30-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 30.11.2004 "बापदादा" मधुबन
“अभी अपने चलन और
चेहरे द्वारा ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त रूप दिखाओ, साक्षात्कार मूर्त बनो''
आज भाग्य विधाता बाप
अपने चारों ओर के श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। सारे कल्प में
ऐसा श्रेष्ठ भाग्य किसी का भी हो नहीं सकता। कल्प-कल्प के आप बच्चे ही इस भाग्य का
अधिकार प्राप्त करते हो। याद है - अपना कल्प-कल्प के अधिकार का भाग्य? यह भाग्य
सर्व श्रेष्ठ भाग्य क्यों है? क्योंकि स्वयं भाग्य विधाता ने इस श्रेष्ठ भाग्य का
दिव्य जन्म आप बच्चों को दिया है, जिसका जन्म ही भाग्य विधाता द्वारा है, उससे
श्रेष्ठ भाग्य और हो ही नहीं सकता। अपने भाग्य का नशा स्मृति में रहता है? अपने
भाग्य की लिस्ट निकालो तो कितनी बड़ी लिस्ट है? अप्राप्त कोई वस्तु नहीं आप
ब्राह्मणों के भाग्यवान जीवन में। सबके मन में अपने भाग्य की लिस्ट स्मृति में आ गई!
स्मृति में लाओ, आ गई स्मृति में? दिल क्या गीत गाती? वाह भाग्य विधाता! और वाह मेरा
भाग्य! इस श्रेष्ठ भाग्य की विशेषता यही है - एक भगवान द्वारा तीन सम्बन्ध की
प्राप्ति है। एक द्वारा एक में तीन सम्बन्ध, जो जीवन में विशेष सम्बन्ध गाये हुए
हैं - बाप, शिक्षक, सतगुरू, किसी को भी एक द्वारा तीन विशेष सम्बन्ध और प्राप्ति नहीं
है। आप फलक से कहते हो हमारा बाप भी है, शिक्षक भी है तो सतगुरू भी है। बाप द्वारा
सर्व खजानों की खान प्राप्त है। खज़ानों की लिस्ट भी स्मृति में आई! स्मृति में लाओ
क्या-क्या खजाना बाप द्वारा मिल गया! मिल गया है या मिलना है? क्या कहेंगे? बालक सो
मालिक हैं ही। शिक्षक द्वारा शिक्षा से श्रेष्ठ पद की प्राप्ति हो गई। वैसे भी देखा
जाए दुनिया में भी सबसे श्रेष्ठ पद राज्य पद गाया जाता है, तो आप तो डबल राजे बन गये
हो। वर्तमान स्वराज्य अधिकारी और भविष्य में अनेक जन्म राज्य पद अधिकारी। पढ़ाई एक
जन्म की, वह भी छोटा सा जन्म और पद की प्राप्ति अनेक जन्म, और राज्य भी अखण्ड, अटल,
निर्विघ्न राज्य। अभी भी स्वराज्य अधिकारी बेफिकर बादशाह हो, हैं? बेफिकर बादशाह बने
हो? जो बेफिकर हैं वह हाथ उठाओ। बेफिकर, थोड़ा भी फिकर नहीं है? देखना, जब कोई पपेट
शो सामने आता है फिर फिकर होता है? माया का पपेट शो सामने आता है या नहीं? फिर
थोड़ा-थोड़ा फिकर होता है? नहीं होता? थोड़ा चिंता, चिंतन चलता है या नहीं चलता है?
वैसे श्रेष्ठ भाग्य अभी से बेफिकर बादशाह बनाता है। यह थोड़ी बहुत जो बातें आती हैं
वह और ही आगे के लिए अनुभवी, परिपक्व बनाने वाली हैं।
अभी तो सभी इन
भिन्न-भिन्न बातों के अनुभवी हो गये हो ना! घबराते तो नहीं हैं ना? आराम से साक्षी
की सीट पर बैठ यह पपेट शो देखो, कार्टून शो देखो। है कुछ भी नहीं, कार्टून है। अभी
तो मजबूत हो गये हो ना! अभी मजबूत हैं? या कभी-कभी घबराते हो? यह कागज का शेर बनकर
आते हैं। है कागज का लेकिन शेर बनके आते हैं। अभी समय प्रमाण अनुभवी मूर्त बन समय
को, प्रकृति को, माया को चैलेन्ज करो - आओ, हम विजयी हैं। विजयी की चैलेन्ज करो। (बीच-बीच
में खांसी आ रही है) आज बाजा थोड़ा खराब है, मिलना तो है ना!
