01-11-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम इस रूहानी युनिवर्सिटी के स्टूडेण्ट हो, तुम्हारा काम है सारी युनिवर्स को बाप का मैसेज देना''

प्रश्नः-
अभी तुम बच्चे कौन सा ढिंढोरा पीटते और कौन सी बात समझाते हो?

उत्तर:-
तुम ढिंढोरा पीटते हो कि यह नई दैवी राजधानी फिर से स्थापन हो रही है। अनेक धर्मों का अब विनाश होना है। तुम सबको समझाते हो कि सब बेफिकर रहो, यह इन्टरनेशनल रोला है। लड़ाई जरूर लगनी है, इसके बाद दैवी राजधानी आयेगी।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी स्थिति ऐसी अचल और निर्भय बनानी है जो अन्तिम विनाश की सीन को देख सकें। मेहनत करनी है देही-अभिमानी बनने की।

2) नई राजधानी में ऊंच पद पाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। पास होकर विजय माला का दाना बनना है।

वरदान:-
सदा भगवान और भाग्य की स्मृति में रहने वाले सर्वश्रेष्ठ भाग्यवान भव

संगमयुग पर चैतन्य स्वरूप में भगवान बच्चों की सेवा कर रहे हैं। भक्ति मार्ग में सब भगवान की सेवा करते लेकिन यहाँ चैतन्य ठाकुरों की सेवा स्वयं भगवान करते हैं। अमृतवेले उठाते हैं, भोग लगाते हैं, सुलाते हैं। रिकार्ड पर सोने और रिगार्ड पर उठने वाले, ऐसे लाडले वा सर्व श्रेष्ठ भाग्यवान हम ब्राह्मण हैं - इसी भाग्य की खुशी में सदा झूलते रहो। सिर्फ बाप के लाडले बनो, माया के नहीं। जो माया के लाडले बनते हैं वह बहुत लाडकोड करते हैं।

स्लोगन:-
अपने हर्षितमुख चेहरे से सर्व प्राप्तियों की अनुभूति कराना - सच्ची सेवा है।

अव्यक्त इशारे - अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

अशरीरी बनना अर्थात् आवाज़ से परे हो जाना। शरीर है तो आवाज़ है। शरीर से परे हो जाओ तो साइलेंस। एक सेकेण्ड में सर्विस के संकल्प में आये और एक सेकेण्ड में संकल्प से परे स्वरूप में स्थित हो जायें। कार्य प्रति शारीरिक भान में आयें फिर सेकेण्ड में अशरीरी हो जायें, जब यह ड्रिल पक्की होगी तब सभी परिस्थितियों का सामना कर सकेंगे।