26-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.12.2003 "बापदादा" मधुबन
“प्रत्यक्षता के लिए
साधारणता को अलौकिकता में परिवर्तन कर दर्शनीय मूर्त बनो''
आज बापदादा अपने चारों
ओर के ब्राह्मण बच्चों के मस्तक के बीच भाग्य के तीन सितारे चमकते हुए देख रहे हैं।
कितना श्रेष्ठ भाग्य है और कितना सहज प्राप्त हुआ है। एक है अलौकिक श्रेष्ठ जन्म का
भाग्य, दूसरा है - श्रेष्ठ सम्बन्ध का भाग्य, तीसरा है - सर्व प्राप्तियों का भाग्य।
तीनों भाग्य के चमकते हुए सितारों को देख बापदादा भी हर्षित हो रहे हैं। जन्म का
भाग्य देखो - स्वयं भाग्य विधाता बाप द्वारा आप सबका जन्म है। जब जन्म-दाता ही
भाग्य-विधाता है तो जन्म कितना अलौकिक और श्रेष्ठ है। आप सबको भी अपने इस भाग्य के
जन्म का नशा और खुशी है ना! साथ-साथ सम्बन्ध की विशेषता देखो - सारे कल्प में ऐसा
सम्बन्ध अन्य किसी भी आत्मा का नहीं है। आप विशेष आत्माओं को ही एक द्वारा तीन
सम्बन्ध प्राप्त हैं। एक ही बाप भी है, शिक्षक भी है और सतगुरू भी है। ऐसे एक द्वारा
तीन सम्बन्ध सिवाए ब्राह्मण आत्माओं के किसी के भी नहीं हैं। अनुभव है ना? बाप के
सम्बन्ध से वर्सा भी दे रहे हैं, पालना भी कर रहे हैं। वर्सा भी देखो कितना ऊंचा और
अविनाशी है। दुनिया वाले कहते हैं - हमारा पालनहार भगवान है लेकिन आप बच्चे निश्चय
और नशे से कहते हो हमारा पालनहार स्वयं भगवान है। ऐसी पालना, परमात्म पालना,
परमात्म प्यार, परमात्म वर्सा किसको प्राप्त है! तो एक ही बाप भी है, पालनहार भी है
और शिक्षक भी है।
हर आत्मा के जीवन में
विशेष तीन सम्बन्धी आवश्यक हैं लेकिन तीनों सम्बन्ध अलग-अलग होते हैं। आपको एक में
तीन सम्बन्ध हैं। पढ़ाई भी देखो - तीनों काल की पढ़ाई है। त्रिकालदर्शी बनने की
पढ़ाई है। पढ़ाई को सोर्स ऑफ इनकम कहा जाता है। पढ़ाई से पद की प्राप्ति होती है।
सारे विश्व में देखो - सबसे ऊंचे ते ऊंचा पद, राज्य पद गाया हुआ है। तो आपको इस
पढ़ाई से क्या पद प्राप्त होता है? अब भी राजे और भविष्य भी राज्य पद। अभी
स्व-राज्य है, राज-योगी स्वराज्य अधिकारी हो और भविष्य का राज्य भाग्य तो अविनाशी
है ही। इससे बड़ा पद कोई होता नहीं। शिक्षक द्वारा शिक्षा भी त्रिकालदर्शी की है और
पद भी दैवी राज्य पद है। ऐसा शिक्षक का संबंध सिवाए ब्राह्मण जीवन के न किसका हुआ
है, न हो सकता है। साथ में सतगुरू का सम्बन्ध, सतगुरू द्वारा श्रीमत, जिस श्रीमत का
गायन आज भी भक्ति में हो रहा है। आप निश्चय से कहते हो हमारा हर कदम किसके आधार से
चलता है? श्रीमत के आधार से हर कदम चलता है। तो चेक करो - हर कदम श्रीमत पर चलता
है? भाग्य तो प्राप्त है लेकिन भाग्य के प्राप्ति का जीवन में अनुभव है? हर कदम
श्रीमत पर है वा कभी-कभी मनमत या परमत तो नहीं मिक्स होती? इसकी परख है - अगर कदम
श्रीमत पर है तो हर कदम में पदमों की कमाई जमा का अनुभव होगा। कदम श्रीमत पर है तो
सहज सफलता है। साथ-साथ सतगुरू द्वारा वरदानों की खान प्राप्त है। वरदान है उसकी
पहचान - जहाँ वरदान होगा वहाँ मेहनत नहीं होगी। तो सतगुरू के सम्बन्ध में श्रेष्ठ
मत और सदा वरदान की प्राप्ति है। और विशेषता सहज मार्ग की है, जब एक में तीन
सम्बन्ध हैं तो एक को याद करना सहज है। तीन को अलग-अलग याद करने की जरूरत नहीं
इसीलिए आप सब कहते हो एक बाबा दूसरा न कोई। यह सहज है क्योंकि एक में विशेष सम्बन्ध
आ जाते हैं। तो भाग्य के सितारे तो चमक रहे हैं क्योंकि बाप द्वारा तो सर्व को
प्राप्तियाँ हैं ही।
तीसरा भाग्य का सितारा
है - सर्व प्राप्तियाँ, गायन है अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के खजाने में।
याद करो अपने खजानों को। ऐसा खजाना वा सर्व प्राप्तियाँ और कोई द्वारा हो सकती हैं!
