06-12-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह शरीर रूपी
खिलौना आत्मा रूपी चैतन्य चाबी से चलता है, तुम अपने को आत्मा निश्चय करो तो निर्भय
बन जायेंगे''
प्रश्नः-
आत्मा शरीर के
साथ खेल खेलते नीचे आई है इसलिए उसको कौन सा नाम देंगे?
उत्तर:-
कठपुतली। जैसे
ड्रामा में कठपुतलियों का खेल दिखाते हैं वैसे तुम आत्मायें कठपुतली की तरह 5 हज़ार
वर्ष में खेल खेलते नीचे पहुँच गयी हो। बाप आये हैं तुम कठपुतलियों को ऊपर चढ़ने का
रास्ता बताने। अब तुम श्रीमत की चाबी लगाओ तो ऊपर चले जायेंगे।
गीत:-
महफिल में जल
उठी शमा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप ने जो ज्ञान रत्न दिये हैं, वही चुगने हैं। पत्थर नहीं।
देह-अभिमान की कड़ी बीमारी से स्वयं को बचाना है।
2) अपनी बैटरी को फुल चार्ज करने के लिए पावर हाउस बाप से योग लगाना है।
आत्म-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करना है। निर्भय रहना है।
वरदान:-
दातापन की
भावना द्वारा इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति का अनुभव करने वाले तृप्त आत्मा भव
सदा एक लक्ष्य हो कि हमें
दाता का बच्चा बन सर्व आत्माओं को देना है, दातापन की भावना रखने से सम्पन्न आत्मा
हो जायेंगे और जो सम्पन्न होंगे वह सदा तृप्त होंगे। मैं देने वाले दाता का बच्चा
हूँ - देना ही लेना है, यही भावना सदा निर्विघ्न, इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति
का अनुभव कराती है। सदा एक लक्ष्य की तरफ ही नज़र रहे, वह लक्ष्य है बिन्दू और कोई
भी बातों के विस्तार को देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए भी नहीं सुनो।
स्लोगन:-
बुद्धि
वा स्थिति यदि कमजोर है तो उसका कारण है व्यर्थ संकल्प।
अव्यक्त इशारे -
अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
कर्मातीत बनने के
लिए कर्मों के हिसाब-किताब से मुक्त बनो। सेवा में भी सेवा के बंधन में बंधने वाले
सेवाधारी नहीं। बन्धन-मुक्त बन सेवा करो अर्थात् हद की रायॅल इच्छाओं से मुक्त बनो।
जैसे देह का बन्धन, देह के सम्बन्ध का बन्धन, ऐसे सेवा में स्वार्थ - यह भी बन्धन
कर्मातीत बनने में विघ्न डालता है। कर्मातीत बनना अर्थात् इस रॉयल हिसाब-किताब से
भी मुक्त।