बापदादा के पास दो
ग्रुप बार-बार आते हैं, किसलिए आते हैं? दोनों ग्रुप बापदादा को कहते हैं - हम
तैयार हैं। एक यह समय, प्रकृति और माया। माया समझ गई है अब हमारा राज्य जाने वाला
है। और दूसरा ग्रुप है - एडवांस पार्टी। दोनों ग्रुप डेट पूछ रहे हैं। फॉरेन में तो
एक साल पहले डेट फिक्स करते हो ना? और यहाँ 6 मास पहले? भारत में फास्ट जाते हैं,
15 दिन में भी कोई प्रोग्राम की डेट हो जाती है। तो समाप्ति, सम्पन्नता, बाप के
समान बनने की डेट कौन सी है? वह बापदादा से पूछते हैं। यह डेट अभी आप ब्राह्मणों को
फिक्स करनी है। हो सकती है? डेट फिक्स हो सकती है? पाण्डव बोलो, तीनों ही बोलो। (बापदादा
निर्वैर भाई, रमेश भाई, बृजमोहन भाई से पूछ रहे हैं) डेट फिक्स हो सकती है? बोलो -
हो सकती है? कि अचानक होनी है? ड्रामा में फिक्स है लेकिन उसको प्रैक्टिकल में लाना
है या नहीं? वह क्या? बताओ। होनी है? अचानक होगा? डेट फिक्स नहीं होगी? होगी? पहली
लाइन वाले बताओ होगी? जो कहते हैं ड्रामा को प्रैक्टिकल में लाने के लिए मन में डेट
का संकल्प करना पड़ेगा, वह हाथ उठाओ। करना पड़ेगा? यह नहीं उठा रहे हैं? अचानक होगी?
डेट फिक्स कर सकते हैं? पीछे वालों ने समझ लिया? अचानक होना है यह राइट है लेकिन
अपने को तैयार करने के लिए लक्ष्य जरूर रखना पड़ेगा। बिना लक्ष्य के सम्पन्न बनने
में अलबेलापन आ जाता है। आप देखो जब डेट फिक्स करते हो तभी सफलता मिलती है। कोई भी
प्रोग्राम की डेट फिक्स करते हो ना? बनना ही है, यह संकल्प तो करना पड़ेगा ना! या
नहीं, ड्रामा में आपेही हो जायेगा? क्या समझते हो? पहली लाइन वाले बताओ। प्रेम (देहरादून)
सुनाओ। करना पड़ेगा, करना पड़ेगा? जयन्ती बोलो, करना पड़ेगा। वह कब होगी? अन्त में
होगी जब समय आ जायेगा! समय सम्पन्न बनायेगा या आप समय को समीप लायेंगे?
बापदादा ने देखा है
कि स्मृति में ज्ञान भी रहता है, नशा भी रहता है, निश्चय भी रहता है, लेकिन अभी
एडीशन चाहिए - चलन और चेहरे से दिखाई दे। बुद्धि में याद सब रहता है, स्मृति में भी
आता है लेकिन अब स्वरूप में आवे। जब साधारण रूप में भी अगर कोई बड़े आक्यूपेशन वाला
है या कोई साहूकार का बच्चा एज्यूकेटेड है तो उसकी चलन से दिखाई पड़ता है कि यह कुछ
है। उनका कुछ न कुछ न्यारापन दिखाई देता है। तो इतना बड़ा भाग्य, वर्सा भी है,
पढ़ाई और पद भी है। स्वराज्य तो अभी भी है ना! प्राप्तियां भी सब हैं, लेकिन चलन और
चेहरे से भाग्य का सितारा मस्तक में चमकता हुआ दिखाई दे, वह अभी एडीशन चाहिए। अभी
लोगों को आप श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माओं द्वारा यह अनुभव होना है, चाहिए नहीं, होना
है कि यह हमारे इष्ट देव हैं, इष्ट देवियां हैं। यह हमारे हैं। जैसे ब्रह्मा बाप
में देखा - साधारण तन में होते भी आदि के समय भी ब्रह्मा बाप में क्या दिखाई देता
था, कृष्ण दिखाई देता था ना! आदि वालों को अनुभव है ना! तो जैसे आदि में ब्रह्मा
बाप द्वारा कृष्ण दिखाई देता था ऐसे ही लास्ट में क्या दिखाई देता था? अव्यक्त रूप