दिल से कहा मेरा बाबा, खजाने हाज़िर इसलिए इतने श्रेष्ठ भाग्य सदा स्मृति में रहें,
इसमें नम्बरवार हैं। अभी बापदादा यही चाहते कि हर बच्चा जब कोटों में भी कोई है तो
सब बच्चे नम्बरवार नहीं, नम्बरवन होने हैं। तो अपने से पूछो नम्बरवार में हो या
नम्बरवन हो? क्या हो? टीचर्स नम्बरवन या नम्बरवार? पाण्डव नम्बरवन हो या नम्बरवार
हो? क्या हो? जो समझते हैं हम नम्बरवन हैं और सदा रहेंगे, ऐसे नहीं आज नम्बरवन और
कल नम्बरवार में आ जाओ, जो इतने निश्चयबुद्धि हैं कि हम सदा जैसे बाप ब्रह्मा
नम्बरवन, ऐसे फॉलो ब्रह्मा बाप नम्बरवन हैं और रहेंगे वह हाथ उठाओ। हैं? ऐसे ही नहीं
हाथ उठा लेना, सोच समझके उठाना। लम्बा उठाओ, आधा उठाते हैं तो आधा हैं। हाथ तो बहुतों
ने उठाया है, देखा, दादी ने देखा। अभी इन्हों से (नम्बरवन वालों से) हिसाब लेना।
जनक (दादी जानकी) हिसाब लेना। डबल फारेनर्स ने हाथ उठाया। उठाओ, नम्बरवन? बापदादा
की तो हाथ उठाके दिल खुश कर दी। मुबारक हो। अच्छा - हाथ उठाया इसका मतलब है कि आपको
अपने में हिम्मत है और हिम्मत है तो बापदादा भी मददगार है ही। लेकिन अभी बापदादा
क्या चाहते हैं? नम्बरवन हो, यह तो खुशी की बात है। लेकिन... लेकिन बतायें क्या या
लेकिन है ही नहीं? बापदादा के पास लेकिन है।
बापदादा ने देखा कि
मन में समाया हुआ तो है लेकिन मन तक है, चेहरे और चलन तक इमर्ज नहीं है। अभी बापदादा
नम्बरवन की स्टेज चलन और चेहरे पर देखने चाहते हैं। अब समय अनुसार नम्बरवन कहने वालों
को हर चलन में दर्शनीय मूर्ति दिखाई देनी चाहिए। आपका चेहरा बतावे कि यह दर्शनीय
मूर्त है। आपके जड़ चित्र अन्तिम जन्म तक भी, अन्तिम समय तक भी दर्शनीय मूर्त अनुभव
होते हैं। तो चैतन्य में भी जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, साकार स्वरूप में, फरिश्ता
तो बाद में बना, लेकिन साकार स्वरूप में होते हुए आप सबको क्या दिखाई देता था?
