07-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह अनादि
अविनाशी बना बनाया ड्रामा है, इसमें जो सीन पास हुई, वह फिर कल्प के बाद ही रिपीट
होगी, इसलिए सदा निश्चिंत रहो''
प्रश्नः-
यह दुनिया अपनी
तमोप्रधान स्टेज पर पहुँच गई है, उसकी निशानियाँ क्या हैं?
उत्तर:-
दिन-प्रतिदिन
उपद्रव होते रहते हैं, कितनी घमसान हो रही है। चोर कैसे मार-पीट कर लूट ले जाते
हैं। बिना मौसम बरसात पड़ती रहती है। कितना नुकसान हो जाता है। यह सब तमोप्रधानता
के चिन्ह हैं। तमोप्रधान प्रकृति दु:ख देती रहती है। तुम बच्चे ड्रामा के राज़ को
जानते हो इसलिए कहते हो नथिंगन्यु।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा ध्यान रहे - हम ईश्वर के बच्चे हैं, हमें मोस्ट लवली होकर रहना
है। आपस में कभी भी लूनपानी नहीं होना है। पहले अपने को सुधारना है फिर दूसरों को
सुधारने की शिक्षा देनी है।
2) जैसे बाप में पवित्रता, सुख, प्रेम आदि सब गुण हैं, ऐसे बाप समान बनना है। ऐसा
कोई कर्म नहीं करना है जो सतगुरू का निंदक बनें। अपनी चलन से बाप का नाम बाला करना
है।
वरदान:-
बाप और
प्राप्ति की स्मृति से सदा हिम्मत-हुल्लास में रहने वाले एकरस, अचल भव
बाप द्वारा जन्म से ही जो
प्राप्तियां हुई हैं उनकी लिस्ट सदा सामने रखो। जब प्राप्ति अटल, अचल है तो हिम्मत
और हुल्लास भी अचल होना चाहिए। अचल के बजाए यदि मन कभी चंचल हो जाता है वा स्थिति
चंचलता में आ जाती है तो इसका कारण है कि बाप और प्राप्ति को सदा सामने नहीं रखते।
सर्व प्राप्तियों का अनुभव सदा सामने वा स्मृति में रहे तो सब विघ्न खत्म हो जायेंगे,
सदा नया उमंग, नया हुल्लास रहेगा। स्थिति एकरस और अचल रहेगी।
स्लोगन:-
किसी
भी प्रकार की सेवा में सदा सन्तुष्ट रहना ही अच्छे मार्क्स लेना है।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
आप ब्राह्मण बच्चे
बहुत-बहुत रॉयल हो। आपका चेहरा और चलन दोनों ही सत्यता की सभ्यता अनुभव करायें। वैसे
भी रॉयल आत्माओं को सभ्यता की देवी कहा जाता है। उनका बोलना, देखना, चलना, खाना-पीना,
उठना-बैठना, हर कर्म में सभ्यता, सत्यता स्वत: ही दिखाई देती है। ऐसे नहीं कि मैं
तो सत्य को सिद्ध कर रहा हूँ और सभ्यता हो ही नहीं। तो यह राइट नहीं है।