06-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 18.01.2006 "बापदादा" मधुबन
“संकल्प, समय और बोल
के बचत की स्कीम द्वारा सफलता की सेरीमनी मनाओ, निराश आत्माओं में आशा के दीप जगाओ''
आज स्नेह का दिन है।
चारों ओर के सभी बच्चे स्नेह के सागर में समाये हुए हैं। यह स्नेह सहजयोगी बनाने
वाला है। स्नेह सर्व अन्य आकर्षण से परे करने वाला है। स्नेह का वरदान आप सभी बच्चों
को जन्म का वरदान है। स्नेह में परिवर्तन कराने की शक्ति है। तो आज के दिन दो
प्रकार के बच्चे चारों ओर देखे। लवली बच्चे तो सभी हैं लेकिन एक हैं लवली बच्चे,
दूसरे हैं लवलीन बच्चे। लवलीन बच्चे हर संकल्प, हर श्वांस में, हर बोल, हर कर्म में
स्वत: ही बाप समान सहज रहते हैं, क्यों? बच्चों को बाप ने समर्थ भव का वरदान दिया
है। आज के दिन को स्मृति सो समर्थ दिवस कहते हो, क्यों? बाप ने आज के दिन स्वयं को
बैकबोन बनाया और लवलीन बच्चों को विश्व की स्टेज पर प्रत्यक्ष किया। व्यक्त में
प्रत्यक्ष बच्चों को किया और स्वयं अव्यक्त रूप में साथी बने।
आज के इस स्मृति सो
समर्थ दिवस पर बापदादा ने बच्चों को बालक सो मालिक बनाए सर्व शक्तिवान बाप को
मास्टर सर्वशक्तिवान बन प्रत्यक्ष करने का कार्य दिया और बाप देखके खुश है कि
यथायोग तथा शक्ति सभी बच्चे बाप को प्रत्यक्ष करने अर्थात् विश्व कल्याण कर विश्व
परिवर्तन करने के कार्य में लगे हुए हैं। बाप द्वारा सर्व शक्तियों का वर्सा जो मिला
हुआ है वह स्व प्रति और विश्व की आत्माओं के प्रति कार्य में लगा रहे हैं। बापदादा
भी ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान बाप समान उमंग-उत्साह में रहने वाले आलराउण्ड सेवाधारी,
नि:स्वार्थ सेवाधारी, बेहद के सेवाधारी बच्चों को पदम-पदमगुणा दिल से मुबारक दे रहे
हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। देश के बच्चे भी कम नहीं और विदेश के बच्चे भी कम नहीं
हैं। बापदादा ऐसे बच्चों की दिल ही दिल में महिमा भी करते और गीत भी गाते वाह! बच्चे
वाह! आप सभी वाह! वाह! बच्चे हो ना! हाथ हिला रहे हैं, बहुत अच्छा। बाप-दादा को
बच्चों के ऊपर फ़खुर है - सारे कल्प में ऐसा कोई बाप नहीं है जिसका हर बच्चा
स्वराज्य अधिकारी राजा हो। आप सभी तो स्वराज्य अधिकारी राजा हो ना! प्रजा तो नहीं
ना! कई बच्चे जब रूहरिहान करते हैं तो कहते हैं हम भविष्य में क्या बनेंगे, उसका
चित्र हमको दिखाओ। बापदादा क्या कहते हैं? पुराने बच्चे तो कहते हैं कि जगत अम्बा
माँ हर एक को चित्र देती थी, तो हमें भी चित्र दो। बापदादा कहते हैं हर एक बच्चे को
बाप ने विचित्र दर्पण दिया है, उस दर्पण में अपने भविष्य का चित्र देख सकते हो कि
मैं कौन! जानते हो, वह दर्पण आपके पास है? जानते हो कौन सा दर्पण? पहली लाइन वाले
तो जानते होंगे ना! जानते हैं? वह दर्पण है वर्तमान समय की स्वराज्य स्थिति का
दर्पण। वर्तमान समय जितना स्वराज्य अधिकारी हैं उस अनुसार विश्व के राज्य अधिकारी
बनेंगे। अब अपने आपको दर्पण में देखो स्वराज्य अधिकारी सदा हैं? वा कभी अधीन, कभी
अधिकारी? अगर कभी अधीन, कभी अधिकारी बनते हैं, कभी आंख धोखा देती, कभी मन धोखा देता,
कभी मुख धोखा देता, कभी कान भी धोखा दे देता है। व्यर्थ बातें सुनने का शौक हो जाता
है। अगर कोई भी कर्मेन्द्रिय धोखा देती है, परवश बना देती है, तो इससे सिद्ध है कि
बाप द्वारा जो सर्व शक्तियाँ वरदान में मिली हैं, वा वर्से में मिली हैं वह
कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर नहीं है। तो सोचो जो स्व के ऊपर रूल नहीं कर पाते वह
विश्व पर रूल कैसे करेंगे! अपने वर्तमान स्थिति के स्वराज्य अधिकारी के दर्पण में
चेक करो। दर्पण तो सभी को मिला है ना? दर्पण मिला है तो हाथ उठाओ। दर्पण में कोई
दाग तो नहीं हो गया है? स्पष्ट है दर्पण?
