12-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.11.2003 "बापदादा" मधुबन
“मन को एकाग्र कर,
एकाग्रता की शक्ति द्वारा फरिश्ता स्थिति का अनुभव करो''
आज सर्व खजानों के
मालिक अपने चारों ओर के सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे को सर्व खजानों
के मालिक बनाया है। ऐसा खजाना मिला है जो और कोई दे नहीं सकता। तो हर एक अपने को
खजानों से सम्पन्न अनुभव करते हो? सबसे श्रेष्ठ खजाना है ज्ञान का खजाना, शक्तियों
का खजाना, गुणों का खजाना, साथ-साथ बाप और सर्व ब्राह्मण आत्माओं द्वारा दुआओं का
खजाना। तो चेक करो यह सर्व खजाने प्राप्त हैं? सर्व खजानों से जो सम्पन्न आत्मा है
उसकी निशानी सदा नयनों से, चेहरे से, चलन से खुशी औरों को भी अनुभव होगी। जो भी
आत्मा सम्पर्क में भी आयेगी वह अनुभव करेगी कि यह आत्मा अलौकिक खुशी से, अलौकिक
न्यारी दिखाई देती है। आपकी खुशी को देख दूसरी आत्मायें भी थोड़े समय के लिए खुशी
अनुभव करेंगी। जैसे आप ब्राह्मण आत्माओं की सफेद ड्रेस सभी को कितनी न्यारी और
प्यारी लगती है। स्वच्छता, सादगी और पवित्रता अनुभव होती है। दूर से ही जान जाते
हैं यह ब्रह्माकुमार कुमारी है। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्माओं के चलन और चेहरे से सदा
खुशी की झलक, खुशनसीब की फलक दिखाई दे। आज सर्व आत्मायें महान दु:खी हैं, ऐसी
आत्मायें आपका खुशनुम: चेहरा देख, चलन देख एक घड़ी की भी खुशी की अनुभूति करें, जैसे
प्यासी आत्मा को अगर एक बूंद पानी की मिल जाती है तो कितना खुश हो जाता है। ऐसे खुशी
की अंचली आत्माओं के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसे सर्व खजानों से सदा सम्पन्न हो। हर
ब्राह्मण आत्मा स्वयं को सर्व खजानों से सदा भरपूर अनुभव करते हो वा कभी-कभी? खजाने
अविनाशी हैं, देने वाला दाता भी अविनाशी है तो रहना भी अविनाशी चाहिए क्योंकि आप
जैसी अलौकिक खुशी सारे कल्प में सिवाए आप ब्राह्मणों के किसको भी प्राप्त नहीं होती।
यह अभी की अलौकिक खुशी आधाकल्प प्रालब्ध के रूप में चलती है, तो सभी खुश हैं! इसमें
तो सभी ने हाथ उठाया, अच्छा - सदा खुश हैं? कभी खुशी जाती तो नहीं? कभी-कभी तो जाती
है! खुश रहते हो लेकिन सदा एकरस, उसमें अन्तर आ जाता है। खुश रहते हो लेकिन
परसेन्टेज़ में अन्तर आ जाता है।
बापदादा ऑटोमेटिक
टी.वी. से सब बच्चों के चेहरे देखते रहते हैं। तो क्या दिखाई देता है? एक दिन आप भी
अपने खुशी के चार्ट को चेक करो - अमृतवेले से लेकर रात तक क्या एक जैसी परसेन्टेज़
खुशी की रहती है? वा बदलती है? चेक करना तो आता है ना, आजकल देखो साइंस ने भी
चेकिंग की मशीनरी बहुत तेज कर दी है। तो आप भी चेक करो और अविनाशी बनाओ। सभी बच्चों
का बापदादा ने भी वर्तमान पुरुषार्थ चेक किया। पुरुषार्थ सब कर रहे हैं - कोई
यथाशक्ति, कोई शक्तिशाली। तो आज बापदादा ने सभी बच्चों के मन की स्थिति को चेक किया
क्योंकि मूल है ही मनमनाभव। सेवा में भी देखो तो मन्सा सेवा श्रेष्ठ सेवा है। कहते
भी हो मन जीत जगतजीत, तो मन की गति को चेक किया। तो क्या देखा? मन के मालिक बन मन
को चलाते हो लेकिन कभी-कभी मन आपको भी चलाता है। मन परवश भी कर देता है। बापदादा ने
देखा मन से लगन लगाते हैं लेकिन मन की स्थिति एकाग्र नहीं होती है।
