06-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप की याद से बुद्धि स्वच्छ बनती है, दिव्यगुण आते हैं इसलिए एकान्त में बैठ अपने आपसे पूछो कि दैवीगुण कितने आये हैं?''

प्रश्नः-
सबसे बड़ा आसुरी अवगुण कौन-सा है, जो बच्चों में नहीं होना चाहिए?

उत्तर:-
सबसे बड़ा आसुरी अवगुण है किसी से रफ-डफ बात करना या कटुवचन बोलना, इसे ही भूत कहा जाता है। जब कोई में यह भूत प्रवेश करते हैं तो बहुत नुकसान कर देते हैं इसलिए उनसे किनारा कर लेना चाहिए। जितना हो सके अभ्यास करो - अब घर जाना है फिर नई राजधानी में आना है। इस दुनिया में सब कुछ देखते हुए कुछ भी दिखाई न दे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) चलते-फिरते एक बाप की ही याद रहे और कुछ देखते हुए भी दिखाई न दे - ऐसा अभ्यास करना है। एकान्त में अपनी जाँच करनी है कि हमारे में दैवीगुण कहाँ तक आये हैं?

2) ऐसा कोई कर्त्तव्य नहीं करना है, जिससे बाप की निन्दा हो, दैवीगुण धारण करने हैं। बुद्धि में रहे - अभी घर जाना है फिर अपनी राजधानी में आना है।

वरदान:-
सेवाओं में शुभ भावना की एडीशन द्वारा शक्तिशाली फल प्राप्त करने वाले सफलतामूर्त भव

जो भी सेवा करते हो उसमें सर्व आत्माओं के सहयोग की भावना हो, खुशी की भावना वा सद्भावना हो तो हर कार्य सहज सफल होगा। जैसे पहले जमाने में कोई कार्य करने जाते थे तो सारे परिवार की आशीर्वाद लेकर जाते थे। तो वर्तमान सेवाओं में यह एडीशन चाहिए। कोई भी कार्य शुरू करने के पहले सभी की शुभ भावनायें, शुभ कामनायें लो। सर्व की सन्तुष्टता का बल भरो तब शक्तिशाली फल निकलेगा।

स्लोगन:-
जैसे बाप जी-हाज़िर कहते हैं वैसे आप भी सेवा में जी हाज़िर, जी हज़ूर करो तो पुण्य जमा हो जायेगा।