02-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप का पार्ट एक्यूरेट है, वह अपने समय पर आते हैं, ज़रा भी फ़र्क नहीं पड़ सकता, उनके आने का यादगार शिवरात्रि खूब धूमधाम से मनाओ''

प्रश्नः-
किन बच्चों के विकर्म पूरे-पूरे विनाश नहीं हो पाते?

उत्तर:-
जिनका योग ठीक नहीं है, बाप की याद नहीं रहती तो विकर्म विनाश नहीं हो पाते। योगयुक्त न होने से इतनी सद्गति नहीं होती, पाप रह जाते हैं फिर पद भी कम हो जाता है। योग नहीं तो नाम-रूप में फंसे रहते हैं, उनकी ही बातें याद आती रहती हैं, वह देही-अभिमानी रह नहीं सकते।

गीत:-
यह कौन आज आया सवेरे सवेरे........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) शिव जयन्ती पर अविनाशी ज्ञान रत्नों का दुकान निकाल सेवा करनी है। घर-घर में रोशनी कर सबको बाप का परिचय देना है।

2) सच्चे बाप से सच्चा होकर रहना है, कोई भी विकर्म करके छिपाना नहीं है। ऐसा योगयुक्त बनना है, जो कोई भी पाप रह न जायें। किसी के भी नाम-रूप में नहीं फँसना है।

वरदान:-
मैं पन के भान को मिटाने वाले ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ त्यागी भव

सम्बन्ध का त्याग, वैभवों का त्याग कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन हर कार्य में, संकल्प में भी औरों को आगे रखने की भावना रखना अर्थात् अपने पन को मिटा देना, पहले आप करना... यह है श्रेष्ठ त्याग। इसे ही कहा जाता स्वयं के भान को मिटा देना। जैसे ब्रह्मा बाप ने सदा बच्चों को आगे रखा। “मैं आगे रहूं'' इसमें भी सदा त्यागी रहे, इसी त्याग के कारण सबसे आगे अर्थात् नम्बरवन में जाने का फल मिला। तो फालो फादर।

स्लोगन:-
फट से किसी का नुक्स निकाल देना - यह भी दु:ख देना है।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

जैसे ऊंची टावर से सकाश देते हैं, लाइट माइट फैलाते हैं। ऐसे आप बच्चे भी अपनी ऊंची स्थिति अथवा ऊंचे स्थान पर बैठ कम से कम 4 घण्टे विश्व को लाइट और माइट दो। जैसे सूर्य भी विश्व में रोशनी तब दे सकता है जब ऊंचा है। तो साकार सृष्टि को सकाश देने के लिए ऊंचे स्थान निवासी बनो।