साधारण दिखाई देता था? अन्तिम 84 वाँ जन्म, पुराना जन्म, 60 वर्ष के बाद की आयु,
फिर भी आदि से अन्त तक दर्शनीय मूर्त अनुभव की। की ना? साकार रूप में की ना? ऐसे
जिन्होंने नम्बरवन में हाथ उठाया, टी.वी. में निकाला है ना? बापदादा उनका फाइल
देखेंगे, फाइल तो है ना बापदादा के पास। तो अब से आपकी हर चलन से अनुभव हो, कर्म
साधारण हो, चाहे कोई भी काम करते हो, बिजनेस करते हो, डॉक्टरी करते हो, वकालत करते
हो, जो भी कुछ करते हो लेकिन जिस स्थान पर आप सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो वह आपकी
चलन से ऐसे महसूस करते हैं कि यह न्यारे और अलौकिक हैं? या साधारण समझते हैं कि ऐसे
तो लौकिक भी होते हैं? काम की विशेषता नहीं लेकिन प्रैक्टिकल लाइफ की विशेषता। बहुत
अच्छा बिजनेस है, बहुत अच्छा वकालत करता है, बहुत अच्छा डायरेक्टर है..., यह तो
बहुत हैं। एक बुक निकलता है जिसमें विशेष आत्माओं का नाम होता है। कितनों का नाम आता
है, बहुत होते हैं। इसने यह विशेषता की, यह इसने विशेषता की, नाम आ गया। तो
जिन्होंने भी हाथ उठाया, उठाना तो सबको चाहिए लेकिन जिन्होंने उठाया है और उठाना ही
है। तो आपकी प्रैक्टिकल चलन में चेंज देखें। यह अभी आवाज नहीं निकला है, चाहे
इन्डस्ट्री में, चाहे कहाँ भी काम करते हो, एक-एक आत्मा कहे कि यह साधारण कर्म करते
भी दर्शनीय मूर्त हैं। ऐसे हो सकता है, हो सकता है? आगे वाले बोलो, हो सकता है? अभी
रिजल्ट में कम सुनाई देता है। साधारणता ज्यादा दिखाई देती है। हाँ कभी जब कोई विशेष
कार्य करते हो, विशेष अटेन्शन रखते हो तब तो ठीक दिखाई देता है लेकिन आपको बाप से
प्यार है, बाप से प्यार है? कितनी परसेन्ट? टीचर्स हाथ उठाओ। यह तो बहुत टीचर्स आ
गई हैं। हो सकता है? कि कभी साधारण कभी विशेष? शब्द भी जो निकलता है ना, कोई भी
कार्य करते भाषा भी अलौकिक चाहिए। साधारण भाषा नहीं।
अभी बापदादा की सभी
बच्चों में यह श्रेष्ठ आशा है - फिर बाप की प्रत्यक्षता होगी। आपका कर्म, चलन, चेहरा
स्वत: ही सिद्ध करेगा, भाषण से नहीं सिद्ध होगा। भाषण तो एक तीर लगाना है। लेकिन
प्रत्यक्षता होगी, इनको बनाने वाला कौन! खुद ढूढेंगे, खुद पूछेंगे आपको बनाने वाला
कौन? रचना, रचता को प्रत्यक्ष करती है।
तो इस वर्ष क्या
करेंगे? दादी ने तो कहा है गांव की सेवा करना। वह भले करना। लेकिन बापदादा अभी यह
परिवर्तन देखने चाहता है। एक साल में सम्भव है? एक साल में? दूसरे वारी जब सीजन शुरू
होगी तो कान्ट्रास्ट दिखाई दे, सब सेन्टरों से आवाज आवे कि महान परिवर्तन, फिर गीत
गायेंगे परिवर्तन, परिवर्तन...। साधारण बोल अभी आपके भाग्य के आगे अच्छा नहीं लगता।
कारण है ‘मैं'। यह मैं, मैं-पन, मैंने जो सोचा, मैंने जो कहा, मैं जो करता हूँ...
वही ठीक है। इस मैं पन के कारण अभिमान भी आता है, क्रोध भी आता है। दोनों अपना काम
कर लेते हैं। बाप का प्रसाद है, मैं कहाँ से आया! प्रसाद को कोई मैं पन में ला सकता
है क्या? अगर बुद्धि भी है, कोई हुनर भी है, कोई विशेषता भी है। बापदादा विशेषता
को, बुद्धि को ऑफरीन देता है लेकिन ‘मैं' नहीं लाओ। यह मैं पन को समाप्त करो। यह
सूक्ष्म मैं पन है। अलौकिक जीवन में यह मैं पन दर्शनीय मूर्त नहीं बनने देता। तो
दादियां क्या समझती हो? परिवर्तन हो सकता है? तीनों पाण्डव (निर्वैर भाई, रमेश भाई,
बृजमोहन भाई) बताओ। विशेष हो ना तीन। तीनों बताओ हो सकता है? हो सकता है? हो सकता
है? अच्छा - अभी इसके कमाण्डर बनना और बात में कमाण्डर नहीं बनना। परिवर्तन में
कमाण्डर बनना। मधुबन वाले बनेंगे? बनेंगे? मधुबन वाले हाथ उठाओ। अच्छा - बनेंगे?
