05-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 17.10.2003 "बापदादा" मधुबन
“पूरा वर्ष -
सन्तुष्टमणि बन सदा सन्तुष्ट रहना और सबको सन्तुष्ट करना''
वरदान:-
शुभचिंतन और
शुभचिंतक स्थिति के अनुभव द्वारा ब्रह्मा बाप समान मास्टर दाता भव
ब्रह्मा बाप समान
मास्टर दाता बनने के लिए ईर्ष्या, घृणा और क्रिटिसाइज़ - इन तीन बातों से मुक्त
रहकर सर्व के प्रति शुभचिंतक बनो और शुभचिंतन स्थिति का अनुभव करो क्योंकि जिसमें
ईर्ष्या की अग्नि होती है वे स्वयं जलते हैं, दूसरों को परेशान करते हैं, घृणा वाले
खुद भी गिरते हैं दूसरे को भी गिराते हैं और हंसी में भी क्रिटिसाइज़ करने वाले,
आत्मा को हिम्मतहीन बनाकर दु:खी करते हैं इसलिए इन तीनों बातों से मुक्त रह
शुभचिंतक स्थिति के अनुभव द्वारा दाता के बच्चे मास्टर दाता बनो।
स्लोगन:-
मन-बुद्धि और संस्कारों पर सम्पूर्ण राज्य करने वाले स्वराज्य अधिकारी बनो।
अपनी शक्तिशाली मन्सा
द्वारा सकाश देने की सेवा करो
आप ब्राह्मण बच्चे तना
हो। तने से ही सारे वृक्ष को सकाश पहुंचती है। तो अब विश्व को सकाश देने वाले बनो।
अगर 20 सेन्टर, 30 सेन्टर या दो अढ़ाई सौ सेन्टर या ज़ोन, यह बुद्धि में रहेगा तो
बेहद में सकाश नहीं दे सकेंगे इसलिए हदों से निकल अब बेहद की सेवा का पार्ट आरम्भ
करो। बेहद में जाने से हद की बातें आपेही छूट जायेंगी। बेहद की सकाश से परिवर्तन
होना - यह फास्ट सेवा का रिजल्ट है।