01-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम आत्माओं
का स्वधर्म शान्ति है, तुम्हारा देश शान्तिधाम है, तुम आत्मा शान्त स्वरूप हो इसलिए
तुम शान्ति मांग नहीं सकते''
प्रश्नः-
तुम्हारा
योगबल कौन-सी कमाल करता है?
उत्तर:-
योगबल से तुम
सारी दुनिया को पवित्र बनाते हो, तुम कितने थोड़े बच्चे योगबल से यह सारा पहाड़
उठाए सोने का पहाड़ स्थापन करते हो। 5 तत्व सतोप्रधान हो जाते हैं, अच्छा फल देते
हैं। सतोप्रधान तत्वों से यह शरीर भी सतोप्रधान होते हैं। वहाँ के फल भी बहुत
बड़े-बड़े स्वादिष्ट होते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ईश्वरीय सर्विस कर अपना जीवन 21 जन्मों के लिए हीरे जैसा बनाना है।
मात-पिता और अनन्य भाई-बहिनों को ही फालो करना है।
2) कर्मातीत अवस्था बनाने के लिए देह सहित सबको भूलना है। अपनी याद अडोल और
स्थाई बनानी है। देवताओं जैसा निर्लोभी, निर्मोही, निर्विकारी बनना है।
वरदान:-
तड़फती हुई
आत्माओं को एक सेकण्ड में गति-सद्गति देने वाले मास्टर दाता भव
जैसे स्थूल सीजन का
इन्तजाम करते हो, सेवाधारी सामग्री सब तैयार करते हो जिससे किसी को कोई तकलीफ न हो,
समय व्यर्थ न जाए। ऐसे ही अब सर्व आत्माओं की गति-सद्गति करने की अन्तिम सीजन आने
वाली है, तड़फती हुई आत्माओं को क्यू में खड़ा करने का कष्ट नहीं देना है, आते जाएं
और लेते जाएं। इसके लिए एवर-रेडी बनो। पुरूषार्थी जीवन में रहने से ऊपर अब दातापन
की स्थिति में रहो। हर संकल्प, हर सेकण्ड में मास्टर दाता बन करके चलो।
स्लोगन:-
हजूर
को बुद्धि में हाजिर रखो तो सर्व प्राप्तियां जी हजूर करेंगी।
अव्यक्त इशारे -
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
एकता के साथ
एकान्तप्रिय बनना है। एकान्तप्रिय वह होगा जिनका अनेक तरफ से बुद्धियोग टूटा हुआ
होगा और एक का ही प्रिय होगा। एक प्रिय होने कारण एक की ही याद में रह सकता।
एकान्तप्रिय अर्थात् एक के सिवाय दूसरा न कोई। सर्व सम्बन्ध, सर्व रसनाएं एक से लेने
वाला ही एकान्त-प्रिय हो सकता है।