04-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बहन-भाई के भी भान से निकल भाई-भाई समझो तो सिविल आई बन जायेगी, आत्मा जब सिविल-आइज्ड बनें तब कर्मातीत बन सकती है''

प्रश्नः-
अपनी खामियों को निकालने के लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?

उत्तर:-
अपने कैरेक्टर्स का रजिस्टर रखो। उसमें रोज़ का पोतामेल नोट करो। रजिस्टर रखने से अपनी कमियों का मालूम पड़ेगा फिर सहज ही उन्हें निकाल सकेंगे। खामियों को निकालते-निकालते उस अवस्था तक पहुँचना है जो एक बाप के सिवाए दूसरा कुछ भी याद न रहे। किसी भी पुरानी चीज़ में ममत्व न रहे। अन्दर कुछ भी मांगने की तमन्ना न रहे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऐसा योगी बनना है जो शरीर में ज़रा भी ममत्व न रहे। कोई भी छी-छी चीज़ में आसक्ति न जाये। अवस्था ऐसी उपराम रहे। खुशी का पारा चढ़ा हुआ हो।

2) काल सिर पर खड़ा है इसलिए शुभ कार्य में देरी नहीं करनी है। कल पर नहीं छोड़ना है।

वरदान:-
चतुरसुजान बाप से चतुराई करने के बजाए महसूसता शक्ति द्वारा सर्व पापों से मुक्त भव

कई बच्चे चतुरसुजान बाप से भी चतुराई करते हैं - अपना काम सिद्ध करने के लिए अपना नाम अच्छा करने के लिए उस समय महसूस कर लेते हैं लेकिन उस महसूसता में शक्ति नहीं होती इसलिए परिवर्तन नहीं होता। कई हैं जो समझते हैं यह ठीक नहीं है लेकिन सोचते हैं कहीं नाम खराब न हो इसलिए अपने विवेक का खून करते हैं, यह भी पाप के खाते में जमा होता है इसलिए चतुराई को छोड़ सच्चे दिल की महसूसता से स्वयं को परिवर्तन कर पापों से मुक्त बनो।

स्लोगन:-
जीवन में रहते भिन्न-भिन्न बंधनों से मुक्त रहना ही जीवनमुक्त स्थिति है।