07-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 11.11.20 "बापदादा" मधुबन
सम्पूर्णता की समीपता
द्वारा प्रत्यक्षता के श्रेष्ठ समय को समीप लाओ
आज बापदादा अपने
होलीएस्ट, हाइएस्ट, लकीएस्ट, स्वीटेस्ट बच्चों को देख रहे हैं। सारी विश्व में समय
प्रति समय होलीएस्ट आत्मायें आती रही हैं। आप भी होलीएस्ट हो लेकिन आप श्रेष्ठ
आत्मायें प्रकृतिजीत बन, प्रकृति को भी सतोप्रधान बना देती हो। आपके पवित्रता की
पावर प्रकृति को भी सतोप्रधान पवित्र बना देती है इसलिए आप सभी आत्मायें प्रकृति का
यह शरीर भी पवित्र प्राप्त करती हो। आपके पवित्रता की शक्ति विश्व के जड़, चैतन्य
सर्व को पवित्र बना देती है इसलिए आपको शरीर भी पवित्र प्राप्त होता है। आत्मा भी
पवित्र, शरीर भी पवित्र और प्रकृति के साधन भी सतोप्रधान पावन होते हैं इसलिए विश्व
में होलीएस्ट आत्मायें हो। होलीएस्ट हो? अपने को समझते हो कि हम विश्व की होलीएस्ट
आत्मायें हैं? हाइएस्ट भी हो, क्यों हाइएस्ट हो? क्योंकि ऊंचे ते ऊंचे भगवन को
पहचान लिया। ऊंचे ते ऊंचे बाप द्वारा ऊंचे ते ऊंची आत्मायें बन गये। साधारण स्मृति,
वृत्ति, दृष्टि, कृति सब बदलकर श्रेष्ठ स्मृति स्वरूप, श्रेष्ठ वृत्ति, श्रेष्ठ
दृष्टि बन गई। किसी को भी मिलते हो तो किस वृत्ति से मिलते हो? ब्रदरहुड वृत्ति से,
आत्मिक दृष्टि से, कल्याण की भावना से, प्रभू परिवार के भाव से। तो हाइएस्ट हो गये
ना? बदल गये ना! और लकीएस्ट कितने हो? कोई ज्योतिषि ने आपके भाग्य की लकीर नहीं
खींची है, स्वयं भाग्य विधाता ने आपके भाग्य की लकीर खींची। और गैरन्टी कितनी बड़ी
दी है? 21 जन्मों के तकदीर की लकीर के अविनाशी की गैरन्टी ली है। एक जन्म की नहीं,
21 जन्म कभी दु:ख और अशान्ति की अनुभूति नहीं होगी। सदा सुखी रहेंगे। तीन बातें
जीवन में चाहिए - हेल्थ, वेल्थ और हैपी। यह तीनों ही आप सबको बाप द्वारा वर्से में
प्राप्त हो गया। गैरन्टी है ना 21 जन्मों की? सभी ने गैरन्टी ली है? पीछे वालों को
गैरन्टी मिली है? सभी हाथ उठा रहे हैं, बहुत अच्छा। बच्चा बनना अर्थात् बाप द्वारा
वर्सा मिलना। बच्चा बन नहीं रहे हो, बन रहे हो क्या? बच्चे बन रहे हो या बन गये हो?
बच्चा बनना नहीं होता। पैदा हुआ और बना। पैदा होते ही बाप के वर्से के अधिकारी बन
गये। तो ऐसा श्रेष्ठ भाग्य बाप द्वारा अभी प्राप्त कर लिया। और फिर रिचेस्ट भी हो।
ब्राह्मण आत्मा, क्षत्रिय नहीं ब्राह्मण। ब्राह्मण आत्मा निश्चय से अनुभव करती है
कि मैं श्रेष्ठ आत्मा, मैं फलाना नहीं, आत्मा रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड है। ब्राह्मण है
तो रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड है क्योंकि ब्राह्मण आत्मा के लिए परमात्म याद से हर कदम
में पदम हैं। तो सारे दिन में कितने कदम उठाते होंगे? सोचो। हर कदम में पदम, तो सारे
दिन में कितने पदम हो गये? ऐसी आत्मायें बाप द्वारा बन गये। मैं ब्राह्मण आत्मा क्या
हूँ, यह याद रहना ही भाग्य है। तो आज बापदादा हर एक के मस्तक पर भाग्य का चमकता हुआ
सितारा देख रहे हैं। आप भी अपने भाग्य का सितारा देख रहे हो?
