24-04-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम सवेरे अमीर बनते हो, शाम को फ़कीर बनते हो। फ़कीर से अमीर, पतित से पावन बनने के लिये दो शब्द याद रखो - मन्मनाभव, मध्याजीभव''

प्रश्नः-
कर्मबन्धन से मुक्त होने की युक्ति क्या है?

उत्तर:-
1. याद की यात्रा तथा ज्ञान का सिमरण, 2. एक के साथ सर्व सम्बन्ध रहें, अन्य कोई में भी बुद्धि न जाये, 3.जो सर्वशक्तिमान् बैटरी है, उस बैटरी से योग लगा हुआ हो। अपने ऊपर पूरा ध्यान हो, दैवी गुणों के पंख लगे हुए हों तो कर्मबन्धन से मुक्त होते जायेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) खुशबूदार फूल बनने के लिये संग की बहुत सम्भाल करनी है। हंसों का संग करना है, हंस होकर रहना है। मुरली में कभी बेपरवाह नहीं बनना है, गफलत नहीं करनी है।

2) कर्मबन्धन से मुक्त होने के लिये संगमयुग पर अपने सर्व सम्बन्ध एक बाप से रखने है। आपस में कोई सम्बन्ध नहीं रखना है। किसी हद के सम्बन्ध में लव रख बुद्धियोग लटकाना नहीं है। एक को ही याद करना है।

वरदान:-
परमात्म लव में लीन होने वा मिलन में मग्न होने वाले सच्चे स्नेही भव

स्नेह की निशानी गाई जाती है - कि दो होते भी दो न रहें लेकिन मिलकर एक हो जाएं, इसको ही समा जाना कहते हैं। भक्तों ने इसी स्नेह की स्थिति को समा जाना वा लीन होना कह दिया है। लव में लीन होना - यह स्थिति है लेकिन स्थिति के बदले उन्होंने आत्मा के अस्तित्व को सदा के लिए समाप्त होना समझ लिया है। आप बच्चे जब बाप के वा रूहानी माशूक के मिलन में मग्न हो जाते हो तो समान बन जाते हो।

स्लोगन:-
अन्तर्मुखी वह है जो व्यर्थ संकल्पों से मन का मौन रखता है।