03-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - याद की
यात्रा में अलबेले मत बनो, याद से ही आत्मा पावन बनेगी, बाप आये हैं सभी आत्माओं की
सेवा कर उन्हें शुद्ध बनाने''
प्रश्नः-
कौन-सी स्मृति
बनी रहे तो खान-पान शुद्ध हो जायेगा?
उत्तर:-
यदि स्मृति रहे
कि हम बाबा के पास आये हैं सचखण्ड में जाने के लिए वा मनुष्य से देवता बनने के लिए
तो खान-पान शुद्ध हो जायेगा क्योंकि देवतायें कभी अशुद्ध चीज़ नहीं खाते। जब हम
सत्य बाबा के पास आये हैं सचखण्ड, पावन दुनिया का मालिक बनने तो पतित (अशुद्ध) बन
नहीं सकते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप द्वारा अच्छी रीति पढ़कर फर्स्टक्लास फूल बनना है, कांटों के इस
जंगल को फूलों का बगीचा बनाने में बाप को पूरी मदद करनी है।
2) कर्मातीत अवस्था को प्राप्त करने वा स्वर्ग में ऊंच पद का अधिकार प्राप्त करने
के लिए याद की यात्रा में तत्पर रहना है, अलबेला नहीं बनना है।
वरदान:-
अपने मस्तक पर
सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले मास्टर विघ्न-विनाशक भव
गणेश को विघ्न विनाशक कहते
हैं। विघ्न विनाशक वही बनते जिनमें सर्व शक्तियां हैं। सर्वशक्तियों को समय प्रमाण
कार्य में लगाओ तो विघ्न ठहर नहीं सकते। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप
नॉलेजफुल बनो। नॉलेजफुल आत्मा कभी माया से हार खा नहीं सकती। जब मस्तक पर बापदादा
की दुआओं का हाथ है तो विजय का तिलक लगा हुआ है। परमात्म हाथ और साथ विघ्न-विनाशक
बना देता है।
स्लोगन:-
स्वयं
में गुणों को धारण कर दूसरों को गुणदान करने वाले ही गुणमूर्त हैं।