ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत की लाइन सुनी। गीत तो यह भक्ति मार्ग का है फिर
उनको ज्ञान में ट्रांसफर किया जाता है और कोई ट्रांसफर कर न सके। तुम्हारे में भी
नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जान सकते हैं, दीवा क्या है, तूफान क्या है! बच्चे जानते
हैं आत्मा की ज्योत उझाई हुई है। अब बाप आये हैं ज्योत जगाने लिए। कोई मरते हैं तो
भी दीवा जलाते हैं। उसकी बड़ी खबरदारी रखते हैं। समझते हैं दीवा अगर बुझ गया तो
आत्मा को अन्धियारे से जाना पड़ेगा इसलिए दीवा जलाते हैं। अब सतयुग में तो यह बातें
होती नहीं। वहाँ तो सोझरे में होंगे। भूख आदि की बात ही नहीं, वहाँ तो बड़े माल
मिलते हैं। यहाँ है घोर अन्धियारा। छी-छी दुनिया है ना। सब आत्माओं की ज्योत उझाई
हुई है। सबसे जास्ती ज्योत तुम्हारी उझाई हुई है। खास तुम्हारे लिए ही बाप आते हैं।
तुम्हारी ज्योत उझा गई हैं, अब करेन्ट कहाँ से मिले? बच्चे जानते हैं करेन्ट तो बाप
से ही मिलेगी। करेन्ट जोर होती है तो बल्ब में रोशनी तेज़ हो जाती है। तो अभी तुम
करेन्ट ले रहे हो, बड़ी मशीन से। देखो, बाम्बे जैसे शहर में कितने ढेर आदमी रहते
हैं, कितनी जास्ती करेन्ट चाहिए। जरूर इतनी बड़ी मशीन होगी। यह है बेहद की बात। सारे
दुनिया की आत्माओं की ज्योत बुझी हुई है। उनको करेन्ट देना है। मूल बात बाप समझाते
हैं, बुद्धियोग बाप से लगाओ। देही-अभिमानी बनो। कितना बड़ा बाप है, सारी दुनिया के
पतित मनुष्यों को पावन करने वाला सुप्रीम बाप आया है सबकी ज्योत जगाने। सारी दुनिया
के मनुष्य-मात्र की ज्योत जगाते हैं। बाप कौन है, कैसे ज्योत जगाते हैं? यह तो कोई
नहीं जानते। उनको ज्योति स्वरूप भी कहते हैं फिर सर्वव्यापी भी कह देते हैं। ज्योति
स्वरूप को बुलाते हैं क्योंकि ज्योति बुझ गई है। साक्षात्कार भी होता है, अखण्ड
ज्योति का। दिखलाते हैं अर्जुन ने कहा मैं तेज सहन नहीं कर सकता हूँ। बहुत करेन्ट
है। तो अब इन बातों को तुम बच्चे अभी समझते हो। सबको समझाना भी यह है कि तुम आत्मा
हो। आत्मायें ऊपर से यहाँ आती हैं। पहले आत्मा पवित्र है, उनमें करेन्ट है।
सतोप्रधान है। गोल्डन एज में पवित्र आत्मायें हैं फिर उनको अपवित्र भी बनना है। जब
अपवित्र बनते हैं तब गॉड फादर को बुलाते हैं कि आकर लिबरेट करो अर्थात् दु:ख से
मुक्त करो। लिबरेट करना और पावन बनाना दोनों का अर्थ अलग-अलग है। जरूर कोई से पतित
बने हैं तब कहते हैं बाबा आओ, आकर लिबरेट भी करो, पावन भी बनाओ। यहाँ से शान्तिधाम
ले चलो। शान्ति का वर दो। अब बाप ने समझाया है - यहाँ शान्त में तो रह नहीं सकते।
शान्ति तो है ही शान्तिधाम में। सतयुग में एक धर्म, एक राज्य है तो शान्ति रहती है।
कोई हंगामा नहीं। यहाँ मनुष्य तंग होते हैं अशान्ति से। एक ही घर में कितना झगड़ा
