07-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - सबसे अच्छा
दैवीगुण है शान्त रहना, अधिक आवाज़ में न आना, मीठा बोलना, तुम बच्चे अभी टॉकी से
मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाते हो, इसलिए अधिक आवाज़ में न आओ''
प्रश्नः-
किस मुख्य
धारणा के आधार से सर्व दैवीगुण स्वत: आते जायेंगे?
उत्तर:-
मुख्य है
पवित्रता की धारणा। देवतायें पवित्र हैं, इसलिए उनमें दैवीगुण हैं। इस दुनिया में
कोई में भी दैवीगुण नहीं हो सकते। रावण राज्य में दैवीगुण कहाँ से आये। तुम रॉयल
बच्चे अभी दैवीगुण धारण कर रहे हो।
गीत:-
भोलेनाथ से
निराला........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी से भी बहुत नम्रता और धीरे से बातचीत करनी है। बोलचाल बहुत मीठा
हो। साइलेन्स का वातावरण हो। कोई भी आवाज़ न हो तब सर्विस की सफलता होगी।
2) सच्चा-सच्चा आशिक बन एक माशुक को याद करना है। याद में कभी आंखे बन्द कर कांध
नीचे करके नहीं बैठना है। देही-अभिमानी होकर रहना है।
वरदान:-
सर्व खजानों
को स्व के प्रति और औरों के प्रति यूज करने वाले अखण्ड महादानी भव
जैसे बाप का भण्डारा सदा
चलता रहता है, रोज़ देते हैं ऐसे आपका भी अखण्ड लंगर चलता रहे क्योंकि आपके पास
ज्ञान का, शक्तियों का, खुशियों का भरपूर भण्डारा है। इसे साथ में रखने वा यूज़ करने
में कोई भी खतरा नहीं है। यह भण्डारा खुला होगा तो चोर नहीं आयेगा। बंद रखेंगे तो
चोर आ जायेंगे। इसलिए रोज़ अपने मिले हुए खजानों को देखो और स्व के प्रति और औरों
के प्रति यूज करो तो अखण्ड महादानी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
सुने
हुए को मनन करो, मनन करने से ही शक्तिशाली बनेंगे।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
सेवा और स्थिति,
बाप और आप, यह कम्बाइन्ड स्थिति, कम्बाइन्ड सेवा करो तो सदा फरिश्ते स्वरुप का
अनुभव करेंगे। सदा बाप के साथ भी हैं और साथी भी है - यह डबल अनुभव हो। स्व की लगन
में सदा साथ का अनुभव करो और सेवा में सदा साथी का अनुभव करो।