बापदादा ने हर एक
बच्चे को स्वराज्य अधिकारी का स्वमान दिया है। मास्टर सर्वशक्तिवान का टाइटिल सभी
बच्चों को बाप द्वारा मिला हुआ है। मास्टर शक्तिवान नहीं, सर्वशक्तिवान। कई बच्चे
रूहरिहान में यह भी कहते - बाबा आपने तो सर्वशक्तियां दी लेकिन यह शक्तियां कभी-कभी
समय पर काम नहीं करती। रिपोर्ट करते हैं - समय पर इमर्ज नहीं होती, समय बीत जाता है
पीछे इमर्ज होती हैं। कारण क्या होता? जिस समय जिस शक्ति को आह्वान करते हो उस समय
चेक करो कि मैं मालिकपन की सीट पर सेट हूँ? अगर कोई सीट पर सेट नहीं होता तो बिगर
सीट वाले का कोई आर्डर नहीं मानता है। स्वराज्य अधिकारी हूँ, मास्टर सर्वशक्तिवान
हूँ, बाप द्वारा वर्सा और वरदान का अधिकारी हूँ, इस सीट पर सेट होकर फिर आर्डर करो।
क्या करूं, कैसे करूं, होता नहीं, सीट से नीचे बैठ, सीट से उतरकर आर्डर करते हो तो
मानेगा कैसे! आजकल के जमाने में भी अगर कोई प्राइममिनिस्टर है, सीट पर है तो सब
मानेंगे और सीट से उतर गया तो कोई मानेगा? तो चेक करो सीट पर सेट हूँ? अधिकारी होकर
आर्डर करता हूँ? बाप ने हर एक बच्चे को अथॉरिटी दी है, परमात्म अथॉरिटी है, कोई
आत्मा की अथॉरिटी नहीं मिली है, महात्मा की अथॉरिटी नहीं मिली है, परमात्म अथॉरिटी
है, तो अथॉरिटी और अधिकार इस स्थिति में स्थित होकर कोई भी शक्ति को आर्डर करो, वह
जी हज़ूर, जी हज़ूर करेगी। सर्वशक्तियों के आगे यह माया, प्रकृति, संस्कार, स्वभाव
सब दासी बन जायेंगे। आप मालिक का इन्तजार करेंगे, मालिक कोई आर्डर करो।
आज समर्थ दिवस है ना,
तो क्या-क्या समर्थियां हैं बच्चों में वह बापदादा रिवाइज करा रहा है। अण्डरलाइन करा
रहा है। शक्तिहीन समय पर क्यों हो जाते? बापदादा ने देखा है, मैजारिटी बच्चों की
लीकेज है, शक्तियां लीकेज़ होने के कारण कम हो जाती हैं और लीकेज़ विशेष दो बातों
की है - वह दो बातें हैं - संकल्प और समय वेस्ट जाता है। खराब नहीं होता लेकिन
व्यर्थ, समय पर बुरा कार्य नहीं करते हैं लेकिन जमा भी नहीं करते हैं। सिर्फ देखते
हैं आज बुरा कुछ नहीं हुआ लेकिन अच्छा क्या जमा किया? गंवाया नहीं लेकिन कमाया?