हो पड़ता है। समझो स्त्री-पुरूष का झगड़ा है तो माँ, बाप, बच्चे, भाई-बहन आदि सब
तंग हो पड़ते हैं। अशान्ति वाला मनुष्य जहाँ जायेगा अशान्ति ही फैलायेगा क्योंकि
आसुरी स्वभाव है ना। अभी तुम जानते हो सतयुग है सुखधाम। वहाँ सुख और शान्ति दोनों
हैं। और वहाँ (परमधाम में) तो सिर्फ शान्ति है, उनको कहा जाता है स्वीट साइलेन्स
होम। मुक्तिधाम वालों को सिर्फ इतना ही समझाना होता है तुमको मुक्ति चाहिए ना तो
बाप को याद करो।
मुक्ति के बाद जीवनमुक्ति जरूर है। पहले जीवनमुक्त होते हैं फिर जीवनबंध में आते
हैं। आधा-आधा है ना। सतोप्रधान से फिर सतो, रजो, तमो में जरूर आना है। पिछाड़ी में
जो एक आधा जन्म लिए आते होंगे, वह क्या सुख-दु:ख का अनुभव करते होंगे। तुम तो सारा
अनुभव करते हो। तुम जानते हो इतने जन्म हम सुख में रहते हैं फिर इतने जन्म दु:ख में
होते हैं। फलाने-फलाने धर्म नई दुनिया में आ नहीं सकते। उनका पार्ट ही बाद में है,
भल नया खण्ड है, उनके लिए जैसे कि वह नई दुनिया है। जैसे बौद्धी खण्ड, क्रिश्चियन
खण्ड नया हुआ ना। उनको भी सतो, रजो, तमो से पास करना है। झाड़ में भी ऐसे होता है
ना। आहिस्ते-आहिस्ते वृद्धि होती जाती है। पहले जो निकले वह नीचे ही रहते हैं। देखा
है ना - नये-नये पत्ते कैसे निकलते हैं। छोटे-छोटे हरे पत्ते निकलते रहते हैं फिर
बौर (फूल) निकलता है, नया झाड़ बहुत छोटा है। नया बीज डाला जाता है, उनकी पूरी
परवरिश नहीं होती तो सड़ जाता है। तुम भी पूरी परवरिश नहीं करते हो तो सड़ जाते
हैं। बाप आकर मनुष्य से देवता बनाते हैं फिर उसमें नम्बरवार बनते हैं। राजधानी
स्थापन होती है ना। बहुत फेल हो पड़ते हैं।
बच्चों की जैसी अवस्था है, ऐसा प्यार बाप से मिलता है। कई बच्चों को बाहर से भी
प्यार करना होता है। कोई-कोई लिखते हैं बाबा हम फेल हो गये। पतित बन गये। अब उनको
कौन हाथ लगायेगा! वह बाप की दिल पर चढ़ नहीं सकते। पवित्र को ही बाबा वर्सा दे सकते
हैं। पहले एक-एक से पूरा समाचार पूछ पोतामेल लेते हैं। जैसी अवस्था वैसा प्यार।
बाहर से भल प्यार करेंगे, अन्दर जानते हैं यह बिल्कुल ही बुद्धू है, सर्विस कर नहीं
सकते। ख्याल तो रहता है ना। अज्ञान काल में बच्चा अच्छा कमाने वाला होता है तो बाप
भी बहुत प्रेम से मिलेगा। कोई इतना कमाने वाला नहीं होगा तो बाप का भी इतना प्यार
नहीं रहता। तो यहाँ भी ऐसे है। बच्चे बाहर में भी सर्विस करते हैं ना। भल कोई भी
धर्म वाला हो, उनको समझाना चाहिए। बाप को लिबरेटर कहा जाता है ना। लिबरेटर और गाइड
कौन है, उनका परिचय देना है। सुप्रीम गॉड फादर आते हैं, सबको लिबरेट करते हैं। बाप
कहते हैं तुम कितने पतित बन गये हो। प्योरिटी है नहीं। अब मुझे याद करो। बाप तो एवर
प्योर है। बाकी सब पवित्र से अपवित्र जरूर बनते हैं। पुनर्जन्म लेते-लेते उतरते आते
