05-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - ड्रामा की
श्रेष्ठ नॉलेज तुम बच्चों के पास ही है, तुम जानते हो यह ड्रामा हूबहू रिपीट होता
है''
प्रश्नः-
प्रवृत्ति वाले
बाबा से कौन-सा प्रश्न पूछते हैं, बाबा उन्हें क्या राय देते हैं?
उत्तर:-
कई बच्चे पूछते
हैं - बाबा हम धन्धा करें? बाबा कहते - बच्चे, धन्धा भल करो लेकिन रॉयल धन्धा करो।
ब्राह्मण बच्चे छी-छी धन्धा शराब, सिगरेट, बीड़ी आदि का नहीं कर सकते क्योंकि इनसे
और ही विकारों की खींच होती है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का धन्धा कर 21 जन्मों के लिए पद्मापद्म
भाग्यशाली बनना है। अपनी जांच करनी है - हमारे में कोई आसुरी गुण तो नहीं है? हम ऐसा
कोई धन्धा तो नहीं करते जिससे विकारों की उत्पत्ति हो?
2) याद की यात्रा में रह सारी सृष्टि को सद्गति में पहुँचाना है। एक सतगुरू बाप
की श्रीमत पर चल आप समान बनाने की सेवा करनी है। ध्यान रहे - माया कभी कला रहित न
बना दे।
वरदान:-
बुराई में भी
अच्छाई का अनुभव करने वाले निश्चयबुद्धि बेफिक्र बादशाह भव
सदा यह स्लोगन याद रहे कि
जो हुआ अच्छा हुआ, अच्छा है और अच्छा ही होना है। बुराई को बुराई के रूप में न देखें।
लेकिन बुराई में भी अच्छाई का अनुभव करें, बुराई से भी अपना पाठ पढ़ लें। कोई भी
बात आये तो “क्या होगा'' यह संकल्प न आये लेकिन फौरन आये कि “अच्छा होगा''। बीत गया
अच्छा हुआ। जहाँ अच्छा है वहाँ सदा बेफिक्र बादशाह हैं। निश्चयबुद्धि का अर्थ ही है
बेफिक्र बादशाह।
स्लोगन:-
जो
स्वयं को वा दूसरों को रिगार्ड देते हैं उनका रिकार्ड सदा ठीक रहता है।