दु:ख नहीं दिया लेकिन सुख कितनों को दिया? अशान्त किसको नहीं किया, शान्ति का
वायब्रेशन कितना फैलाया? शान्तिदूत बनके शान्ति कितनों को दी - वायुमण्डल द्वारा या
मुख द्वारा, वायब्रेशन द्वारा? क्योंकि जानते हो कि यही थोड़ा सा समय है पुरुषोत्तम
कल्याणकारी, जमा करने का समय है। अब नहीं तो कब नहीं, यह हर घड़ी याद रहे। हो जायेगा,
कर लेंगे..... अब नहीं तो कब नहीं। ब्रह्मा बाप का यही तीव्रगति का पुरुषार्थ रहा
तब नम्बरवन मंजिल पर पहुंचा। तो जो बाप ने समर्थियां दी हैं, आज समर्थ दिवस पर याद
आई ना! बचत की स्कीम बनाओ। संकल्प की बचत, समय की बचत, वाणी की बचत, जो यथार्थ बोल
नहीं हैं, अयथार्थ व्यर्थ बोल की बचत।
बापदादा सभी बच्चों
का सदा अथॉरिटी की सीट पर सेट हुआ स्वराज्य अधिकारी राजा रूप देखने चाहता है। पसन्द
है? यह रूप पसन्द है ना! कभी भी बापदादा किसी भी बच्चे को टी.वी. में देखे, तो इसी
रूप में देखे। बापदादा की नेचरल टी.वी. है, स्विच नहीं दबाना पड़ता। एक ही समय पर
चारों ओर का देख सकते हैं। हर एक बच्चे को, कोने-कोने वाले को देख सकते हैं। तो हो
सकता है? कल से टी.वी. खोलें तो क्या दिखाई देंगे? फरिश्ते की ड्रेस में, फरिश्ते
की ड्रेस है चमकीली लाइट की ड्रेस, यह शरीरभान के मिट्टी की ड्रेस नहीं पहनना।
चमकीली ड्रेस हो, सफलता का सितारा हो, ऐसी मूर्ति हर एक की बापदादा देखने चाहते
हैं। पसन्द है ना! मिट्टी की ड्रेस पहनेंगे तो मिट्टी के हो जायेंगे ना! जैसे बाप
अशरीरी है, ब्रह्मा बाप चमकीली ड्रेस में है, फरिश्ता है। तो फालो फादर। स्थूल में
देखो कोई आपके कपड़े में मिट्टी लग जाए, दाग हो जाए तो क्या करते हो? बदल लेते हो
ना! ऐसे ही चेक करो कि सदा चमकीली फरिश्ते की ड्रेस है? जो बाप को फ़खुर है कि हर
एक बच्चा राजा बच्चा है, उसी स्वरूप में रहो। राजा बनके रहो। फिर यह माया आपकी दासी
बन जायेगी और विदाई लेने आयेगी, आधाकल्प के लिए विदाई लेने आयेगी, वार नहीं करेगी।
बापदादा सदा कहते हैं - बाप के ऊपर बलिहार जाने वाले कभी हार नहीं खा सकते। अगर हार
है तो बलिहार नहीं हैं।
अभी आप सभी की मीटिंग
होने वाली है ना, मीटिंग की डेट फिक्स होती है ना। तो इस बारी सिर्फ सर्विस के
प्लैन की मीटिंग बापदादा नहीं देखने चाहते, सर्विस के प्लैन बनाओ लेकिन मीटिंग में
सफलता की सेरीमनी का प्लैन बनाओ। बहुत सेरीमनी कर ली अब सफलता की सेरीमनी की डेट
फिक्स करो। चलो सोचते हैं कि सभी कैसे होंगे! बापदादा कहते हैं कम से कम 108 रत्न
तो सफलतामूर्त की सेरीमनी मनायें। एक्जैम्पुल बनें। यह हो सकता है? बोलो, पहली लाइन
वाले बोलो, हो सकता है? जवाब देने की हिम्मत नहीं रखते। सोचते हैं पता नहीं करेंगे,
नहीं करेंगे? हिम्मत से सब कुछ हो सकता है। दादी बतावे - 108 सफलतामूर्त बन सकते
हैं? (हाँ जरूर बन सकते हैं, सफलता की सेरीमनी हो सकती है) देखो, दादी में हिम्मत