वर्तमान समय मन की
एकाग्रता, एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी। अभी रिजल्ट में देखा कि मन को एकाग्र करने
चाहते हो लेकिन बीच-बीच में भटक जाता है। एकाग्रता की शक्ति अव्यक्त फरिश्ता स्थिति
का सहज अनुभव करायेगी। मन भटकता है, चाहे व्यर्थ बातों में, चाहे व्यर्थ संकल्पों
में, चाहे व्यर्थ व्यवहार में। जैसे कोई-कोई को शरीर से भी एकाग्र होकर बैठने की
आदत नहीं होती है, कोई को होती है। तो मन जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना
और ऐसा एकाग्र होना इसको कहा जाता है मन वश में है। एकाग्रता की शक्ति, मालिक-पन की
शक्ति सहज निर्विघ्न बना देती है। युद्ध नहीं करनी पड़ती है। एकाग्रता की शक्ति से
स्वत: ही एक बाप दूसरा न कोई - यह अनुभूति होती है। स्वत: होगी, मेहनत नहीं करनी
पड़ेगी। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एकरस फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति होती है।
ब्रह्मा बाप से प्यार है ना - तो ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता बनना।
एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही सर्व प्रति स्नेह, कल्याण, सम्मान की वृत्ति रहती ही
है क्योंकि एकाग्रता अर्थात् स्वमान की स्थिति। फरिश्ता स्थिति स्वमान है। जैसे
ब्रह्मा बाप को देखा, वर्णन भी करते हो जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता रहा तो क्या
देखा? चलता-फिरता फरिश्ता रूप, देह-भान रहित। देह की फीलिंग आती थी? सामने जाते रहे
तो देह देखने आती थी या फरिश्ता रूप अनुभव होता था? कर्म करते भी, बातचीत करते भी,
डायरेक्शन देते भी, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारा, सूक्ष्म प्रकाश रूप की
अनुभूति की। कहते हो ना कि ब्रह्मा बाबा बात करते-करते ऐसे लगता था जैसे बात कर भी
रहा है लेकिन यहाँ नहीं है, देख रहा है लेकिन दृष्टि अलौकिक है, यह स्थूल दृष्टि नहीं
है। देहभान से न्यारा, दूसरे को भी देह का भान नहीं आये, न्यारा रूप दिखाई दे, इसको
कहा जाता है देह में रहते फरिश्ता स्वरूप। हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में,
कर्म में न्यारापन अनुभव हो। यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता
है। आत्मिक प्यारा। ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करे और औरों को भी कराये
क्योंकि बिना फरिश्ता बने देवता नहीं बन सकते हैं। फरिश्ता सो देवता है। तो नम्बरवन
ब्रह्मा की आत्मा ने प्रत्यक्ष साकार रूप में भी फरिश्ता जीवन का अनुभव कराया और
फरिश्ता स्वरूप बन गया। उसी फरिश्ते रूप के साथ आप सभी को भी फरिश्ता बन परमधाम में
चलना है। तो इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। ऑर्डर से मन को चलाओ। करना है
तो मन द्वारा कर्म हो, नहीं करना है और मन कहे करो, यह मालिकपन नहीं है। अभी कई
बच्चे कहते हैं चाहते नहीं हैं लेकिन हो गया। सोचते नहीं हैं लेकिन हो गया, करना नहीं
चाहिए लेकिन हो जाता है - यह है मन के वशीभूत अवस्था। तो ऐसी अवस्था अच्छी तो नहीं
लगती है ना! फॉलो ब्रह्मा बाप। ब्रह्मा बाप को देखा सामने खड़े होते भी क्या अनुभव
