01-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - प्रीत और विपरीत यह प्रवृत्ति मार्ग के अक्षर हैं, अभी तुम्हारी प्रीत एक बाप से हुई है, तुम बच्चे निरन्तर बाप की याद में रहते हो''

प्रश्नः-
याद की यात्रा को दूसरा कौन-सा नाम देंगे?

उत्तर:-
याद की यात्रा प्रीत की यात्रा है। विपरीत बुद्धि वाले से नाम-रूप में फँसने की बदबू आती है। उनकी बुद्धि तमोप्रधान हो जाती है। जिनकी प्रीत एक बाप से है वह ज्ञान का दान करते रहेंगे। किसी भी देहधारी से उनकी प्रीत नहीं हो सकती।

गीत:-
यह वक्त जा रहा है..........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एक विदेही विचित्र बाप से दिल की सच्ची प्रीत रखनी है। सदा ध्यान रहे - माया की ग्रहचारी कभी बुद्धि पर वार न कर दे।

2) कभी भी बाप से रूठना नहीं है। सर्विसएबुल बन अपना भविष्य ऊंच बनाना है। किसी की दी हुई चीज़ अपने पास नहीं रखनी है।

वरदान:-
शुद्धि की विधि द्वारा किले को मजबूत करने वाले सदा विजयी और निर्विघ्न भव

इस किले में हर आत्मा सदा विजयी और निर्विघ्न बन जाए इसके लिए विशेष टाइम पर चारों ओर एक साथ योग के प्रोग्राम रखो। फिर कोई भी इस तार को काट नहीं सकेगा क्योंकि जितना सेवा बढ़ाते जायेंगे उतना माया अपना बनाने की कोशिश भी करेगी इसलिए जैसे कोई भी कार्य शुरू करते समय शुद्धि की विधियां अपनाते हो, ऐसे संगठित रूप में आप सर्व श्रेष्ठ आत्माओं का एक ही शुद्ध संकल्प हो - विजयी, यह है शुद्धि की विधि - जिससे किला मजबूत हो जायेगा।

स्लोगन:-
युक्तियुक्त वा यथार्थ सेवा का प्रत्यक्षफल है खुशी।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

ब्राह्मण जीवन में फर्स्ट नम्बर की कल्चर है “सत्यता और सभ्यता''। तो हर एक के चेहरे और चलन में यह ब्राह्मण क्लचर प्रत्यक्ष हो। हर ब्राह्मण मुस्कराता हुआ हर एक से सम्पर्क में आये। कोई कैसा भी हो आप अपना यह क्लचर कभी नहीं छोड़ो तो सहज परमात्म प्रत्यक्षता के निमित्त बन जायेंगे।