04-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बन्धनमुक्त बन सर्विस में तत्पर रहो, क्योंकि इस सर्विस में बहुत ऊंच कमाई है, 21 जन्मों के लिए तुम वैकुण्ठ का मालिक बनते हो''

प्रश्नः-
हर एक बच्चे को कौन-सी आदत डालनी चाहिए?

उत्तर:-
मुरली की प्वाइंट पर समझाने की। ब्राह्मणी (टीचर) अगर कहीं चली जाती है तो आपस में मिलकर क्लास चलानी चाहिए। अगर मुरली चलाना नहीं सीखेंगे तो आप समान कैसे बनायेंगे। ब्राह्मणी बिगर मूँझना नहीं चाहिए। पढ़ाई तो सिम्पुल है। क्लास चलाते रहो, यह भी प्रैक्टिस करनी है।

गीत:-
मुखड़ा देख ले प्राणी. .....

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर जो ईर्ष्या आदि की पुरानी आदतें हैं, उसे छोड़ आपस में बहुत प्यार से मिलकर रहना है। ईर्ष्या के कारण पढ़ाई नहीं छोड़नी है।

2) इस पुराने सड़े हुए शरीर का भान छोड़ देना है। भ्रमरी की तरह ज्ञान की भूँ-भूँ कर कीड़ों को आप समान बनाने की सेवा करनी है। इस रूहानी धन्धे में लग जाना है।

वरदान:-
मन्सा बन्धनों से मुक्त, अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाले मुक्ति दाता भव

अतीन्द्रिय सुख में झूलना - यह संगमयुगी ब्राह्मणों की विशेषता है। लेकिन मन्सा संकल्पों के बंधन आन्तरिक खुशी वा अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने नहीं देते। व्यर्थ संकल्पों, ईर्ष्या, अलबेलेपन वा आलस्य के संकल्पों के बंधन में बंधना ही मन्सा बंधन है, ऐसी आत्मा अभिमान के वश दूसरों का ही दोष सोचती रहती है, उनकी महसूसता शक्ति समाप्त हो जाती है इसलिए इस सूक्ष्म बंधन से मुक्त बनो तब मुक्ति दाता बन सकेंगे।

स्लोगन:-
ऐसा खुशियों की खान से सम्पन्न रहो जो आपके पास दु:ख की लहर भी न आये।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

किसी भी श्रेष्ठ संकल्प रूपी बीज को फलीभूत बनाने का सहज साधन एक ही है - वह है सदा बीज रूप बाप से हर समय सर्व शक्तियों का बल उस बीज में भरते रहना। बीज रूप द्वारा आपके संकल्प रूपी बीज सहज और स्वत: वृद्धि को पाते फलीभूत हो जायेंगे। संकल्प शक्ति जमा हो जायेगी।