दिखाई देता था ना! चलन में, चेहरे में दिखाई दिया ना! अभी बापदादा विशेष निमित्त
बच्चों को यह होम वर्क दे रहा है कि अभी ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त रूप दिखाई दे।
चलन और चेहरे से कम से कम 108 माला के दाने तो दिखाई देवें। बापदादा नाम नहीं चाहते
हैं, नाम नहीं बताते हैं - 108 कौन हैं लेकिन उनकी चलन और चेहरा स्वत: ही प्रत्यक्ष
हो। यह होम वर्क बापदादा निमित्त बच्चों को विशेष दे रहा है। हो सकता है? अच्छा
कितना समय चाहिए? ऐसे नहीं समझना कि जो पीछे आये हैं, टाइम की बात नहीं है, कोई समझे
हमको तो थोड़ा वर्ष ही हुआ है। कोई भी लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट जा सकता
है, यह भी बापदादा की चैलेन्ज है, कर सकते हो। कोई भी कर सकते हो। लास्ट वाला भी हो
सकता है। सिर्फ लक्ष्य पक्का रखो - करना ही है, होना ही है।
डबल फॉरेनर्स हाथ
उठाओ। तो डबल फॉरेनर्स क्या करेंगे? डबल चांस लेंगे ना। बापदादा नाम नहीं एनाउन्स
करेगा लेकिन उनका चेहरा बतायेगा - यह हैं। हिम्मत है? पहली लाइन को बापदादा देख रहा
है। है, हिम्मत है? अगर हिम्मत है तो हाथ उठाओ। हिम्मत है तो? पीछे वाले भी उठा सकते
हैं। जो ओटे सो अर्जुन। अच्छा - बापदादा रिजल्ट देखने के लिए, क्या-क्या पुरुषार्थ
कर रहे हैं, कौन-कौन कर रहा है वह रिजल्ट देखने के लिए 6 मास दे रहे हैं। 6 मास
रिजल्ट देखेंगे फिर फाइनल करेंगे। ठीक है? क्योंकि देखा जाता है कि अभी समय की
रफ्तार तेज जा रही है, रचना को तेज नहीं जाना चाहिए, रचता को तेज होना चाहिए। अभी
थोड़ा फास्ट करो, उड़ो अभी। चल रहे हैं नहीं, उड़ रहे हैं। जवाब में बहुत अच्छे
जवाब देते हैं कि हम ही तो हैं ना! और कौन होगा! बापदादा खुश होते हैं। लेकिन अब
लोग (आत्मायें) जो हैं ना, वह कुछ देखने चाहते हैं। बापदादा को याद है जब आदि में
आप बच्चे सेवा में निकले थे तो बच्चों से भी साक्षात्कार होते थे, अभी सेवा और
स्वरूप दोनों तरफ अटेन्शन चाहिए। तो क्या सुना! अब साक्षात्कार मूर्त बनो। साक्षात
ब्रह्मा बाप बनो। अच्छा।
आज नये-नये बच्चे भी
बहुत आये हैं। अपने स्नेह की शक्ति से सभी पहुंच गये हो इसलिए बापदादा विशेष जो
नये-नये बच्चे आये हैं, उन्हों को हर एक को नाम सहित पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं,
साथ में वरदाता वरदान दे रहे हैं - सदा ब्राह्मण जीवन में जीते रहो, उड़ते रहो।
अच्छा।
सेवा का टर्न पंजाब
का है:- पंजाब
वाले उठो। बहुत अच्छा। यह भी विधि अच्छी बनाई है, हर ज़ोन को चांस मिल जाता है। एक
तो यज्ञ सेवा द्वारा एक-एक कदम में पदमगुणा कमाई जमा हो जाती है क्योंकि मैजॉरिटी
कोई भी कर्म करते यज्ञ सेवा याद रहती और यज्ञ सेवा याद आने से यज्ञ रचता बाप तो याद
आता ही है। तो सेवा में भी ज्यादा से ज्यादा पुण्य का खाता जमा कर लेते हैं और जो
सच्चे पुरुषार्थी बच्चे हैं वह अपने याद के चार्ट को सहज और निरन्तर बना सकते हैं
क्योंकि यहाँ एक तो महारथियों का संग है, संग का रंग सहज लग सकता है। अटेन्शन है तो