हैं। इस समय सब पतित हैं इसलिए बाप राय देते हैं - बच्चे, तुम मुझे याद करो तो पावन
बन जायेंगे। अब मौत तो सामने खड़ा है। पुरानी दुनिया का अब अन्त है। माया का पॉम्प
कितना है इसलिए मनुष्य समझते हैं यह तो स्वर्ग है। एरोप्लेन, बिजलियाँ आदि क्या-क्या
हैं, यह है सब माया का पॉम्प। यह अब खत्म होना है। फिर स्वर्ग की स्थापना हो जायेगी।
यह बिजलियाँ आदि सब स्वर्ग में तो होते हैं। अब यह सब स्वर्ग में कैसे आयेंगे। जरूर
जानकारी वाला चाहिए ना। तुम्हारे पास बहुत अच्छे-अच्छे कारीगर लोग भी आयेंगे। वह
राजाई में तो आयेंगे नहीं फिर भी तुम्हारी प्रजा में आ जायेंगे। इन्जीनियर आदि सीखे
हुए अच्छे-अच्छे कारीगर आयेंगे। यह फैशन सारा बाहर विलायत से आता जाता है। तो बाहर
वालों को भी तुम्हें शिवबाबा का परिचय देना है। बाप को याद करो। तुमको भी योग में
रहने का ही पुरूषार्थ बहुत करना है, इसमें ही माया के तूफान बहुत आते हैं। बाप
सिर्फ कहते हैं मामेकम् याद करो। यह तो अच्छी बात है ना। क्राइस्ट भी उनकी रचना है,
रचयिता सुप्रीम सोल तो एक है। बाकी सब है रचना। वर्सा रचता से ही मिलता है। ऐसे-ऐसे
अच्छी प्वाइंट जो हैं वह नोट करनी चाहिए।
बाप का मुख्य कर्तव्य है सबको दु:ख से लिबरेट करना। वह सुखधाम और शान्तिधाम का
गेट खोलते हैं। उन्हें कहते हैं - हे लिबरेटर दु:ख से लिबरेट कर हमें
शान्तिधाम-सुखधाम ले चलो। जब यहाँ सुखधाम है तो बाकी आत्मायें शान्तिधाम में रहती
हैं। हेविन का गेट बाप ही खोलते हैं। एक गेट खुलता है नई दुनिया का, दूसरा
शान्तिधाम का। अब जो आत्मायें अपवित्र हो गई हैं उनको बाप श्रीमत देते हैं अपने को
आत्मा समझो, मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप कट जाएं। अब जो-जो पुरूषार्थ करेंगे तो
फिर अपने धर्म में ऊंच पद पायेंगे। पुरूषार्थ नहीं करेंगे तो कम पद पायेंगे।
अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स नोट करो तो समय पर काम आ सकती हैं। बोलो, शिवबाबा का
आक्यूपेशन हम बतायेंगे तो मनुष्य कहेंगे यह फिर कौन हैं जो गॉड फादर शिव का
आक्यूपेशन बताते हैं। बोलो, तुम आत्मा के रूप में तो सब ब्रदर्स हो। फिर प्रजापिता
ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं तो भाई-बहन होते हैं। गॉड फादर जिसको लिबरेटर, गाइड
कहते हैं, उनका आक्यूपेशन हम आपको बतलाते हैं। जरूर हमको गॉड फादर ने बताया है तब
आपको बताते हैं। सन शोज़ फादर। यह भी समझाना चाहिए। आत्मा बिल्कुल छोटा स्टॉर है,
इन आंखों से उनको देखा नहीं जाता है। दिव्य दृष्टि से साक्षात्कार हो सकता है।
बिन्दी है, देखने से फायदा थोड़ेही हो सकता है। बाप भी ऐसी ही बिन्दी है, उनको
सुप्रीम सोल कहते हैं। सोल एक जैसा ही है परन्तु वह सुप्रीम है, नॉलेजफुल है,
ब्लिसफुल है, लिबरेटर और गाइड है। उनकी बहुत महिमा करनी पड़े। जरूर बाप आयेंगे तब
