17-04-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह वन्डरफुल
पढ़ाई बेहद का बाप पढ़ाते हैं, बाप और उनकी पढ़ाई में कोई भी संशय नहीं आना चाहिए,
पहला निश्चय चाहिए कि हमें पढ़ाने वाला कौन''
प्रश्नः-
तुम बच्चों को
निरन्तर याद की यात्रा में रहने की श्रीमत क्यों मिली है?
उत्तर:-
क्योंकि
माया दुश्मन अभी भी तुम्हारे पीछे है, जिसने तुमको गिराया है। अभी वह तुम्हारा पीछा
नहीं छोड़ेगा इसलिए ग़फलत नहीं करना। भल तुम संगमयुग पर हो परन्तु आधाकल्प उसके रहे
हो इसलिए जल्दी नहीं छोड़ेगा। याद भूली और माया ने विकर्म कराया इसलिए ख़बरदार रहना
है। आसुरी मत पर नहीं चलना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा नशा और निश्चय रहे कि हमें पढ़ाने वाला कोई जिस्मानी टीचर नहीं।
स्वयं ज्ञान सागर निराकार बाप टीचर बन हमें पढ़ा रहे हैं। इस पढ़ाई से ही हमें
सतोप्रधान बनना है।
2) आत्मा रूपी दीपक में रोज़ ज्ञान का घृत डालना है। ज्ञान घृत से सदा ऐसा
प्रज्जवलित रहना है जो माया का कोई भी त़ूफान हिला न सके। पूरा परवाना बन शमा पर
फिदा होना है।
वरदान:-
सदा एक बाप के
स्नेह में समाई हुई सहयोगी सो सहजयोगी आत्मा भव
जिन बच्चों का बाप से अति
स्नेह है, वह स्नेही आत्मा सदा बाप के श्रेष्ठ कार्य में सहयोगी होगी और जो जितना
सहयोगी उतना सहजयोगी बन जाता है। बाप के स्नेह में समाई हुई सहयोगी आत्मा कभी माया
की सहयोगी नहीं हो सकती। उनके हर संकल्प में बाबा और सेवा रहती इसलिए नींद भी करेंगे
तो उसमें बड़ा आराम मिलेगा, शान्ति और शक्ति मिलेगी। नींद, नींद नहीं होगी, जैसे
कमाई करके खुशी में लेटे हैं, इतना परिवर्तन हो जाता है।
स्लोगन:-
प्रेम
के आंसू दिल की डिब्बी में मोती बन जाते हैं।