सी एक राय देते हैं?

उत्तर:-
मीठे बच्चे, कभी भी आपस में संसारी झरमुई झगमुई की बातें नहीं करो। कोई सुनाता है तो सुनी-अनसुनी कर दो। अच्छे बच्चे अपने सर्विस की ड्युटी पूरी कर बाबा की याद में मस्त रहते हैं। परन्तु कई बच्चे फालतू व्यर्थ बातें बहुत खुशी से सुनते-सुनाते हैं, इसमें बहुत समय बरबाद जाता है, फिर उन्नति नहीं होती।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्विस की ड्युटी पूरी कर फिर अपनी मस्ती में रहना है। व्यर्थ की बातें सुननी वा सुनानी नहीं है। एक बाप के महावाक्य ही स्मृति में रखने हैं। उन्हें भूलना नहीं है।

2) सदा खुशी में रहने के लिए रचता और रचना की नॉलेज बुद्धि में चक्कर लगाती रहे अर्थात् उसका ही सिमरण होता रहे। किसी भी बात में संकल्प न चले, उसके लिए ड्रामा को अच्छी रीति समझकर पार्ट बजाना है।

वरदान:-
मैं पन को “बाबा'' में समा देने वाले निरन्तर योगी, सहजयोगी भव

जिन बच्चों का बाप से हर श्वांस में प्यार है, हर श्वांस में बाबा-बाबा है। उन्हें योग की मेहनत नहीं करनी पड़ती है। याद का प्रूफ है - कभी मुख से “मैं'' शब्द नहीं निकल सकता। बाबा-बाबा ही निकलेगा। “मैं पन'' बाबा में समा जाए। बाबा बैंकबोन है, बाबा ने कराया, बाबा सदा साथ है, तुम्हीं साथ रहना, खाना, चलना, फिरना...यह इमर्ज रूप में स्मृति रहे तब कहेंगे सहजयोगी।

स्लोगन:-
मैं-मैं करना माना माया रूपी बिल्ली का आह्वान करना, बाबा बाबा कहो तो माया भाग जायेगी।