यह जो 8-10 दिन मिलते हैं इसमें बहुत अच्छी प्रोग्रेस कर सकते हैं। कॉमन रीति से
सेवा की तो इतना लाभ नहीं है, लेकिन चांस है एक सहज निरन्तर योगी बनने का, पुण्य का
खाता जमा करने का, और बड़े ते बड़े परिवार के नशे में, खुशी में रहने का। तो पंजाब
वालों को चांस मिला है, हर ज़ोन को मिलता है लेकिन लक्ष्य रखो कि तीनों ही फायदे
हुए! कितना पुण्य का खाता जमा किया? सहज याद की प्रोग्रेस कितनी की? और संगठन या
परिवार के स्नेह, समीपता का कितना अनुभव किया? यह तीन ही बातों का रिजल्ट हर एक को
अपना निकालना चाहिए। ड्रामा में चांस तो मिलता है लेकिन चांस लेने वाले चांसलर बनो।
तो पंजाब वाले तो होशियार हैं ना! अच्छा है। अच्छी संख्या में भी आये हो, और सेवा
भी खुली दिल से मिली है। आने वाली संख्या भी अच्छी आई है। अच्छा है संगठन अच्छा है।
(आज दो विंग - ग्राम
विकास विंग और महिला विंग मीटिंग के लिए आये हैं)
महिला विंग वाले उठो:-
इसमें मैजारिटी
टीचर्स हैं क्या? टीचर्स हाथ उठाओ। अच्छा चांस हैं। सेवा की सेवा और सेवा के पहले
मेवा। संगठन का और बाप से मिलन का मजा लेना। तो सेवा और मेवा दोनों मिल गया। अच्छा
है। अभी कोई नया प्लैन बनाया? जो भी चाहे महिलाओं का है, चाहे किसी भी वर्ग के
ग्रुप्स बने हुए हैं। तो हर एक ग्रुप कुछ विशेष प्रैक्टिकल चलन और चेहरे पर कोई न
कोई गुण या शक्ति का बीड़ा उठाये तो हम यह ग्रुप, महिला ग्रुप इस गुण या शक्ति का
प्रैक्टिकल प्रत्यक्ष रूप में लायेंगे। ऐसे हर एक वर्ग वाले कोई न कोई अपने विशेष
फिक्स करे और उसकी आपस में जैसे सर्विस की रिजल्ट नोट करते हो ना, ऐसे आपस में चाहे
लिखापढ़ी हो, चाहे संगठन हो, यह भी चेक करते रहें। तो पहले आप लोग करके दिखाना।
महिला विंग करके दिखाओ। ठीक है ना। हर एक विंग को कुछ न कुछ अपना प्लैन बनाना है और
समय फिक्स करे कि इतने समय में इतनी परसेन्टेज़ प्रैक्टिकल में लानी है। फिर जो
बापदादा चाहते हैं ना, चलन और चित्र पर आवे, वह आ जायेगा। तो यह प्लैन बना करके
बापदादा को देना। हर एक विंग क्या करेगा? सेवा का प्लैन जैसे नोट करते हो ना, वैसे
यह करके देना। ठीक है ना! करके देना। अच्छा है छोटा-छोटा संगठन कमाल कर सकता है।
ठीक है। क्या समझती हो टीचर्स? कर सकते हैं? कर सकते हैं? तो प्लैन बनाना। अच्छा।
मुबारक हो सेवा की।
ग्राम विकास विंग वाले
उठो:- अभी तक
ग्राम विकास वालों ने कितने गांव परिवर्तन किया है? कितने गांव में किया है? (7
गांव में किया है, एक गांव में 75 परसेन्टेज तक काम हुआ है। इस मीटिंग में भी
प्रोग्राम बनाया है - “समय की पुकार - स्वच्छ स्वर्णिम ग्राम्य भारत'' इस प्रोजेक्ट
के अन्तर्गत गांव-गांव को व्यसन मुक्त और स्वच्छ बनाने की सेवा करेंगे) अच्छा है -
प्रैक्टिकल है ना। इसकी टोटल रिजल्ट जो है प्रेसीडेंट, प्राइममिनिस्टर के पास जाती
है? (अभी नहीं भेजी है) भेजनी चाहिए क्योंकि यह जो गांव-गांव में प्रैक्टिकल कर रहे
