26-04-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद की उन्नति करो, जितना अच्छी रीति बेहद की पढ़ाई पढ़ेंगे, उतनी उन्नति होगी''

प्रश्नः-
तुम बच्चे जो बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हो, इसमें सबसे ऊंच डिफीकल्ट सब्जेक्ट कौन-सी है?

उत्तर:-
इस पढ़ाई में सबसे ऊंची सब्जेक्ट है भाई-भाई की दृष्टि पक्की करना। बाप ने ज्ञान का जो तीसरा नेत्र दिया है उस नेत्र से आत्मा भाई-भाई को देखो। जरा भी आंखे धोखा न दें। किसी भी देहधारी के नाम-रूप में बुद्धि न जाये। बुद्धि में जरा भी विकारी छी-छी सकंल्प न चलें। यह है मेहनत। इस सब्जेक्ट में पास होने वाले विश्व का मालिक बन जायेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मन्सा-वाचा-कर्मणा पावन बनना है, बुद्धि में विकारी संकल्प भी न आयें, इसके लिए आत्मा भाई-भाई हूँ, यह अभ्यास करना है। किसी के नाम-रूप में नहीं फँसना है।

2) जैसे बाप व़फादार है, बच्चों को सुधार कर साथ ले जाते हैं, ऐसे व़फादार रहना है। कभी भी फारकती या डायओर्स नहीं देना।

वरदान:-
सदा हल्के बन बाप के नयनों में समाने वाले सहजयोगी भव

संगमयुग पर जो खुशियों की खान मिलती है वह और किसी युग में नहीं मिल सकती। इस समय बाप और बच्चों का मिलन है, वर्सा है, वरदान है। वर्सा अथवा वरदान दोनों में मेहनत नहीं होती इसलिए आपका टाइटल ही है सहजयोगी। बापदादा बच्चों की मेहनत देख नहीं सकते, कहते हैं बच्चे अपने सब बोझ बाप को देकर खुद हल्के हो जाओ। इतने हल्के बनो जो बाप अपने नयनों पर बिठाकर साथ ले जाये। बाप से स्नेह की निशानी है - सदा हल्के बन बाप की नज़रों में समा जाना।

स्लोगन:-
निगेटिव सोचने का रास्ता बंद कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे।