06-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - पुरानी
दुनिया के कांटों को नई दुनिया के फूल बनाना - यह तुम होशियार मालियों का काम हैं''
प्रश्नः-
संगमयुग पर
तुम बच्चे कौन-सी श्रेष्ठ तकदीर बनाते हो?
उत्तर:-
कांटे से
खुशबूदार फूल बनना - यह है सबसे श्रेष्ठ तकदीर। अगर एक भी कोई विकार है तो कांटा
है। जब कांटे से फूल बनो तब सतोप्रधान देवी-देवता बनो। तुम बच्चे अभी 21 पीढ़ी के
लिए अपनी सूर्यवंशी तकदीर बनाने आये हो।
गीत:-
तकदीर जगाकर
आई हूँ.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो ज्ञान का खजाना दे रहे हैं, उसको लेने के लिए दौड़-दौड़ कर आना
है, इसमें किसी भी प्रकार का बहाना नहीं देना है। बाप की याद में 10 माइल भी पैदल
चलने से थकावट नहीं होगी।
2) विजय माला में आने का आधार पढ़ाई है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। कांटों को
फूल बनाने की सेवा करनी है। स्वीट होम और स्वीट राजाई को याद करना है।
वरदान:-
संगमयुग के
महत्व को जान एक का अनगिनत बार रिटर्न प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव
संगमयुग पर बापदादा का
वायदा है - एक दो लाख लो। जैसे सर्व श्रेष्ठ समय, सर्व श्रेष्ठ जन्म, सर्व श्रेष्ठ
टाइटल इस समय के हैं वैसे सर्व प्राप्तियों का अनुभव अभी ही होता है। अभी एक का
सिर्फ लाख गुणा नहीं मिलता लेकिन जब चाहो जैसे चाहो, जो चाहो बाप सर्वेन्ट रूप में
बांधे हुए हैं। एक का अनगिनत बार रिटर्न मिल जाता है क्योंकि वर्तमान समय वरदाता ही
आपका है। जब बीज आपके हाथ में है तो बीज द्वारा जो चाहो वह सेकण्ड में लेकर सर्व
प्राप्तियों से सम्पन्न बन सकते हो।
स्लोगन:-
कैसी
भी परिस्थिति हो, परिस्थिति चली जाए लेकिन खुशी नहीं जाए।
अव्यक्त-इशारे:-
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
“एकता और एकाग्रता''
- यह दोनों श्रेष्ठ भुजायें हैं, कार्य करने के सफलता की। एकाग्रता अर्थात् सदा
निरव्यर्थ संकल्प, निर्विकल्प। जहाँ एकता और एकाग्रता है, वहाँ सफलता गले का हार
है। वरदाता को एक शब्द प्यारा है - ‘एकव्रता', एक बल एक भरोसा। साथ-साथ एकमत, न
मनमत न परमत, एकरस, न और कोई व्यक्ति, न वैभव का रस। ऐसे ही एकता, एकान्त-प्रिय।