हो, यह तो गवर्मेन्ट का ही काम है लेकिन आप सहयोगी बन रहे हो तो रिजल्ट देख करके
अच्छा मानेंगे। एक ऐसा बुलेटिन तैयार करो जिससे गवर्मेन्ट के सभी मुख्य लोगों को वह
बुलेटिन जाये, किताब नहीं, मैंगजीन नहीं, शार्ट में टोटल रिजल्ट सब तरफ की भेजनी
चाहिए। अच्छा है - मुबारक हो। अच्छा - (बीच-बीच में खांसी आ रही है) आज बाजा शान्ति
चाहता है। अच्छा।
बापदादा के पास, चारों
ओर के सेवा की रिजल्ट भी आती रहती है और विशेष आजकल कोई भी कोना रह नहीं जाए - सबको
सन्देश मिल जाए, यह प्लैन जो प्रैक्टिकल में कर रहे हैं, उसकी रिजल्ट भी अच्छी है।
बापदादा के पास डबल विदेशी बच्चों के समाचार मिले हैं और जिन्होंने भी मेगा
प्रोग्राम (भारत में) किये हैं, उन्हों का समाचार भी सब मिला है। चारों ओर सेवा की
रिजल्ट सफलता पूर्वक निकली है। तो बच्चों ने जैसे सेवा में सन्देश देने की रिजल्ट
में सफलता प्राप्त की है ऐसे ही वाणी द्वारा, सम्पर्क द्वारा और साथ-साथ अपने चेहरे
द्वारा साक्षात्कार फरिश्ते रूप का कराते चलो।
अच्छा - जो पहले बारी
आये हैं वह हाथ उठाओ। बहुत हैं। अच्छा है टू लेट के बोर्ड के पहले आ गये हो, अच्छा
है, चांस लो। कमाल करके दिखाओ। हिम्मत रखो, बापदादा की मदद हर बच्चे के साथ है।
अच्छा!
बापदादा चारों ओर के
साकार सम्मुख बैठे हुए बच्चों को और अपने-अपने स्थान पर, देश में बाप से मिलन मनाने
वाले चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत सेवा की, स्नेह की और पुरुषार्थ की मुबारक तो
दे रहे हैं लेकिन पुरुषार्थ में तीव्र पुरुषार्थी बन अब आत्माओं को दु:ख अशान्ति से
छुड़ाने का और तीव्र पुरुषार्थ करो। दु:ख, अशान्ति, भ्रष्टाचार अति में जा रहा है,
अभी अति का अन्त कर सभी को मुक्तिधाम का वर्सा बाप से दिलाओ। ऐसे सदा दृढ़ संकल्प
वाले बच्चों को यादप्यार और नमस्ते। ओम् शान्ति।
वरदान:-
नम्रता और
अथॉर्टी के बैलेन्स द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विशेष सेवाधारी भव
जहाँ बैलेन्स होता है
वहाँ कमाल दिखाई देती है। जब आप नम्रता और सत्यता की अथॉर्टी के बैलेन्स से किसी को
भी बाप का परिचय देंगे तो कमाल दिखाई देगी। इसी रूप से बाप को प्रत्यक्ष करना है।
आपके बोल स्पष्ट हों, उसमें स्नेह भी हो, नम्रता और मधुरता भी हो तो महानता और
सत्यता भी हो तब प्रत्यक्षता होगी। बोलते हुए बीच-बीच में अनुभव कराते जाओ जिससे
लगन में मगन मूर्त अनुभव हो। ऐसे स्वरूप से सेवा करने वाले ही विशेष सेवाधारी हैं।
स्लोगन:-
समय पर कोई भी साधन न हो तो भी साधना में विघ्न न पड़े।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
कोई-कोई समझते हैं
शायद क्रोध कोई विकार नहीं है, यह शस्त्र है। लेकिन क्रोध ज्ञानी तू आत्मा के लिए
महाशत्रु है क्योंकि क्रोध अनेक आत्माओं के संबंध, सम्पर्क में आने से प्रसिद्ध हो
जाता है और क्रोध को देख करके बाप के नाम की बहुत ग्लानी होती है। कहने वाले यही
कहते हैं, देख लिया ज्ञानी तू आत्मा बच्चों को, इसलिए इसके अंशमात्र को भी समाप्त
कर सभ्यता पूर्वक व्यवहार करो।