बापदादा बच्चों को
देख खुश होते हैं या बच्चे बाप को देख खुश होते हैं? कौन खुश होता है? बाप या बच्चे?
कौन? (बच्चे) बाप खुश नहीं होता? बाप बच्चों को देख खुश होते और बच्चे बाप को देख
खुश होते हैं। दोनों खुश होते हैं क्योंकि बच्चे जानते हैं कि यह प्रभु मिलन, यह
परमात्म प्यार, यह परमात्म वर्सा, यह परमात्म प्राप्तियाँ अभी ही प्राप्त होती हैं।
“अब नहीं तो कब नहीं।'' ऐसे है?
बापदादा अभी सिर्फ एक
बात बच्चों को रिवाइज करा रहे हैं - कौन सी बात होगी? समझ तो गये हो। यही बापदादा
रिवाइज करा रहे हैं कि अब श्रेष्ठ समय को समीप लाओ। यह विश्व की आत्माओं का आवाज
है। लेकिन लाने वाले कौन? आप हो या और कोई है? ऐसे सुहावने श्रेष्ठ समय को समीप लाने
वाले आप सभी हो? अगर हो तो हाथ उठाओ। अच्छा फिर दूसरी बात भी है, वह भी समझ गये हो
तब हँस रहे हो? अच्छा, उसकी तारीख कौन-सी है? डेट तो फिक्स करो ना। अभी डेट फिक्स
की ना कि फारेनर्स का टर्न होना है। तो यह डेट तो फिक्स कर ली। तो ओ समय को समीप
लाने वाली आत्मायें बोलो इसकी डेट कौन सी है? वह नज़र आती है? पहले आपकी नज़रों में
आये तब विश्व पर आवे। बापदादा जब अमृतवेले विश्व में चक्र लगाते हैं तो देख-देख,
सुन-सुन रहम आता है। मौज में भी हैं लेकिन मौज के साथ मूंझे हुए भी हैं। तो बापदादा
पूछते हैं कि हे दाता के बच्चे मास्टर दाता कब अपने मास्टर दातापन का पार्ट तीव्रगति
से विश्व के आगे प्रत्यक्ष करेंगे? या अभी पर्दे के अन्दर तैयार हो रहे हो? तैयारी
कर रहे हो? विश्व परिवर्तन के निमित्त आत्मायें अब विश्व की आत्माओं के ऊपर रहम करो।
होना तो है ही, यह तो निश्चित है और होना भी आप निमित्त आत्माओं द्वारा ही है।
सिर्फ देरी किस बात की है? बापदादा यह एक सेरीमनी देखने चाहते हैं, कि हर एक
ब्राह्मण बच्चे के दिल में सम्पन्नता और सम्पूर्णता का झण्डा लहराया हुआ दिखाई दे।
जब हर ब्राह्मण के अन्दर सम्पूर्णता का झण्डा लहरायेगा तब ही विश्व में बाप की
प्रत्यक्षता का झण्डा लहरायेगा। तो यह फ्लैग सेरीमनी बापदादा देखने चाहते हैं। जैसे
शिवरात्रि पर शिव अवतरण का झण्डा लहराते हो, ऐसे अभी शिव शक्ति पाण्डव अवतरण का नारा
लगे। एक गीत बजाते हो ना - शिव शक्तियाँ आ गई। अभी विश्व यह गीत गाये कि शिव के साथ
शक्तियां, पाण्डव प्रत्यक्ष हो गये। पर्दे में कहाँ तक रहेंगे! पर्दे में रहना अच्छा
लगता है? थोड़ा-थोड़ा अच्छा लगता है! अच्छा नहीं लगता, तो हटाने वाला कौन? बाबा
हटायेगा? कौन हटायेगा? ड्रामा हटायेगा या आप हटायेंगे? जब आप हटायेंगे तो देरी क्यों?