होता था? फरिश्ता खड़ा है, फरिश्ता दृष्टि दे रहा है। तो मन के एकाग्रता की शक्ति
सहज फरिश्ता बना देगी। ब्रह्मा बाप भी बच्चों को यही कहते हैं - समान बनो। शिव बाप
कहते हैं निराकारी बनो, ब्रह्मा बाप कहते हैं फरिश्ता बनो। तो क्या समझा? रिजल्ट
में क्या देखा? मन की एकाग्रता कम है। बीच-बीच में चक्कर बहुत लगाता है मन, भटकता
है। जहाँ जाना नहीं चाहिए वहाँ जाता है तो उसको क्या कहेंगे? भटकना कहेंगे ना! तो
एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ। मालिकपन के स्टेज की सीट पर सेट रहो। जब सेट होते हैं
तो अपसेट नहीं होते, सेट नहीं हैं तो अपसेट होते हैं। तो भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ
स्थितियों की सीट पर सेट रहो, इसको कहते हैं एकाग्रता की शक्ति। ठीक है? ब्रह्मा
बाप से प्यार है ना! कितना प्यार है? कितना है? बहुत प्यार है! तो प्यार का
रेसपान्ड बाप को क्या दिया है? बाप का भी प्यार है तब तो आपका भी प्यार है ना! तो
रिटर्न क्या दिया? समान बनना - यही रिटर्न है। अच्छा।
डबल विदेशी भी आये
हैं। अच्छा है, डबल विदेशियों से भी मधुबन का श्रृंगार हो जाता है। इन्टरनेशनल हो
जाता है ना! देखो, मधुबन में वर्गीकरण की सेवा होती है, उससे आवाज चारों ओर फैलता
है। आप देखेंगे जब से यह वर्गीकरण की सेवा शुरू की है तो आई.पी. क्वालिटी में आवाज
ज्यादा फैला है। वी.वी.आई.पी. की तो बात छोड़ो, उन्हों को फुर्सत कहाँ है। और
बड़े-बड़े प्रोग्राम किये हैं उससे भी आवाज तो फैलता है। अभी देहली और कलकत्ता कर
रहे हैं ना! अच्छे प्लैन बना रहे हैं। मेहनत भी अच्छी कर रहे हैं। बापदादा के पास
समाचार पहुँचता रहता है। देहली का आवाज फॉरेन तक पहुँचना चाहिए। मीडिया वाले क्या
करते हैं? सिर्फ भारत तक। फॉरेन से आवाज आये कि देहली में यह प्रोग्राम हुआ, कलकत्ता
में यह प्रोग्राम हुआ। यह वहाँ का आवाज इण्डिया में आवे। इण्डिया के कुम्भकरण तो
विदेश से जागने हैं ना! तो विदेश की खबर का महत्व होता है। प्रोग्राम भारत में हो
और समाचार विदेश की अखबारों से पहुँचे तब फैलेगा। भारत का आवाज विदेश में पहुँचे और
विदेश का आवाज भारत में पहुँचे, उसका प्रभाव होता है। अच्छा है। प्रोग्राम जो बना
रहे हैं, अच्छे बना रहे हैं। बापदादा देहली वालों को भी मुहब्बत के मेहनत की मुबारक
देते हैं। कलकत्ता वालों को भी इनएडवांस मुबारक है क्योंकि सहयोग, स्नेह और हिम्मत
जब तीनों बातें मिल जाती हैं तो आवाज बुलन्द होता है। आवाज फैलेगा, क्यों नहीं
फैलेगा। अभी मीडिया वाले यह कमाल करना, सभी ने टी.वी. में देखा, यह टी.वी. में आया,
सिर्फ यह नहीं। वह तो भारत में आ रहा है। अभी और विदेश तक पहुँचो। अभी देखेंगे यह
साल आवाज फैलाने का कितना हिम्मत और जोर-शोर से मनाते हो। बापदादा को समाचार मिला
कि डबल फॉरेनर्स को बहुत उमंग है। है ना? अच्छा है। एक दो को देख और उमंग आता है,
जो ओटे वह ब्रह्मा समान। अच्छा है। तो दादी को भी संकल्प आता है, बिजी करने का तरीका
अच्छा आता है। अच्छा है, निमित्त है ना।
अच्छा - सभी उड़ती कला
वाले हो? उड़ती कला फास्ट कला है। चलती कला, चढ़ती कला यह फास्ट कला नहीं है। उड़ती
कला फास्ट भी है और फर्स्ट लाने वाली भी है। अच्छा -
मातायें क्या करेंगी?
