18-04-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप है दाता, तुम बच्चों को बाप से कुछ भी मांगने की दरकार नहीं, कहावत है मांगने से मरना भला''

प्रश्नः-
कौन-सी स्मृति सदा रहे तो किसी भी बात की चिंता वा चिंतन नहीं रहेगा?

उत्तर:-
जो पास्ट हुआ - अच्छा वा बुरा, ड्रामा में था। सारा चक्र पूरा होकर फिर रिपीट होगा। जैसा जो पुरूषार्थ करते, ऐसा पद पाते हैं। यह बात स्मृति में रहे तो किसी भी बात की चिंता वा चिंतन नहीं रहेगा। बाप का डायरेक्शन है - बच्चे, बीती को चितवो नहीं। उल्टी-सुल्टी कोई भी बात न सुनो, न सुनाओ। जो बात बीत गई उसका न तो विचार करो और न रिपीट करो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) हम दु:ख हर्ता, सुख कर्ता बाप के बच्चे हैं, इसलिए किसी को भी दु:ख नहीं देना है। एम ऑब्जेक्ट को सामने रख दैवीगुण धारण करने हैं। आप समान बनाने की सेवा करनी है।

2) ड्रामा के हर पार्ट को जानते हुए कोई भी बीती बात का चिंतन नहीं करना है। मन्सा, वाचा, कर्मणा कोई ख़राब कर्म न हो - यह ध्यान देकर डबल अहिंसक बनना है।

वरदान:-
एक बाप को कम्पैनियन बनाने वा उसी कम्पन्नी में रहने वाले सम्पूर्ण पवित्र आत्मा भव

सम्पूर्ण पवित्र आत्मा वह है जिसके संकल्प और स्वप्न में भी ब्रह्मचर्य की धारणा हो, जो हर कदम में ब्रह्मा बाप के आचरण पर चलने वाला हो। पवित्रता का अर्थ है - सदा बाप को कम्पैनियन बनाना और बाप की कम्पन्नी में ही रहना। संगठन की कम्पन्नी, परिवार के स्नेह की मर्यादा अलग चीज़ है, लेकिन बाप के कारण ही यह संगठन के स्नेह की कम्पन्नी है, बाप नहीं होता तो परिवार कहाँ से आता। बाप बीज है, बीज को कभी नहीं भूलना।

स्लोगन:-
किसी के प्रभाव में प्रभावित होने वाले नहीं, ज्ञान का प्रभाव डालने वाले बनो।