07-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें चलते
फिरते याद में रहने का अभ्यास करना है। ज्ञान और योग यही मुख्य दो चीजें हैं, योग
माना याद''
प्रश्नः-
अक्लमंद (होशियार)
बच्चे कौन से बोल मुख से नहीं बोलेंगे?
उत्तर:-
हमें योग
सिखलाओ, यह बोल अक्लमंद बच्चे नहीं बोलेंगे। बाप को याद करना सीखना होता है क्या!
यह पाठशाला है पढ़ने पढ़ाने के लिए। ऐसे नहीं, याद करने के लिए कोई खास बैठना है।
तुम्हें कर्म करते बाप को याद करने का अभ्यास करना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) काम-काज करते याद में रहने की आदत डालनी है। बाप के साथ जाने वा पावन
नई दुनिया का मालिक बनने के लिए पवित्र जरूर बनना है।
2) ऊंच पद पाने के लिए बहुतों की सेवा करनी हैं। बहुतों को पढ़ाना है। मैसेन्जर
बन यह मैसेज सभी तक पहुँचाना है।
वरदान:-
स्नेह की गोद
में आन्तरिक सुख व सर्व शक्तियों का अनुभव करने वाले यथार्थ पुरूषार्थी भव
जो यथार्थ पुरूषार्थी हैं
वे कभी मेहनत वा थकावट का अनुभव नहीं करते, सदा मोहब्बत में मस्त रहते हैं। वे
संकल्प से भी सरेन्डर होने के कारण अनुभव करते कि हमें बापदादा चला रहे हैं, मेहनत
के पांव से नहीं लेकिन स्नेह की गोदी में चल रहे हैं, स्नेह की गोद में सर्व
प्राप्तियों की अनुभूति होने के कारण वह चलते नहीं लेकिन सदा खुशी में, आन्तरिक सुख
में, सर्व शक्तियों के अनुभव में उड़ते रहते हैं।
स्लोगन:-
निश्चय
रूपी फाउण्डेशन पक्का है तो श्रेष्ठ जीवन का अनुभव स्वत: होता है।
अव्यक्त इशारे -
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
‘अनेकता में एकता'
तो प्रैक्टिकल में अनेक देश, अनेक भाषायें, अनेक रूप-रंग लेकिन अनेकता में भी सबके
दिल में एकता है ना! क्योंकि दिल में एक बाप है। एक श्रीमत पर चलने वाले हो। अनेक
भाषाओं में होते हुए भी मन का गीत, मन की भाषा एक है।