तो ऐसे समझें ना कि पर्दे में रहना अच्छा लगता है? बस, बाप-दादा की अभी सिर्फ एक ही
यह श्रेष्ठ आशा है, सब गीत गायें वाह! आ गये, आ गये, आ गये। हो सकता है? देखो दादियाँ
सभी कहती हैं हो सकता है फिर क्यों नहीं होता? कारण क्या? जब सभी ऐसे ऐसे कर रहे
हैं, फिर कारण क्या है? (सभी सम्पन्न नहीं बने हैं) क्यों नहीं बने हैं? डेट बताओ
ना! (डेट तो बाबा आप बतायेंगे) बापदादा का महामंत्र याद है? बापदादा क्या कहते हैं?
“कब नहीं अब।'' (दादी जी कह रही हैं बाबा फाइनल डेट आप ही बताओ) अच्छा, बापदादा जो
डेट बतायेगा उसमें अपने को मोल्ड करके निभायेंगे? पाण्डव निभायेंगे? पक्का। अगर नीचे
ऊपर किया तो क्या करना पड़ेगा? (आप डेट देंगे तो कोई नीचे ऊपर नहीं करेगा) मुबारक
हो। अच्छा। अभी डेट बताते हैं, देखना। देखो, बापदादा फिर भी रहमदिल है, तो बापदादा
डेट बताते हैं अटेन्शन से सुनना।
बापदादा सब बच्चों से
यह श्रेष्ठ भावना रखते हैं, आशा रखते हैं - कम से कम 6 मास में, 6 मास कब तक पूरा
होगा? (मई में) मई में ‘मैं', ‘मैं' खत्म। बापदादा फिर भी मार्जिन देते हैं कि कम
से कम इन 6 मास में, जो बापदादा ने पहले भी सुनाया है और अगले सीजन में भी काम दिया
था, कि अपने को जीवनमुक्त स्थिति के अनुभव में लाओ। सतयुग के सृष्टि की जीवन-मुक्ति
नहीं, संगमयुग की जीवनमुक्त स्टेज। कोई भी विघ्न, परिस्थितियाँ, साधन वा मैं और
मेरापन, मैं बॉडी-कॉन्सेस का और मेरा बॉडी-कॉन्सेस की सेवा का, इन सबके प्रभाव से
मुक्त रहना। ऐसे नहीं कहना कि मैं तो मुक्त रहने चाहता था लेकिन यह विघ्न आ गया ना,
यह बात ही बहुत बड़ी हो गई ना। छोटी बात तो चल जाती है, यह बहुत बड़ी बात थी, यह
बहुत बड़ा पेपर था, बड़ा विघ्न था, बड़ी परिस्थिति थी। कितनी भी बड़े ते बड़ी
परिस्थिति, विघ्न, साधनों की आकर्षण सामना करे, सामना करेगी यह पहले ही बता देते
हैं लेकिन कम से कम 6 मास में 75 परसेन्ट मुक्त हो सकते हो? बापदादा 100 परसेन्ट नहीं
कह रहे हैं, 75 परसेन्ट, पौने तक तो आयेंगे तब पूरे पर पहुँचेंगे ना! तो 6 मास में,
एक मास भी नहीं 6 मास दे रहे हैं, वर्ष का आधा। तो क्या यह डेट फिक्स कर सकते हो?
