05-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - खुशी जैसी
खुराक नहीं, तुम खुशी में चलते फिरते पैदल करते बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे''
प्रश्नः-
कोई भी कर्म
विकर्म न बने उसकी युक्ति क्या है?
उत्तर:-
विकर्मों से
बचने का साधन है श्रीमत। बाप की जो पहली श्रीमत है कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद
करो, इस श्रीमत पर चलो तो तुम विकर्माजीत बन जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी ऊंची तकदीर बनाने के लिए रहमदिल बन पढ़ना और पढ़ाना है। कभी भी
किसी आदत के वश हो अपना रजिस्टर खराब नहीं करना है।
2) मनुष्य से देवता बनने के लिए मुख्य है पवित्रता इसलिए कभी भी पतित बन अपनी
बुद्धि को मलीन नहीं करना है। ऐसा कर्म न हो जो दिल अन्दर खाती रहे, पश्चाताप करना
पड़े।
वरदान:-
बीजरूप स्थिति
द्वारा सारे विश्व को लाइट का पानी देने वाले विश्व कल्याणकारी भव
बीजरूप स्टेज सबसे पावरफुल
स्टेज है यही स्टेज लाइट हाउस का कार्य करती है, इससे सारे विश्व में लाइट फैलाने
के निमित्त बनते हो। जैसे बीज द्वारा स्वत: ही सारे वृक्ष को पानी मिल जाता है ऐसे
जब बीजरूप स्टेज पर स्थित रहते हो तो विश्व को लाइट का पानी मिलता है। लेकिन सारे
विश्व तक अपनी लाइट फैलाने के लिए विश्व कल्याणकारी की पावरफुल स्टेज चाहिए। इसके
लिए लाइट हाउस बनो न कि बल्ब। हर संकल्प में स्मृति रहे कि सारे विश्व का कल्याण
हो।
स्लोगन:-
एडॅजेस्ट होने की शक्ति नाजुक समय पर पास विद आनॅर बना देगी।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
परमात्म
प्रत्यक्षता का आधार सत्यता है। सत्यता से ही प्रत्यक्षता होगी - एक स्वयं के स्थिति
की सत्यता, दूसरी सेवा की सत्यता। सत्यता का आधार है - स्वच्छता और निर्भयता। इन
दोनों धारणाओं के आधार से सत्यता द्वारा परमात्म प्रत्यक्षता के निमित्त बनो। किसी
भी प्रकार की अस्वच्छता अर्थात् ज़रा भी सच्चाई सफाई की कमी है तो कर्तव्य की सिद्धि
नहीं हो सकती।