02-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.10.2004 "बापदादा" मधुबन
“एक को प्रत्यक्ष करने
के लिए एकरस स्थिति बनाओ, स्वमान में रहो, सबको सम्मान दो''
वरदान:-
सच्चे साथी का
साथ लेने वाले सर्व से न्यारे, प्यारे निर्मोही भव
रोज़ अमृतवेले सर्व
सम्बन्धों का सुख बापदादा से लेकर औरों को दान करो। सर्व सुखों के अधिकारी बन औरों
को भी बनाओ। कोई भी काम है उसमें साकार साथी याद न आये, पहले बाप की याद आये क्योंकि
सच्चा मित्र बाप है। सच्चे साथी का साथ लेंगे तो सहज ही सर्व से न्यारे और प्यारे
बन जायेंगे। जो सर्व सम्बन्धों से हर कार्य में एक बाप को याद करते हैं वह सहज ही
निर्मोही बन जाते हैं। उनका किसी भी तरफ लगाव अर्थात् झुकाव नहीं रहता इसलिए माया
से हार भी नहीं हो सकती है।
स्लोगन:-
माया को देखने वा जानने के लिए त्रिकालदर्शी और त्रिनेत्री बनो तब विजयी बनेंगे।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
सत्यता की निशानी
सभ्यता है। अगर आप सच्चे हो, सत्यता की शक्ति आपमें है तो सभ्यता को कभी नहीं छोड़ो,
सत्यता को सिद्ध करो लेकिन सभ्यतापूर्वक। अगर सभ्यता को छोड़कर असभ्यता में आकरके
सत्य को सिद्ध करना चाहते हो तो वह सत्य सिद्ध नहीं होगा। असभ्यता की निशानी है जिद
और सभ्यता की निशानी है निर्मान। सत्यता को सिद्ध करने वाला सदैव स्वयं निर्मान
होकर सभ्यतापूर्वक व्यवहार करेगा।