04-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप तुम्हें
अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान देते हैं, तुम फिर औरों को दान देते रहो, इसी दान से
सद्गति हो जायेगी''
प्रश्नः-
कौन-सा नया
रास्ता तुम बच्चों के सिवाए कोई भी नहीं जानता है?
उत्तर:-
घर का रास्ता
वा स्वर्ग जाने का रास्ता अभी बाप द्वारा तुम्हें मिला है। तुम जानते हो शान्तिधाम
हम आत्माओं का घर है, स्वर्ग अलग है, शान्तिधाम अलग है। यह नया रास्ता तुम्हारे
सिवाए कोई भी नहीं जानता। तुम कहते हो अब कुम्भकरण की नींद छोड़ो, आंख खोलो, पावन
बनो। पावन बनकर ही घर जा सकेंगे।
गीत:-
जाग सजनियाँ
जाग..........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) धर्मराज की सजाओं से बचने के लिए किसी की भी देह को याद नहीं करना
है, इन आंखों से सब कुछ देखते हुए एक बाप को याद करना है, अशरीरी बनने का अभ्यास
करना है। पावन बनना है।
2) मुक्ति और जीवनमुक्ति का रास्ता सबको बताना है। अब नाटक पूरा हुआ, घर जाना है
- इस स्मृति से बेहद की आमदनी जमा करनी है।
वरदान:-
एक सेकण्ड की
बाजी से सारे कल्प की तकदीर बनाने वाले श्रेष्ठ तकदीरवान भव
इस संगम के समय को वरदान
मिला है जो चाहे, जैसा चाहे, जितना चाहे उतना भाग्य बना सकते हैंक्योंकि भाग्य
विधाता बाप ने तकदीर बनाने की चाबी बच्चों के हाथ में दी है। लास्ट वाला भी फास्ट
जाकर फर्स्ट आ सकता है। सिर्फ सेवाओं के विस्तार में स्वयं की स्थिति सेकण्ड में
सार स्वरूप बनाने का अभ्यास करो। अभी-अभी डायरेक्शन मिले एक सेकण्ड में मास्टर बीज
हो जाओ तो टाइम न लगे। इस एक सेकण्ड की बाजी से सारे कल्प की तकदीर बना सकते हैं।
स्लोगन:-
डबल
सेवा द्वारा पावरफुल वायुमण्डल बनाओ तो प्रकृति दासी बन जायेगी।
अव्यक्त-इशारे -
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
अनेक वृक्षों की
डालियाँ अब एक ही चन्दन का वृक्ष हो गया। लोग कहते हैं - दो चार मातायें भी एक साथ
इकट्ठी नहीं रह सकती और अभी मातायें सारे विश्व में एकता स्थापन करने के निमित्त
हैं। माताओं ने ही भिन्नता में एकता लाई है। देश भिन्न है, भाषा भिन्न-भिन्न है,
कल्चर भिन्न-भिन्न है लेकिन आप लोगों ने भिन्नता को एकता में लाया है।