तो साथ ले जायेंगे ना। आकर नॉलेज देंगे। बाप ही बतलाते हैं आत्मा इतनी छोटी है, मैं
भी इतना हूँ। नॉलेज भी जरूर कोई शरीर में प्रवेश कर देंगे। आत्मा के बाजू में आकर
बैठूँगा। मेरे में पॉवर है, आरगन्स मिल गये तो मैं धनी हो गया। इन आरगन्स द्वारा
बैठ समझाता हूँ, इनको एडम भी कहा जाता है। एडम है पहला-पहला आदमी। मनुष्यों का सिजरा
है ना। यह माता-पिता भी बनते हैं, इनसे फिर रचना होती है, है पुराना परन्तु एडाप्ट
किया है, नहीं तो ब्रह्मा कहाँ से आया। ब्रह्मा के बाप का नाम कोई बताये। ब्रह्मा,
विष्णु, शंकर यह किसकी रचना तो होगी ना! रचयिता तो एक ही है, बाप ने तो इनको एडाप्ट
किया है, यह इतने छोटे बच्चे बैठ सुनायें तो कहेंगे यह तो बहुत बड़ी नॉलेज है।
जिन बच्चों को अच्छी धारणा होती है उन्हें बहुत खुशी रहेगी, कभी उबासी नहीं आयेगी।
कोई समझने वाला नहीं होगा तो उबासी देता रहेगा। यहाँ तो तुमको कभी उबासी नहीं आनी
चाहिए। कमाई के समय कभी उबासी नहीं आती है। ग्राहक नहीं होंगे, धंधा ठण्डा होगा तो
उबासी आती रहेगी। यहाँ भी धारणा नहीं होती है। कोई तो बिल्कुल समझते नहीं हैं
क्योंकि देह-अभिमान है। देही-अभिमानी हो बैठ नहीं सकेंगे। कोई न कोई बाहर की बातें
याद आ जायेंगी। प्वाइंट्स आदि भी नोट नहीं कर सकेंगे। शुरूड बुद्धि झट नोट करेंगे -
यह प्वाइंट्स बहुत अच्छी हैं। स्टूडेन्ट्स की चलन भी टीचर को देखने में आती है ना।
सेन्सीबुल टीचर की नज़र सब तरफ फिरती रहती है तब तो सर्टीफिकेट देते हैं पढ़ाई का।
मैनर्स का सर्टीफिकेट निकालते हैं। कितना अबसेन्ट रहा, वह भी निकालते हैं। यहाँ तो
भल प्रेजन्ट होते हैं परन्तु समझते कुछ नहीं, धारणा होती नहीं। कोई कहते हैं बुद्धि
डल है, धारणा नहीं होती, बाबा क्या करेंगे! यह तुम्हारे कर्मों का हिसाब-किताब है।
बाप तो तदबीर एक ही कराते हैं। तुम्हारी तकदीर में नहीं है तो क्या करेंगे। स्कूल
में भी कोई पास, कोई फेल होते हैं। यह है बेहद की पढ़ाई, जो बेहद का बाप पढ़ाते
हैं। और धर्म वाले गीता की बात नहीं समझेंगे। नेशन देख समझाना पड़ता है। पहले-पहले
ऊंच ते ऊंच बाप का परिचय देना पड़ता है। वह कैसे लिबरेटर, गाइड है! हेविन में यह
विकार होते नहीं। इस समय इनको कहा जाता है शैतानी राज्य। पुरानी दुनिया है ना, इनको
गोल्डन एजड नहीं कहेंगे। नई दुनिया थी, अब पुरानी हुई है। बच्चों में, जिनको सर्विस
का शौक है तो प्वाइंट्स नोट करना चाहिए। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पढ़ाई में बहुत-बहुत कमाई है इसलिए कमाई खुशी-खुशी से करनी है। पढ़ते
समय कभी उबासी आदि न आये, बुद्धियोग इधर-उधर न भटके। प्वाइंट्स नोट कर धारणा करते
रहो।
2) पवित्र बन बाप के दिल का प्यार पाने का अधिकारी बनना है। सर्विस में होशियार
बनना है, अच्छी कमाई करनी और करानी है।