मातायें अपने हमजिन्स को जगाओ। कम से कम मातायें कोई उल्हना देने वाली नहीं रह जायें।
माताओं की संख्या सदा ज्यादा होती है। बापदादा को खुशी होती है और इस ग्रुप में सभी
की संख्या अच्छी आई है। कुमारों की संख्या भी अच्छी आई है। देखो, कुमार अपने
हमजिन्स को जगाओ। अच्छा है। कुमार यह कमाल दिखावें कि स्वप्न मात्र पवित्रता में
परिपक्व हैं। बापदादा विश्व में चैलेन्ज करके बताये कि ब्रह्माकुमार यूथ कुमार, डबल
कुमार हैं ना। ब्रह्माकुमार भी हो और शरीर में भी कुमार हो। तो पवित्रता की परिभाषा
प्रैक्टिकल में हो। तो आर्डर करें, आपको चेक करें पवित्रता के लिए। करें आर्डर? इसमें
हाथ नहीं उठा रहे हैं। मशीनें होती हैं चेक करने की। स्वप्न तक भी अपवित्रता हिम्मत
नहीं रखे। कुमारियों को भी ऐसे बनना है, कुमारी अर्थात् पूज्य पवित्र कुमारी। कुमार
और कुमारियां यह बापदादा को प्रॉमिस करें कि हम सभी इतने पवित्र हैं जो स्वप्न में
भी संकल्प नहीं आ सकता, तब कुमार और कुमारियों की पवित्रता सेरीमनी मनायेंगे। अभी
थोड़ा-थोड़ा है, बापदादा को पता है। अपवित्रता की अविद्या हो क्योंकि नया जन्म लिया
ना। अपवित्रता आपके पास्ट जन्म की बात है। मरजीवा जन्म, जन्म ही ब्रह्मा मुख से
पवित्र जन्म है। तो पवित्र जन्म की मर्यादा बहुत आवश्यक है। कुमार कुमारियों को यह
झण्डा लहराना चाहिए। पवित्र हैं, पवित्र संस्कार विश्व में फैलायेंगे, यह नारा लगे।
सुना कुमारियों ने। देखो कुमारियां कितनी हैं। अभी देखेंगे कुमारियां यह आवाज फैलाती
हैं या कुमार? ब्रह्मा बाप को फॉलो करो। अपवित्रता का नाम निशान नहीं, ब्राह्मण
जीवन माना यह है। माताओं में भी मोह है तो अपवित्रता है। मातायें भी ब्राह्मण हैं
ना। तो ना माताओं में, ना कुमारियों में, ना कुमारों में, न अधर कुमार कुमारियों
में। ब्राह्मण माना ही है पवित्र आत्मा। अपवित्रता का अगर कोई कार्य होता भी है तो
यह बड़ा पाप है। इस पाप की सजा बहुत कड़ी है। ऐसे नहीं समझना यह तो चलता ही है। थोड़ा
बहुत तो चलेगा ही, नहीं। यह फर्स्ट सबजेक्ट है। नवीनता ही पवित्रता की है। ब्रह्मा
बाप ने अगर गालियां खाई तो पवित्रता के कारण। हो गया, ऐसे छूटेंगे नहीं। अलबेले नहीं
बनो इसमें। कोई भी ब्राह्मण चाहे सरेण्डर है, चाहे सेवाधारी है, चाहे प्रवृत्ति वाला
है, इस बात में धर्मराज भी नहीं छोड़ेगा, ब्रह्मा बाप भी धर्मराज को साथ देगा इसलिए
कुमार कुमारियां कहाँ भी हो, मधुबन में हो, सेन्टर पर हो लेकिन इसकी चोट, संकल्प
मात्र की चोट भी बहुत बड़ी चोट है। गीत गाते हो ना - पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो..
