05-04-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें अभी नाम रूप की बीमारी से बचना है, उल्टा खाता नहीं बनाना है, एक बाप की याद में रहना है''

प्रश्नः-
भाग्यवान बच्चे किस मुख्य पुरुषार्थ से अपना भाग्य बना देते हैं?

उत्तर:-
भाग्यवान बच्चे सबको सुख देने का पुरुषार्थ करते हैं। मन्सा-वाचा-कर्मणा कोई को दु:ख नहीं देते हैं। शीतल होकर चलते हैं तो भाग्य बनता जाता है। तुम्हारी यह स्टूडेन्ट लाइफ है, तुम्हें अब घुटके नहीं खाने हैं, अपार खुशी में रहना है।

गीत:-
तुम्हीं हो माता-पिता...........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) निर्बन्धन बनने के लिए ज्ञान की मस्ती हो। देह-अभिमान की चलन न हो। आपस में लूनपानी होने के संस्कार न हों। देहधारियों से प्यार है तो बंधनमुक्त हो नहीं सकते।

2) कर्मयोगी बनकर रहना है, याद में बैठना जरूर है। आत्म-अभिमानी बन बहुत मीठा और शीतल बनने का पुरुषार्थ करना है। सर्विस में हड्डियाँ देनी है।

वरदान:-
श्रीमत से मनमत और जनमत की मिलावट को समाप्त करने वाले सच्चे स्व कल्याणी भव

बाप ने बच्चों को सभी खजाने स्व कल्याण और विश्व कल्याण के प्रति दिये हैं लेकिन उन्हें व्यर्थ तरफ लगाना, अकल्याण के कार्य में लगाना, श्रीमत में मनमत और जनमत की मिलावट करना - यह अमानत में ख्यानत है। अब इस ख्यानत और मिलावट को समाप्त कर रूहानियत और रहम को धारण करो। अपने ऊपर और सर्व के ऊपर रहम कर स्व कल्याणी बनो। स्व को देखो, बाप को देखो औरों को नहीं देखो।

स्लोगन:-
सदा हर्षित वही रह सकते हैं जो कहीं भी आकर्षित नहीं होते हैं।

अव्यक्त इशारे - “कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''

“बाबा और हम'' - कम्बाइण्ड हैं, करावनहार बाबा और करने के निमित्त मैं आत्मा हूँ - इसको कहते हैं असोच अर्थात् एक की याद। शुभचिंतन में रहने वाले को कभी चिंता नहीं होती। जैसे बाप और आप कम्बाइण्ड हो, शरीर और आत्मा कम्बाइण्ड है, आपका भविष्य विष्णु स्वरुप कम्बाइण्ड है, ऐसे स्व-सेवा और सर्व की सेवा कम्बाइण्ड हो तब मेहनत कम सफलता ज्यादा मिलेगी।