02-11-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 31.10.2007 "बापदादा"    मधुबन


अपने श्रेष्ठ स्वमान के फ़खुर में रह असम्भव को सम्भव करते बेफिक्र बादशाह बनो


वरदान:-
संगमयुग पर प्रत्यक्षफल द्वारा शक्तिशाली बनने वाली सदा समर्थ आत्मा भव

संगमयुग पर जो आत्मायें बेहद सेवा के निमित्त बनती हैं उन्हें निमित्त बनने का प्रत्यक्ष फल शक्ति की प्राप्ति होती है। यह प्रत्यक्षफल ही श्रेष्ठ युग का फल है। ऐसा फल खाने वाली शक्तिशाली आत्मा किसी भी परिस्थिति के ऊपर सहज ही विजय पा लेती है। वह समर्थ बाप के साथ होने के कारण व्यर्थ से सहज मुक्त हो जाती है। जहरीले सांप समान परिस्थिति पर भी उनकी विजय हो जाती है इसलिए यादगार में दिखाते हैं कि श्रीकृष्ण ने सर्प के सिर पर डांस किया।

स्लोगन:-
पास विद आनर बनकर पास्ट को पास करो और बाप के सदा पास रहो।

अव्यक्त इशारे - अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते हैं वैसे ही बच्चों को भी अशरीरी हो करके शरीर में आना है। अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। जैसे इस शरीर को छोड़ना और शरीर को लेना, यह अनुभव सभी को है। ऐसे ही जब चाहो तब शरीर का भान छोड़कर अशरीरी बन जाओ और जब चाहो तब शरीर का आधार लेकर कर्म करो। बिल्कुल ऐसे ही अनुभव हो जैसे यह स्थूल चोला अलग है और चोले को धारण करने वाली मैं आत्मा अलग हूँ।