04-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम अशरीरी बन जब बाप को याद करते हो तो तुम्हारे लिए यह दुनिया ही खत्म हो जाती है, देह और दुनिया भूली हुई है''

प्रश्नः-
बाप द्वारा सभी बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र क्यों मिला है?

उत्तर:-
अपने को आत्मा समझ, बाप जो है जैसा है, उसी रूप में याद करने के लिए तीसरा नेत्र मिला है। परन्तु यह तीसरा नेत्र काम तब करता है जब पूरा योगयुक्त रहें अर्थात् एक बाप से सच्ची प्रीत हो। किसी के नाम-रूप में लटके हुए न हों। माया प्रीत रखने में ही विघ्न डालती है। इसी में बच्चे धोखा खाते हैं।

गीत:-
मरना तेरी गली में .............

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस छी-छी देह से पूरा नष्टोमोहा बन ज्ञान के अतीन्द्रिय सुख में रहना है। बुद्धि में रहे अब यह दुनिया बदल रही है हम जाते हैं अपने सुखधाम।

2) ट्रस्टी बनकर सब कुछ सम्भालते हुए अपना ममत्व मिटा देना है। एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है। कर्मेन्द्रियों से कभी भी कोई विकर्म नहीं करना है।

वरदान:-
ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ तस्वीर बनाने वाले परोपकारी भव

श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ कर्म द्वारा तकदीर की तस्वीर तो सभी बच्चों ने बनाई है, अभी सिर्फ लास्ट टचिंग है सम्पूर्णता की वा ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनने की, इसके लिए परोपकारी बनो अर्थात् स्वार्थ भाव से सदा मुक्त रहो। हर परिस्थिति में, हर कार्य में, हर सहयोगी संगठन में जितना नि:स्वार्थ पन होगा उतना ही पर-उपकारी बन सकेंगे। सदा स्वयं को भरपूर अनुभव करेंगे। सदा प्राप्ति स्वरूप की स्थिति में स्थित रहेंगे। स्व के प्रति कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।

स्लोगन:-
सर्वस्व त्यागी बनने से ही सरलता व सहनशीलता का गुण आयेगा।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

यह सकाश देने की सेवा निरन्तर कर सकते हो, इसमें तबियत वा समय की बात नहीं है। दिन रात इस बेहद की सेवा में लग सकते हो। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, रात को भी आंख खुली और बेहद की सकाश देने की सेवा होती रही, ऐसे फालो फादर करो। जब आप बच्चे बेहद को सकाश देंगे तो नजदीक वाले ऑटोमेटिक सकाश लेते रहेंगे। इस बेहद की सकाश देने से वायुमण्डल ऑटोमेटिक बनेगा।