है। आप सबकी तरफ से हिम्मत रख रही है। तो सहयोगी बनना। तो यह जो मीटिंग होगी ना,
उसमें बापदादा रिपोर्ट लेंगे। पाण्डव बताओ ना, क्यों चुप हैं? चुप क्यों हैं? यह
हिम्मत क्यों नहीं रखते? करके दिखायेंगे? ऐसे? अच्छा है, हिम्मत तो रख सकते हैं? जो
समझते हैं हम तो हिम्मत रख करके दिखायेंगे, वह हाथ उठाओ। करेंगे? कोई संस्कार नहीं
रहेगा? कोई कमजोरी नहीं रहेगी? अच्छा, मधुबन वाले भी हाथ उठा रहे हैं। वाह! मुबारक
हो, मुबारक हो। अच्छा 108 तो फिर सहज हो जायेगा। इतनों ने हाथ उठाया तो 108 क्या बड़ी
बात है। डबल फॉरेनर्स क्या करेंगे? हाँ, दादी जानकी सुन रही है, उसको उमंग आ रहा है
मैं बोलूं। फॉरेन की माला भी देखेंगे, ठीक है? हाथ उठाओ, ठीक है? अच्छा, आज यह (डबल
फॉरेनर) कितने बैठे हैं? (200) इसमें से 108 तो तैयार हो जायेंगे! ठीक है ना! इसमें
करना पहले मैं। इसमें दूसरे को नहीं देखना, पहले मैं। और मैं-मैं नहीं करना, यह मैं
जरूर करना। और भी काम बापदादा देता है।
आज समर्थ दिवस है ना
तो समर्थी है। बापदादा एक विचित्र दीवाली मनाने चाहते हैं। आपने तो दीवाली कई बार
मनाई है लेकिन बापदादा विचित्र दीवाली मनाने चाहता है, सुनायें? अच्छा। वर्तमान समय
को तो देख ही रहे हो, दिन प्रतिदिन चारों ओर मनुष्य आत्माओं में निराशा बहुत बढ़ रही
है। तो चाहे मन्सा सेवा करो, चाहे वाचा करो, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क की करो, लेकिन
बाप-दादा निराश मनुष्यों के अन्दर आशा का दीप जगाने चाहते हैं। चारों ओर मनुष्य
आत्माओं के मन में आशा के दीपक जग जायें। यह आशा के दीपकों की दीवाली बापदादा देखने
चाहते हैं। हो सकता है? वायुमण्डल में कम से कम यह आशा का दीपक जग जाए तो अब विश्व
परिवर्तन हुआ कि हुआ, गोल्डन सवेरा आया कि आया। यह निराशा खत्म हो जाए - कुछ होना
नहीं है, कुछ होना नहीं है। आशा के दीप जग जाएं। कर सकते हैं ना, यह तो सहज है ना
या मुश्किल है? सहज है? जो करेगा वह हाथ उठाओ। करेंगे? इतने सभी दीपक जगायेंगे तो
दीपमाला तो हो जायेगी ना! वायब्रेशन इतना पावरफुल करो, चलो सामने पहुंच नहीं सकते
हैं लेकिन लाइट हाउस, माइट हाउस बन दूर तक वायब्रेशन फैलाओ। जब साइन्स लाइट हाउस
द्वारा दूर तक लाइट दे सकती है तो क्या आप वायब्रेशन नहीं फैला सकते! सिर्फ दृढ़
संकल्प करो - करना ही है। बिजी हो जाओ। मन को बिजी रखेंगे तो स्वयं को भी फायदा और
आत्माओं को भी फायदा। चलते-फिरते यही वृत्ति में रखो कि विश्व का कल्याण करना ही
है। यह वृत्ति वायुमण्डल फैलायेगी क्योंकि समय अचानक होने वाला है। ऐसा न हो कि आपके
भाई बहिनें उल्हना देवें कि आपने हमें बताया क्यों नहीं! कई बच्चे सोचते हैं अन्त
तक कर लेंगे लेकिन अन्त तक करेंगे तो भी आपको उल्हना देंगे। यही उल्हना देंगे हमको
कुछ समय पहले बताते, कुछ तो बना लेते इसलिए हर संकल्प में बापदादा की याद से लाइट
