06-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - इस जन्म के
पापों से हल्का होने के लिए बाप को सच-सच सुनाओ और पिछले जन्मों के विकर्मों को योग
अग्नि से समाप्त करो''
प्रश्नः-
खुदाई
खिदमतगार बनने के लिए कौन-सी एक चिंता (फुरना) चाहिए?
उत्तर:-
हमें
याद की यात्रा में रहकर पावन जरूर बनना है। पावन बनने का फुरना चाहिए। यही मुख्य
सबजेक्ट है। जो बच्चे पावन बनते हैं वही बाप के खिदमतगार बन सकते। बाप अकेला क्या
करेगा इसलिए बच्चों को श्रीमत पर अपने ही योगबल से विश्व को पावन बनाकर पावन राजधानी
बनानी है। पहले स्वयं को पावन बनाना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मुरली सुनकर फिर सुनानी है। पढ़ने के साथ-साथ पढ़ाना भी है।
कल्याणकारी बनना है। बैज मैसेन्जर की निशानी है, यह सदा लगाकर रखना है।
2) विश्व में शान्ति स्थापन करने के लिए याद की यात्रा में रहना है। जैसे बाप की
नज़र बेहद में रहती है, सारी दुनिया को पावन बनाने के लिए करेन्ट देते हैं, ऐसे फालो
फादर कर मददगार बनना है।
वरदान:-
कर्म और योग
के बैलेन्स द्वारा कर्मातीत स्थिति का अनुभव करने वाले कर्मबन्धन मुक्त भव
कर्म के साथ-साथ योग का
बैलेन्स हो तो हर कर्म में स्वत: सफलता प्राप्त होती है। कर्मयोगी आत्मा कभी कर्म
के बन्धन में नहीं फंसती। कर्म के बन्धन से मुक्त को ही कर्मातीत कहते हैं।
कर्मातीत का अर्थ यह नहीं है कि कर्म से अतीत हो जाओ। कर्म से न्यारे नहीं, कर्म के
बन्धन में फंसने से न्यारे बनो। ऐसी कर्मयोगी आत्मा अपने कर्म से अनेकों का कर्म
श्रेष्ठ बनाने वाली होगी। उसके लिए हर कार्य मनोरंजन लगेगा, मुश्किल का अनुभव नहीं
होगा।
स्लोगन:-
परमात्म प्यार ही समय की घण्टी है जो अमृतवेले उठा देती है।