07-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप से करेन्ट लेनी है तो सर्विस में लगे रहो, जो बच्चे सब कुछ त्याग बाप की सर्विस में रहते हैं वही प्यारे लगते हैं, दिल पर चढ़ते हैं''

प्रश्नः-
बच्चों को स्थाई खुशी क्यों नहीं रहती, मुख्य कारण क्या है?

उत्तर:-
याद के समय बुद्धि भटकती है, स्थिर बुद्धि न होने कारण खुशी नहीं रह सकती। माया के त़ूफान दीपकों को हैरान कर देते हैं। जब तक कर्म, अकर्म नहीं बनते हैं तब तक खुशी स्थाई नहीं रह सकती है इसलिए बच्चों को यही मेहनत करनी है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी भी प्रकार की चाहना नहीं रखनी है। आसक्ति ख़त्म कर देनी है। बाबा जो खिलाये... तुम्हें डायरेक्शन है, मांगने से मरना भला।

2) बाप की सर्चलाइट लेने के लिए एक बाप से सच्चा लव रखना है। बुद्धि में नशा रहे कि हम बच्चे हैं, वह बाप है। उनकी सर्चलाइट से हमें तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है।

वरदान:-
रहम की भावना द्वारा निमित्त भाव से सेवा करने वाले सर्व लगाव मुक्त भव

वर्तमान समय जब सभी आत्मायें थक कर निराश हो मर्सी मांगती हैं। तो आप दाता के बच्चे अपने भाई बहिनों पर रहमदिल बनो। कोई कितना भी बुरा हो, उसके प्रति भी रहम की भावना हो तो कभी घृणा, ईर्ष्या वा क्रोध की भावना नहीं आयेगी। रहम की भावना सहज निमित्त भाव इमर्ज कर देती है, लगाव से रहम नहीं लेकिन सच्चा रहम लगाव मुक्त बना देता है क्योंकि उसमें देह भान नहीं होता।

स्लोगन:-
दूसरों को सहयोग देना ही स्वयं के खाते जमा करना है।