01-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 18.01.2003 "बापदादा" मधुबन
ब्राह्मण जन्म की
स्मृतियों द्वारा समर्थ बन सर्व को समर्थ बनाओ
वरदान:-
सर्व सम्बन्धों
से एक बाप को अपना साथी बनाने वाले सहज पुरुषार्थी भव
बाप स्वयं सर्व
सम्बन्धों से साथ निभाने की ऑफर करते हैं। जैसा समय वैसे सम्बन्ध से बाप के साथ रहो
और साथी बनाओ। जहाँ सदा साथ भी है और साथी भी है वहाँ कोई मुश्किल हो नहीं सकता। जब
कभी अपने को अकेला अनुभव करो तो उस समय बाप के बिन्दू रूप को याद नहीं करो,
प्राप्तियों की लिस्ट सामने लाओ, भिन्न-भिन्न समय के रमणीक अनुभव की कहानियाँ स्मृति
में लाओ, सर्व संबंधों के रस का अनुभव करो तो मेहनत समाप्त हो जायेगी और सहज
पुरुषार्थी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
बहुरूपी बन माया के बहुरूपों को परख लो तो मास्टर मायापति बन जायेंगे।