बॉम्बे वाले हाथ उठाओ, योगिनी भी बैठी है। (योगिनी बहन पार्ला) बॉम्बे वाले बनेंगे?
अगर बनेंगे तो हाथ हिलाओ। अच्छा दिल्ली वाले हाथ उठाओ। तो दिल्ली वाले करेंगे?
टीचर्स बताओ। देखना। हर मास बापदादा रिपोर्ट लेंगे। हिम्मत है ना? मुबारक हो।
अच्छा, इन्दौर वाले
हाथ उठाओ। इन्दौर की टीचर्स हाथ उठाओ। तो टीचर्स करेंगी? इन्दौर करेगा? हाथ हिलाओ।
सारे हाथ नहीं हिले। करेंगे, करायेंगे? दादियां देखना। देख रहे हैं टी.वी. में।
गुजरात हाथ उठाओ। गुजरात करेगा? हाथ हिलाना तो सहज है। अभी मन को हिलाना है। क्यों,
आपको तरस नहीं आता, इतना दु:ख देख करके? अभी परिवर्तन हो तो अच्छा है ना? तो अभी
प्रत्यक्षता का प्लैन है - प्रैक्टिकल जीवन। बाकी प्रोग्राम करते हो, यह तो बिजी
रहने के लिए बहुत अच्छा है लेकिन प्रत्यक्षता होगी आपके चलन और चेहरे से। और भी कोई
ज़ोन रह गया? यू.पी. वाले हाथ उठाओ। यू.पी. थोड़े हैं। अच्छा यू.पी. करेंगे?
महाराष्ट्र वाले हाथ उठाओ। लम्बा उठाओ। अच्छा। महाराष्ट्र करेगा? मुबारक हो।
राजस्थान उठाओ। टीचर्स हाथ हिलाओ। कर्नाटक उठाओ। अच्छा - कर्नाटक करेगा? आन्ध्र
प्रदेश हाथ उठाओ। चलो यह चिटचैट की। डबल विदेशी हाथ उठाओ। जयन्ती कहाँ है? करेंगे
डबल विदेशी? अभी देखो सभा के बीच में कहा है। सभी ने हिम्मत बहुत अच्छी दिखाई, इसके
लिए पदमगुणा मुबारक हो। बाहर में भी सुन रहे हैं, अपने देशों में भी सुन रहे हैं,
वह भी हाथ उठा रहे हैं।
वैसे भी देखो जो
श्रेष्ठ आत्मायें होती हैं उन्हों के हर वचन को सत वचन कहा जाता है। कहते हैं ना सत
वचन महाराज। तो आप तो महा महाराज हो। आप सबका हर वचन जो भी सुने वह दिल में अनुभव
करे सत वचन है। मन में बहुत कुछ आपके भरा हुआ है, बापदादा के पास मन को देखने का
टी.वी. भी है। यहाँ यह टी.वी. तो बाहर का शक्ल दिखाती है ना। लेकिन बापदादा के पास
हर एक के हर समय के मन के गति का यन्त्र है। तो मन में बहुत कुछ दिखाई देता है, जब
मन का टी.वी. देखते हैं तो खुश हो जाते हैं, बहुत खजाने हैं, बहुत शक्तियां हैं।
लेकिन कर्म में यथा शक्ति हो जाता है। अभी कर्म तक लाओ, वाणी तक लाओ, चेहरे तक लाओ,
चलन में लाओ। तभी सभी कहेंगे, जो आपका एक गीत है ना, शक्तियां आ गई...। सब शिव की
शक्तियां हैं। पाण्डव भी शक्तियां हो। फिर शक्तियां शिव बाप को प्रत्यक्ष करेंगी।
अभी छोटे-छोटे खेलपाल बन्द करो। अब वानप्रस्थ स्थिति को इमर्ज करो। तो बापदादा सभी
बच्चों को, इस समय बापदादा की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के सितारे देख रहे
हैं। कोई भी बात आवे तो यह स्लोगन याद रखना - “परिवर्तन, परिवर्तन, परिवर्तन''।
तो आज के बापदादा के
बोल का एक शब्द नहीं भूलना, वह कौन सा? परिवर्तन। मुझे बदलना है। दूसरे को बदलकर नहीं
बदलना है, मुझे बदलके औरों को बदलाना है। दूसरा बदले तो मैं बदलूं, नहीं। मुझे