गीत है ना आपका। तो मन पवित्र है तो जीवन पवित्र है इसमें हल्के नहीं होना, थोड़ा
कर लिया क्या है! थोड़ा नहीं है, बहुत है। बापदादा आफिशियल इशारा दे रहा है, इसमें
नहीं बच सकेंगे। इसका हिसाब-किताब अच्छी तरह से लेंगे, कोई भी हो इसलिए सावधान,
अटेन्शन। सुना - सभी ने ध्यान से। दोनों कान खोल के सुनना। वृत्ति में भी टचिंग नहीं
हो। दृष्टि में भी टचिंग नहीं। संकल्प में नहीं तो वृत्ति दृष्टि क्या है! क्योंकि
समय सम्पन्नता का समीप आ रहा है, बिल्कुल प्युअर बनने का। उसमें यह चीज़ तो पूरा ही
सफेद कागज पर काला दाग है। अच्छा - सभी जहाँ-जहाँ से भी आये हैं, सब तरफ से आये हुए
बच्चों को मुबारक हो।
अच्छा - मन को आर्डर
से चलाओ। सेकण्ड में जहाँ चाहो वहाँ मन लग जाये, टिक जाये। यह एक्सरसाइज़ करो। (ड्रिल)
अच्छा - कई जगह बच्चे सुन रहे हैं। याद भी कर रहे हैं, सुन भी रहे हैं। यह सुनकर
खुश भी हो रहे हैं कि साइंस के साधन वास्तव में सुखदाई आप बच्चों के लिए हैं।
चारों ओर के सर्व
खजानों से सदा सम्पन्न बच्चों को, सदा खुशनसीब, खुशनुम: चेहरे और चलन से खुशी की
अंचली देने वाले विश्व कल्याणकारी बच्चों को, सदा मन के मालिक बन एकाग्रता की शक्ति
द्वारा मन को कन्ट्रोल करने वाले मनजीत, जगत-जीत बच्चों को, सदा ब्राह्मण जीवन की
विशेषता पवित्रता के पर्सनैलिटी में रहने वाले पवित्र ब्राह्मण आत्माओं को, सदा डबल
लाइट बन फरिश्ता जीवन में ब्रह्मा बाप को फॉलो करने वाले, ऐसे ब्रह्मा बाप समान
बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते। चारों ओर सुनने वाले, याद करने वाले सर्व
बच्चों को भी बहुत-बहुत दिल की दुआओं सहित यादप्यार, सर्व को नमस्ते।
वरदान:-
साकार बाप को
फालो कर नम्बरवन लेने वाले सम्पूर्ण फरिश्ता भव
नम्बरवन आने का सहज
साधन है - जो नम्बरवन ब्रह्मा बाप है, उसी वन को देखो। अनेकों को देखने के बजाए एक
को देखो और एक को फालो करो। हम सो फरिश्ता का मन्त्र पक्का कर लो तो अन्तर मिट
जायेगा फिर साइन्स का यन्त्र अपना काम शुरू करेगा और आप सम्पूर्ण फरिश्ते देवता बन
नई दुनिया में अवतरित होंगे। तो सम्पूर्ण फरिश्ता बनना अर्थात् साकार बाप को फालो
करना।
स्लोगन:-
मान के त्याग में सर्व के माननीय बनने का भाग्य समाया हुआ है।
अपनी शक्तिशाली मन्सा
द्वारा सकाश देने की सेवा करो
जैसे बापदादा को रहम
आता है, ऐसे आप बच्चे भी मास्टर रहमदिल बन मन्सा अपनी वृत्ति से वायुमण्डल द्वारा
आत्माओं को बाप द्वारा मिली हुई शक्तियां दो। जब थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा
सम्पन्न करनी है, तत्वों सहित सबको पावन बनाना है तो तीव्र गति से सेवा करो।