05-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह सारी
दुनिया रोगियों की बड़ी हॉस्पिटल है, बाबा आये हैं सारी दुनिया को निरोगी बनाने''
प्रश्नः-
कौन-सी स्मृति
रहे तो कभी भी मुरझाइस वा दु:ख की लहर नहीं आ सकती है?
उत्तर:-
अभी हम इस
पुरानी दुनिया, पुराने शरीर को छोड़ घर में जायेंगे फिर नई दुनिया में पुनर्जन्म
लेंगे। हम अभी राजयोग सीख रहे हैं - राजाई में जाने के लिए। बाप हम बच्चों के लिए
रूहानी राजस्थान स्थापन कर रहे हैं, यही स्मृति रहे तो दु:ख की लहर नहीं आ सकती।
गीत:-
तुम्हीं हो
माता........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप सदैव आत्म-अभिमानी हैं, ऐसे आत्म-अभिमानी रहने का पूरा-पूरा
पुरुषार्थ करना है। एक बाप को दिल से प्यार करते-करते बाप के साथ घर चलना है।
2) बेहद के बाप का पूरा-पूरा रिगार्ड रखना है अर्थात् बाप के फरमान पर चलना है।
बाप का पहला फरमान है - बच्चे अच्छी रीति पढ़कर पास हो जाओ। इस फरमान को पालन करना
है।
वरदान:-
शक्तिशाली सेवा
द्वारा निर्बल में बल भरने वाले सच्चे सेवाधारी भव
सच्चे सेवाधारी की
वास्तविक विशेषता है - निर्बल में बल भरने के निमित्त बनना। सेवा तो सभी करते हैं
लेकिन सफलता में जो अन्तर दिखाई देता है उसका कारण है सेवा के साधनों में शक्ति की
कमी। जैसे तलवार में अगर जौहर नहीं तो वह तलवार का काम नहीं करती, ऐसे सेवा के साधनों
में यदि याद की शक्ति का जौहर नहीं तो सफलता नहीं इसलिए शक्तिशाली सेवाधारी बनो,
निर्बल में बल भरकर क्वालिटी वाली आत्मायें निकालो तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।
स्लोगन:-
हर
परिस्थिति को उड़ती कला का साधन समझकर सदा उड़ते रहो।
अव्यक्त इशारे -
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
वैसे अशरीरी होना
सहज है लेकिन जिस समय कोई बात सामने हो, कोई सर्विस के झंझट सामने हों, कोई हलचल
में लाने वाली परिस्थितियां हों, ऐसे समय में सोचा और अशरीरी हो जाएं, इसके लिए
बहुत समय का अभ्यास चाहिए। सोचना और करना साथ-साथ चले तब अन्तिम पेपर में पास हो
सकेंगे।