03-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - कलंगीधर बनने के लिए अपनी अवस्था अचल-अडोल बनाओ, जितना तुम पर कलंक लगते हैं, उतना तुम कलंगीधर बनते हो''

प्रश्नः-
बाप की आज्ञा क्या है? किस मुख्य आज्ञा पर चलने वाले बच्चे दिल तख्तनशीन बनते हैं?

उत्तर:-
बाप की आज्ञा है - मीठे बच्चे, तुम्हें कोई से भी खिट-खिट नहीं करनी है। शान्ति में रहना है। अगर कोई को तुम्हारी बात अच्छी नहीं लगती तो तुम चुप रहो। एक-दो को तंग नहीं करो। बापदादा के दिलतख्तनशीन तब बन सकते जब अन्दर कोई भी भूत न रहे, मुख से कभी कोई कडुवे बोल न निकलें, मीठा बोलना जीवन की धारणा हो जाए।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जब कोई अशान्ति फैलाते हैं या तंग करते हैं तो तुम्हें शान्त रहना है। अगर समझानी मिलते हुए भी कोई अपना सुधार नहीं कर सकते तो कहेंगे इनकी तकदीर क्योंकि राजधानी स्थापन हो रही है।

2) विचार सागर मंथन कर ज्ञान की नई-नई प्वाइंट्स निकाल सर्विस करनी है। बाप मुरली में रोज़ जो गुह्य बातें सुनाते हैं, वह कभी मिस नहीं करनी है।

वरदान:-
पवित्रता को आदि अनादि विशेष गुण के रूप में सहज अपनाने वाले पूज्य आत्मा भव

पूज्यनीय बनने का विशेष आधार पवित्रता पर है। जितना सर्व प्रकार की पवित्रता को अपनाते हो उतना सर्व प्रकार से पूज्यनीय बनते हो। जो विधिपूर्वक आदि अनादि विशेष गुण के रूप से पवित्रता को अपनाते हैं वही विधिपूर्वक पूजे जाते हैं। जो ज्ञानी और अज्ञानी आत्माओं के सम्पर्क में आते पवित्र वृत्ति, दृष्टि, वायब्रेशन से यथार्थ सम्पर्क-सम्बन्ध निभाते हैं, स्वप्न में भी जिनकी पवित्रता खण्डित नहीं होती है - वही विधिपूवर्क पूज्य बनते हैं।

स्लोगन:-
व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ता बनकर सेवा करो तो विश्व कल्याण का कार्य तीव्रगति से सम्पन्न हो।