05-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम साहेबजादे सो शहजादे बनने वाले हो, तुम्हें किसी भी चीज़ की इच्छा नहीं रखनी है, किसी से कुछ भी मांगना नहीं है''

प्रश्नः-
तबियत को ठीक रखने के लिए कौन-सा आधार नहीं चाहिए?

उत्तर:-
कई बच्चे समझते हैं वैभवों के आधार पर तबियत ठीक रहेगी। परन्तु बाबा कहते हैं बच्चे यहाँ तुम्हें वैभवों की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। वैभवों से तबियत ठीक नहीं होगी। तबियत ठीक रखने के लिए तो याद की यात्रा चाहिए। कहा जाता है खुशी जैसी खुराक नहीं। तुम खुश रहो, नशे में रहो। यज्ञ में दधीचि ऋषि के मिसल हड्डियां दो तो तबियत ठीक हो जायेगी।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी को कभी न तो नाराज़ करना है, न नाराज़ होना है। अपनी होशियारी का या सेवा करने का अहंकार नहीं दिखाना है। जैसे बाप बच्चों का रिगॉर्ड रखते हैं ऐसे स्वयं का रिगार्ड स्वयं ही रखना है।

2) योगबल से अपनी सब इच्छायें समाप्त करनी है। सदा इसी खुशी वा नशे में रहना है कि हम साहेबजादे सो शहजादे बनने वाले हैं। सदा शान्ति में रह सर्विस करनी है। रग-रग में जो भूत भरे हुए हैं, उन्हें निकाल देना है।

वरदान:-
ब्राह्मण जीवन में बाप द्वारा लाइट का ताज प्राप्त करने वाली महान भाग्यवान आत्मा भव

संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की विशेषता “पवित्रता'' है। पवित्रता की निशानी - लाइट का ताज है जो हर ब्राह्मण आत्मा को बाप द्वारा प्राप्त होता है। पवित्रता की लाइट का यह ताज उस रत्न-जड़ित ताज से अति श्रेष्ठ है। महान आत्मा, परमात्म भाग्यवान आत्मा, ऊंचे से ऊंची आत्मा की यह ताज निशानी है। बापदादा हर एक बच्चे को जन्म से “पवित्र भव'' का वरदान देते हैं, जिसका सूचक लाइट का ताज है।

स्लोगन:-
बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा इच्छाओं के वश परेशान आत्माओं की परेशानी दूर करो।