02-08-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारे निज़ी संस्कार पवित्रता के हैं, तुम रावण के संग में आकर पतित बनें, अब फिर पावन बन पावन दुनिया का मालिक बनना है''

प्रश्नः-
अशान्ति का कारण और उसका निवारण क्या है?

उत्तर:-
अशान्ति का कारण है अपवित्रता। अब भगवान् बाप से वायदा करो कि हम पवित्र बन पवित्र दुनिया बनायेंगे, अपनी सिविल आई रखेंगे, क्रिमिनल नहीं बनेंगे तो अशान्ति दूर हो सकती है। तुम शान्ति स्थापन करने के निमित्त बने हुए बच्चे कभी अशान्ति नहीं फैला सकते। तुम्हें शान्त रहना है, माया के गुलाम नहीं बनना है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) बाप से पवित्रता की प्रतिज्ञा की है तो अपने को माया के वार से बचाते रहना है। कभी माया का गुलाम नहीं बनना है। इस प्रतिज्ञा को भूलना नहीं है क्योंकि अब पावन दुनिया में चलना है।

2) देवता बनने के लिए अवस्था को बहुत-बहुत शान्तचित बनाना है। कोई भी भूत प्रवेश होने नहीं देना है। दैवीगुण धारण करने हैं।

वरदान:-
फरिश्ते स्वरूप की स्मृति द्वारा बाप की छत्रछाया का अनुभव करने वाले विघ्न जीत भव

अमृतवेले उठते ही स्मृति में लाओ कि मैं फरिश्ता हूँ। ब्रह्मा बाप को यही दिलपसन्द गिफ्ट दो तो रोज़ अमृतवेले बापदादा आपको अपनी बांहों में समा लेंगे, अनुभव करेंगे कि बाबा की बाहों में, अतीन्द्रिय सुख में झूल रहे हैं। जो फरिश्ते स्वरूप की स्मृति में रहेंगे उनके सामने कोई परिस्थिति वा विघ्न आयेगा भी तो बाप उनके लिए छत्रछाया बन जायेंगे। तो बाप की छत्रछाया वा प्यार का अनुभव करते विघ्न जीत बनो।

स्लोगन:-
सुख स्वरूप आत्मा स्व-स्थिति से परिस्थिति पर सहज विजय प्राप्त कर लेती है।