06-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप बागवान है, इस बागवान के पास तुम मालियों को बहुत अच्छे-अच्छे खुशबूदार फूल लाने हैं, ऐसा फूल नहीं लाओ जो मुरझाया हुआ हो''

प्रश्नः-
बाप की नज़र किन बच्चों पर पड़ती है, किसके ऊपर नहीं पड़ती है?

उत्तर:-
जो अच्छी खुशबू देने वाले फूल हैं, अनेक कांटों को फूल बनाने की सर्विस करते हैं, उन्हें देख-देख बाप खुश होता। उन पर ही बाप की नज़र जाती है और जिनकी वृत्ति गंदी है, आंखे धोखा देती हैं, उन पर बाप की नज़र भी नहीं पड़ती। बाप तो कहेंगे बच्चे फूल बन अनेकों को फूल बनाओ तब होशियार माली कहे जायेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने पंख आज़ाद करने की मेहनत करनी है, बंधनों से मुक्त हो होशियार माली बनना है। कांटो को फूल बनाने की सेवा करनी है।

2) अपने आपको देखना है कि मैं कितना खुशबूदार फूल बना हूँ? मेरी वृत्ति शुद्ध है? आंखे धोखा तो नहीं देती हैं? अपनी चाल-चलन का पोतामेल रख खामियां निकालनी है।

वरदान:-
स्वराज्य अधिकार के नशे और निश्चय से सदा शक्तिशाली बनने वाले सहजयोगी, निरन्तर योगी भव

स्वराज्य अधिकारी अर्थात् हर कर्मेन्द्रिय पर अपना राज्य। कभी संकल्प में भी कर्मेन्द्रियां धोखा न दें। कभी थोड़ा भी देह-अभिमान आया तो जोश या क्रोध सहज आ जाता है, लेकिन जो स्वराज्य अधिकारी हैं वह सदा निरंहकारी, सदा ही निर्माण बन सेवा करते हैं इसलिए मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ - इस नशे और निश्चय से शक्तिशाली बन मायाजीत सो जगतजीत बनो तो सहजयोगी, निरन्तर योगी बन जायेंगे।

स्लोगन:-
लाइट हाउस बन मन-बुद्धि से लाइट फैलाने में बिजी रहो तो किसी बात में भय नहीं लगेगा।