02-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें अपने
दीपक की सम्भाल स्वयं ही करनी है, तूफानों से बचने के लिए ज्ञान-योग का घृत जरूर
चाहिए''
प्रश्नः-
कौन-सा
पुरुषार्थ गुप्त बाप से गुप्त वर्सा दिला देता है?
उत्तर:-
अन्तर्मुख
अर्थात् चुप रहकर बाप को याद करो तो गुप्त वर्सा मिल जायेगा। याद में रहते शरीर छूटे
तो बहुत अच्छा, इसमें कोई तकलीफ नहीं। याद के साथ-साथ ज्ञान-योग की सर्विस भी करनी
है, अगर नहीं कर सकते तो कर्मणा सेवा करो। बहुतों को सुख देंगे तो आशीर्वाद मिलेगी।
चलन और बोलचाल भी बहुत सात्विक चाहिए।
गीत:-
निर्बल से
लड़ाई बलवान की........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सतोप्रधान बनने के लिए बहुत-बहुत परहेज से चलना है। अपना खान-पान,
बोल-चाल सब सात्विक रखना है। बाप समान रूप-बसन्त बनना है।
2) अविनाशी ज्ञान रत्नों की निराकारी खान से अपनी झोली भरकर अपार खुशी में रहना
है और दूसरों को भी इन रत्नों का दान देना है।
वरदान:-
नष्टोमोहा बन
दु:ख अशान्ति के नाम निशान को समाप्त करने वाले स्मृति स्वरूप भव
जो सदा एक की स्मृति में
रहते हैं, उनकी स्थिति एकरस हो जाती है। एकरस स्थिति का अर्थ है एक द्वारा सर्व
सम्बन्ध, सर्व प्राप्तियों के रस का अनुभव करना। जो बाप को सर्व सम्बन्ध से अपना
बनाकर स्मृति स्वरूप रहते हैं वह सहज ही नष्टोमोहा बन जाते हैं। जो नष्टोमोहा हैं
उन्हें कभी कमाने में, धन सम्भालने में, किसी के बीमार होने में... दु:ख की लहर नहीं
आ सकती। नष्टोमोहा अर्थात् दुख अशान्ति का नाम निशान न हो। सदा बेफिक्र।
स्लोगन:-
क्षमाशील वह हैं जो रहमदिल बन सर्व को दुआयें देते रहें।