लेते जाओ, लाइट हाउस होके लाइट देते जाओ। टाइम वेस्ट नहीं करो, बापदादा जब देखते
हैं बहुत युद्ध करते हैं, तो बापदादा को अच्छा नहीं लगता। मास्टर सर्वशक्तिवान और
युद्ध कर रहा है! तो राजा बनो, सफलतामूर्त बनो, निराशा को खत्म कर आशा के दीप जगाओ।
अच्छा।
सभी तरफ के बच्चों की
स्नेह के याद की मालायें तो बहुत पहुंच गई हैं। बापदादा याद भेजने वालों को सम्मुख
देखते हुए याद का रेसपान्ड दिल की दुआयें, दिल का प्यार दे रहे हैं। अच्छा।
जो पहली बार आये हैं
वह उठो। अच्छा है, हर टर्न में देखा है मैजारिटी नये होते हैं। तो सर्विस बढ़ाई है
ना, इतनों को सन्देश दिया है। जैसे आप लोगों को सन्देश मिला ऐसे आप भी और दुगना,
दुगना सन्देश दो। योग्य बनाओ। अच्छा है। हर सबजेक्ट में और उमंग-उत्साह से आगे बढ़ो।
अच्छा है।
अच्छा - अभी लक्ष्य
रखो, चलते-फिरते चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा सेवा के बिना भी नहीं रहना है
और याद के बिना भी नहीं रहना है। याद और सेवा सदा ही साथ है ही। इतना अपने को बिजी
रखो, याद में भी सेवा में भी। खाली रहते हैं तो माया को आने का चांस मिलता है। इतना
बिजी रहो जो दूर से ही माया आने की हिम्मत नहीं रखे। फिर जो बाप समान बनने का
लक्ष्य रखा है, वह सहज हो जायेगा। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, स्नेही स्वरूप रहेंगे।
अच्छा।
बापदादा के नयनों में
समाये हुए नूरे रत्न बच्चे, बाप की सर्व प्रापर्टी के अधिकारी श्रेष्ठ आत्मायें
बच्चे, सदा उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ने वाले और उड़ाने वाले महावीर महावीरनियां
बच्चे, एक बाप ही संसार है इस लगन से मगन रहने वाले लवलीन बच्चों को, लवलीन बनना
अर्थात् बाप समान सहज बनना। तो लवली और लवलीन दोनों बच्चों को बहुत-बहुत पदम-पदमगुणा
यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:-
अपने हर कर्म
वा विशेषता द्वारा दाता की तरफ इशारा करने वाले सच्चे सेवाधारी भव
सच्चे सेवाधारी किसी
भी आत्मा को सहयोग देकर स्वयं में अटकायेंगे नहीं। वे सबका कनेक्शन बाप से करायेंगे।
उनका हर बोल बाप की स्मृति दिलाने वाला होगा। उनके हर कर्म से बाप दिखाई देगा। उन्हें
यह संकल्प भी नहीं आयेगा कि मेरी विशेषता के कारण यह मेरे सहयोगी हैं। यदि आपको देखा,
बाप को नहीं तो यह सेवा नहीं की, बाप को भुलाया। सच्चे सेवाधारी सत्य की तरफ सबका
सम्बन्ध जोड़ेंगे, स्वयं से नहीं।
स्लोगन:-
किसी भी प्रकार की अर्जी डालने के बजाए सदा राज़ी रहो।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
श्रेष्ठ भाग्य की
लकीर खींचने का आधार है - “श्रेष्ठ संकल्प और श्रेष्ठ कर्म।'' चाहे ट्रस्टी आत्मा
हो, चाहे सेवाधारी आत्मा हो, दोनों इसी आधार द्वारा नम्बर ले सकते हैं। दोनों को
भाग्य बनाने का पूरा चांस है, जो जितना भाग्य बनाना चाहे बना सकते हैं।