निमित्त बनना है। मुझे हे अर्जुन बनना है तब ब्रह्मा बाप समान नम्बरवन लेंगे। (पीछे
वाले हाथ उठाओ) पीछे वालों को बापदादा पहला नम्बर यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा।
चारों ओर के
बहुत-बहुत-बहुत भाग्यवान आत्माओं को, सारे विश्व के बीच कोटों में कोई, कोई में भी
कोई विशेष आत्माओं को, सदा अपने चलन और चेहरे द्वारा बापदादा को प्रत्यक्ष करने वाले
विशेष बच्चों को, सदा सहयोग और स्नेह के बन्धन में रहने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को,
सदा ब्रह्मा बाप समान हर कर्म में अलौकिक कर्म करने वाले अलौकिक आत्माओं को, बापदादा
का यादप्यार और नमस्ते।
विंग्स की सेवाओं
प्रति बापदादा की प्रेरणायें:- विंग्स की सेवा में अच्छी रिजल्ट दिखाई देती है
क्योंकि हर एक विंग मेहनत करते हैं, सम्पर्क बढ़ाते जाते हैं। लेकिन बापदादा चाहते
हैं जैसे मेडिकल विंग ने मेडीटेशन द्वारा हार्ट का प्रैक्टिकल करके दिखाया है। सबूत
दिया है कि मेडीटेशन से हार्ट की तकलीफ ठीक हो सकती है और प्रूफ दिया है, दिया है
ना प्रूफ! आप सबने सुना है ना! ऐसे दुनिया वाले प्रत्यक्ष सबूत चाहते हैं। इसी
प्रकार से जो भी विंग आये हो, प्रोग्राम तो करना ही है, करते भी हो लेकिन ऐसा कोई
प्लैन बनाओ, जिससे प्रैक्टिकल रिजल्ट सबकी सामने आवे। सभी विंग के लिए बापदादा कह
रहे हैं। यह गवर्मेन्ट तक भी पहुंच तो रहा है ना! और यहाँ-वहाँ आवाज तो फैला है कि
मेडीटेशन द्वारा भी हो सकता है। अभी इसको और बढ़ाना चाहिए।
अभी प्रैक्टिकल का
सबूत दो जो यह बात फैल जाये कि मेडीटेशन द्वारा सब कुछ हो सकता है। सबका अटेन्शन
मेडीटेशन के तरफ हो, आध्यात्मिकता की तरफ हो। समझा। अच्छा।
वरदान:-
साइलेन्स की
शक्ति द्वारा विश्व में प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाने वाले शान्त स्वरूप भव
गाया हुआ है “साइंस
के ऊपर साइलेन्स की जीत,'' न कि वाणी की। जितना समय व सम्पूर्णता समीप आती जायेगी
उतना आटोमेटिक आवाज में अधिक आने से वैराग्य आता जायेगा। जैसे अभी चाहते हुए भी आदत
आवाज में ले आती है वैसे चाहते हुए भी आवाज से परे हो जायेंगे। प्रोग्राम बनाकर
आवाज में आयेंगे। जब यह चेंज दिखाई दे तब समझो अब विजय का नगाड़ा बजने वाला है। इसके
लिए जितना समय मिले - शान्त स्वरूप स्थिति में रहने के अभ्यासी बनो।
स्लोगन:-
ज़ीरों बाप के साथ रहने वाले ही हीरो पार्टधारी हैं।
अपनी शक्तिशाली मन्सा
द्वारा सकाश देने की सेवा करो
वर्तमान समय विश्व
कल्याण करने का सहज साधन अपने श्रेष्ठ संकल्पों की एकाग्रता द्वारा, सर्व आत्माओं
की भटकती हुई बुद्धि को एकाग्र करना है। सारे विश्व की सर्व आत्मायें विशेष यही
चाहना रखती हैं कि भटकी हुई बुद्धि एकाग्र हो जाए वा मन चंचलता से एकाग्र हो जाए।
यह विश्व की मांग वा चाहना तब पूरी कर सकेंगे जब एकाग्र होकर मन्सा शक्तियों का दान
देंगे।