04-11-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपनी खामियां निकालनी हैं तो सच्चे दिल से बाप को सुनाओ, बाबा तुम्हें कमियों को निकालने की युक्ति बतायेंगे''

प्रश्नः-
बाप की करेन्ट किन बच्चों को मिलती है?

उत्तर:-
जो बच्चे ईमानदारी से सर्जन को अपनी बीमारी सुना देते हैं, बाबा उन्हें दृष्टि देता। बाबा को उन बच्चों पर बहुत तरस पड़ता है। अन्दर में आता इस बच्चे का यह भूत निकल जाये। बाबा उन्हें करेन्ट देता है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कम से कम 8 घण्टा बाप से रूहरिहान कर बड़ी ठण्डाई वा नम्रता से रूहानी सर्विस करनी है। सर्विस में सक्सेस होने के लिए अन्दर में कोई भी माया का भूत न हो।

2) अपने आपसे बातें करनी है कि यह जो कुछ हम देखते हैं यह सब विनाश होना है, हम अपने घर जायेंगे फिर सुखधाम में आयेंगे।

वरदान:-
अटल निश्चय द्वारा सहज विजय का अनुभव करने वाले सदा हर्षित, निश्चिंत भव

निश्चय की निशानी है सहज विजय। लेकिन निश्चय सब बातों में चाहिए। सिर्फ बाप में निश्चय नहीं, अपने आप में, ब्राह्मण परिवार में और ड्रामा के हर दृश्य में सम्पूर्ण निश्चय हो, थोड़ी सी बात में निश्चय टलने वाला न हो। सदा यह स्मृति रहे कि विजय की भावी टल नहीं सकती, ऐसे निश्चयबुद्धि बच्चे, क्या हुआ, क्यों हुआ... इन सब प्रश्नों से भी पार सदा निश्चिंत, सदा हर्षित रहते हैं।

स्लोगन:-
समय को नष्ट करने के बजाए फौरन निर्णय कर फैंसला करो।