01-08-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम पवित्र बनने के बिगर वापिस जा नहीं सकते इसलिए बाप की याद से आत्मा की बैटरी को चार्ज करो और नैचुरल पवित्र बनो।''

प्रश्नः-
बाबा तुम बच्चों को घर चलने के पहले कौन-सी बात सिखलाते हैं?

उत्तर:-
बच्चे, घर चलने के पहले जीते जी मरना है इसलिए बाबा तुम्हें पहले से ही देह के भान से परे ले जाने का अभ्यास कराते हैं अर्थात् मरना सिखलाते हैं। ऊपर जाना माना मरना। जाने और आने का ज्ञान अभी तुम्हें मिला है। तुम जानते हो हम आत्मा ऊपर से आई हैं, इस शरीर द्वारा पार्ट बजाने। हम असुल वहाँ के रहने वाले हैं, अभी वहाँ ही वापिस जाना है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस शरीर रूपी कपड़े से ममत्व निकाल जीते जी मरना है अर्थात् अपने सब पुराने हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं।

2) डबल ताजधारी बनने के लिए पढ़ाई की मेहनत करनी है। दैवी गुण धारण करने हैं। जैसा लक्ष्य है, शुभ बोल है, ऐसा पुरूषार्थ करना है।

वरदान:-
अकल्याण के संकल्प को समाप्त कर अपकारियों पर उपकार करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव

कोई रोज़ आपकी ग्लानी करे, अकल्याण करे, गाली दे - तो भी उसके प्रति मन में घृणा भाव न आये, अपकारी पर भी उपकार - यही ज्ञानी तू आत्मा का कर्तव्य है। जैसे आप बच्चों ने बाप को 63 जन्म गाली दी फिर भी बाप ने कल्याणकारी दृष्टि से देखा, तो फालो फादर। ज्ञानी तू आत्मा का अर्थ ही है सर्व के प्रति कल्याण की भावना। अकल्याण संकल्प मात्र भी नहीं हो।

स्लोगन:-
मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहो तो औरों के मन के भावों को जान जायेंगे।