19-04-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर, जयजयकार करने - पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार''

प्रश्नः-
कौन-सा ईश्वरीय नियम है जो गरीब ही बाप का पूरा वर्सा लेते, साहूकार नहीं ले पाते?

उत्तर:-
ईश्वरीय नियम है - पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ। तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं उनकी बुद्धि में कुछ भूलता नहीं इसलिए जिनको धन, दौलत, मित्र, सम्बन्धी याद रहते वह सच्चे योगी बन ही नहीं सकते हैं। उन्हें स्वर्ग में ऊंच पद नहीं मिल सकता।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का पूरा मददगार बनने के लिए सयाना, समझदार बनना है। अन्दर कोई खिटपिट न हो।

2) स्थापना और विनाश के कर्तव्य को देखते हुए पूरा निश्चयबुद्धि बन बाप को फालो करना है। पुरानी दुनिया के पाई-पैसे से, बुद्धि निकाल पूरा बेगर बनना है। मित्र-सम्बन्धी, धन-दौलत आदि सब कुछ भूल जाना है।

वरदान:-
संगठन में रहते, सबके स्नेही बनते बुद्धि का सहारा एक बाप को बनाने वाले कर्मयोगी भव

कोई कोई बच्चे संगठन में स्नेही बनने के बजाए न्यारे बन जाते हैं। डरते हैं कि कहीं फंस न जाएं, इससे तो दूर रहना ठीक है। लेकिन नहीं, 21 जन्म परिवार में रहना है, अगर डरकर किनारा करेंगे तो यह भी कर्म-संन्यासी के संस्कार हुए। कर्मयोगी बनना है, कर्म संन्यासी नहीं। संगठन में रहो, सबके स्नेही बनो लेकिन बुद्धि का सहारा एक बाप हो, दूसरा न कोई। बुद्धि को कोई आत्मा का साथ, गुण वा कोई विशेषता आकर्षित न करे तब कहेंगे कर्मयोगी पवित्र अत्मा।

स्लोगन:-
बापदादा के राइट हैण्ड बनो, लेफ्ट हैण्ड नहीं।