देखो, दादियों ने कहा है फिक्स करो, दादियों का हुक्म तो मानना है ना! रिजल्ट देखकर
तो बापदादा स्वत: ही आकर्षण में आयेंगे, कहने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। तो 6 मास और
75 परसेंट, 100 नहीं कह रहे हैं। उसके लिए फिर आगे टाइम देंगे। तो इसमें एवररेडी
हो? एवररेडी नहीं 6 मास में रेडी। पसन्द है या थोड़ी हिम्मत कम है, पता नहीं क्या
होगा? शेर भी आयेगा, बिल्ली भी आयेगी, सब आयेंगे। विघ्न भी आयेंगे, परिस्थितियां भी
आयेंगी, साधन भी बढ़ेंगे लेकिन साधन के प्रभाव से मुक्त रहना। पसन्द है तो हाथ उठाओ।
टी.वी. घुमाओ। अच्छी तरह से हाथ उठाओ, नीचे नहीं करना। अच्छी सीन लग रही है। अच्छा,
इनएडवांस मुबारक हो।
यह नहीं कहना हमको तो
बहुत मरना पड़ेगा, मरो या जीओ लेकिन बनना है। यह मरना मीठा मरना है, इस मरने में
दु:ख नहीं होता है। यह मरना अनेकों के कल्याण के लिए मरना है, इसीलिए इस मरने में
मजा है। दु:ख नहीं है, सुख है। कोई बहाना नहीं करना, यह हो गया ना, इसीलिए हो गया।
बहाने बाजी नहीं चलेगी। बहाने बाजी करेंगे क्या? नहीं करेंगे ना! उड़ती कला की बाजी
करना और कोई बाजी नहीं। गिरती कला की बाजी, बहाने बाजी, कमजोरी की बाजी यह सब
समाप्त। उड़ती कला की बाजी। ठीक है ना! सबके चेहरे तो खिल गये हैं। जब 6 मास के बाद
मिलने आयेंगे तो कैसे चेहरे होंगे। तब भी फोटो निकालेंगे।
डबल फारेनर्स आये हैं
ना तो डबल प्रतिज्ञा करने का दिन आ गया। दूसरे किसको नहीं देखना, सी फादर, सी
ब्रह्मा मदर। दूसरा करे न करे, करेंगे तो सभी फिर भी उनके प्रति भी रहम भाव रखना।
कमजोर को शुभ भावना का बल देना, कमजोरी नहीं देखना। ऐसी आत्माओं को अपने हिम्मत के
हाथ से उठाना, ऊंचा करना। हिम्मत का हाथ सदा स्वयं प्रति और सर्व के प्रति बढ़ाते
रहना। हिम्मत का हाथ बहुत शक्तिशाली है। और बापदादा का वरदान है - हिम्मत का एक कदम
बच्चों का, हजार कदम बाप की मदद का। नि:स्वार्थ पुरुषार्थ में पहले मैं। नि:स्वार्थ
पुरुषार्थ, स्वार्थ का पुरुषार्थ नहीं, नि:स्वार्थ पुरुषार्थ इसमें जो ओटे वह
ब्रह्मा बाप समान।
ब्रह्मा बाप से तो
प्यार है ना! तब तो ब्रह्माकुमारी वा ब्रह्माकुमार कहलाते हो ना! जब चैलेन्ज करते
हो कि सेकेण्ड में जीवन-मुक्ति का वर्सा ले लो तो अभी सेकेण्ड में अपने को मुक्त
करने का अटेन्शन। अभी समय को समीप लाओ। आपके सम्पूर्णता की समीपता, श्रेष्ठ समय को
समीप लायेगी। मालिक हो ना, राजा हो ना! स्वराज्य अधिकारी हो? तो ऑर्डर करो। राजा तो
ऑर्डर करता है ना! यह नहीं करना है, यह करना है। बस ऑर्डर करो। अभी-अभी देखो मन को,
क्योंकि मन है मुख्य मत्री। तो हे राजा अपने मन मत्री को सेकेण्ड में ऑर्डर कर
अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? करो ऑर्डर एक सेकेण्ड में। (5 मिनट
ड्रिल) अच्छा।
सदा लवलीन और लक्की
आत्माओं को बापदादा द्वारा प्राप्त हुई सर्व प्राप्तियों के अनुभवी आत्माओं को,
स्वराज्य अधिकारी बन अधिकार द्वारा स्वराज्य करने वाली शक्तिशाली आत्माओं को, सदा
जीवनमुक्त स्थिति के अनुभवी हाइएस्ट आत्माओं को, भाग्य विधाता द्वारा श्रेष्ठ भाग्य
की लकीर द्वारा लकीएस्ट आत्माओं को, सदा पवित्रता की दृष्टि, वृत्ति द्वारा स्व
