07-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - सारा मदार
कर्मों पर है, सदा ध्यान रहे कि माया के वशीभूत कोई उल्टा कर्म न हो जिसकी सजा खानी
पड़े''
प्रश्नः-
बाप की नज़र
में सबसे अधिक बुद्धिवान कौन हैं?
उत्तर:-
जिनमें
पवित्रता की धारणा है वही बुद्धिवान हैं और जो पतित हैं वह बुद्धिहीन हैं।
लक्ष्मी-नारायण को सबसे अधिक बुद्धिवान कहेंगे। तुम बच्चे अभी बुद्धिवान बन रहे हो।
पवित्रता ही सबसे मुख्य है इसलिए बाप सावधान करते हैं - बच्चे यह आंखे धोखा न दें,
इनसे सम्भाल करना। इस पुरानी दुनिया को देखते हुए भी न देखो। नई दुनिया स्वर्ग को
याद करो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप के साथ सदा सच्चा रहना है। अभी कोई भी भूल हो जाए तो छिपाना नहीं
है। आंखे कभी क्रिमिनल न हो - इसकी सम्भाल करनी है।
2) सदा शुद्ध नशा रहे कि बेहद का बाप हमें पतित छी-छी से गुलगुल, कांटों से फूल
बना रहे हैं। अभी हमें बाप का हाथ मिला है, जिसके सहारे हम विषय वैतरणी नदी पार हो
जायेंगे।
वरदान:-
पावरफुल ब्रेक
द्वारा सेकण्ड में निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करने वाले स्व परिवर्तक भव
जब निगेटिव अथवा व्यर्थ
संकल्प चलते हैं, तो उसकी गति बहुत फास्ट होती है। फास्ट गति के समय पॉवरफुल ब्रेक
लगाकर परिवर्तन करने का अभ्यास चाहिए। वैसे भी जब पहाड़ी पर चढ़ते हैं तो पहले
ब्रेक को चेक करते हैं। आप अपनी ऊंची स्थिति बनाने के लिए संकल्पों को सेकण्ड में
ब्रेक देने का अभ्यास बढ़ाओ। जब अपने संकल्प वा संस्कार एक सेकण्ड में निगेटिव से
पॉजिटिव में परिवर्तन कर लेंगे तब स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन का कार्य सम्पन्न
होगा।
स्लोगन:-
स्वयं
प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति श्रेष्ठ परिवर्तन की शक्ति को कार्य में लाने वाले
ही सच्चे कर्मयोगी हैं।