परिवर्तन विश्व परिवर्तन करने वाली होलीएस्ट आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और
नमस्ते।
डबल विदेशी मेहमानों
से (कॉल ऑफ टाइम के प्रोग्राम में आये हुए मेहमानों से):
सभी अपने स्वीट होम
में, स्वीट परिवार में पहुँच गये हैं ना! यह छोटा सा स्वीट परिवार प्यारा लगता है
ना! और आप भी कितने प्यारे हो गये हो! सबसे पहले परमात्म प्यारे बन गये। बने हैं
ना! बन गये या बनेंगे? देखो, आप सबको देखकर सब कितने खुश हो रहे हैं। क्यों खुश हो
रहे हैं? सभी के चेहरे देखो बहुत खुश हो रहे हैं। क्यों खुश हो रहे हैं? क्योंकि
जानते हैं कि यह सब गॉडली मैसेन्जर बन आत्माओं को मैसेज देने के निमित्त आत्मायें
हैं। (पाँचों खण्ड़ों के हैं) तो 5 खण्डों में मैसेज पहुँच जायेगा, सहज है ना।
प्लैन बहुत अच्छा बनाया है। इसमें परमात्म पावर भरके और परिवार का सहयोग लेके आगे
बढ़ते रहना। सभी के संकल्प बापदादा के पास पहुँच रहे हैं। संकल्प बहुत अच्छे-अच्छे
चल रहे हैं ना! प्लैन बन रहे हैं। तो प्लैन को प्रैक्टिकल लाने में हिम्मत आपकी और
मदद बाप की और ब्राह्मण परिवार की। सिर्फ निमित्त बनना है बस और मेहनत नहीं करनी
है। मैं परमात्म कार्य के निमित्त हूँ। कोई भी कार्य में आओ तो बाबा मैं
इन्स्ट्रुमेंट सेवा के अर्थ तैयार हूँ, मैं इन्स्ट्रुमेंट हूँ, चलाने वाला आपेही
चलायेगा। यह निमित्त भाव आपके चेहरों पर निर्माण और निर्मान भाव प्रत्यक्ष करेगा।
करावनहार निमित्त बनाए कार्य करायेगा। माइक आप और माइट बाप की। तो सहज है ना! तो
निमित्त बनके याद में हाज़िर हो जाओ, बस। तो आपकी सूरत, आपके फीचर्स स्वत: ही सेवा
के निमित्त बन जायेंगे। सिर्फ बोल द्वारा सेवा नहीं करेंगे लेकिन फीचर्स द्वारा भी
आपकी आन्तरिक खुशी चेहरे से दिखाई देगी। इसको ही कहा जाता है अलौकिकता। अभी अलौकिक
हो गये ना। लौकिकपन तो खत्म हुआ ना। मैं आत्मा हूँ - यह अलौकिक। मैं फलाना हूँ - यह
लौकिक। तो कौन हो? अलौकिक या लौकिक? अलौकिक हो ना! अच्छा है। बापदादा वा परिवार के
सामने पहुँच गये, यह बहुत अच्छी हिम्मत रखी। देखो, आप भी कोटों में कोई निकले ना।
कितना ग्रुप था, उसमें से कितने आये हो, तो कोटों में कोई निकले ना। अच्छा है -
बापदादा को ग्रुप पसन्द है। और यह देखो कितने खुश हो रहे हैं। आप से ज्यादा यह खुश
हो रहे हैं क्योंकि सेवा का रिटर्न सामने देख खुश हो रहे हैं। खुश हो रहे हैं ना -
मेहनत का फल मिल गया। अच्छा। अभी तो बालक सो मालिक हो। बालक मास्टर है। बच्चे को सदा
कहा जाता है मास्टर। अच्छा।
वरदान:-
सफल करने की
विधि से सफलता का वरदान प्राप्त करने वाले वरदानी मूर्त भव
संगमयुग पर आप बच्चों
को वर्सा भी है तो वरदान भी है कि “सफल करो और सफलता पाओ''। सफल करना है बीज और
सफलता है फल। अगर बीज अच्छा है तो फल नहीं मिले यह हो नहीं सकता। तो जैसे दूसरों को
कहते हो कि समय, संकल्प, सम्पत्ति सब सफल करो। ऐसे अपने सर्व खजानों की लिस्ट को
चेक करो कि कौन सा खजाना सफल हुआ और कौन सा व्यर्थ। सफल करते रहो तो सर्व खजानों से
सम्पन्न वरदानी मूर्त बन जायेंगे।
स्लोगन:-
परमात्म अवार्ड लेने के लिए व्यर्थ और निगेटिव को अवाइड करो।